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पाकिस्तान में नाटो ट्रकों पर फैसला स्थगित

१२ जून २०१२

अफगानिस्तान सीमा पर खड़े नाटो ट्रकों पर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बातचीत स्थगित हो गई है. अमेरिका के रुख से लग रहा है कि अब उसे पाकिस्तान की जरूरत नहीं बची.

तस्वीर: DW

छह हफ्तों तक दोनों देशों के बीच बातचीत चली, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका. ट्रकों को ले कर दोनों देश अपने अपने रुख पर कायम रहे. पेंटागन के प्रवक्ता जॉर्ज लिटल ने कहा कि बातचीत स्थगित करने का फैसला अमेरिका ने सोच समझ कर लिया है, "हमने फैसला किया कि अब वक्त आ गया है कि अमेरिका अपने दल को (इस्लामाबाद से) वापस बुला ले." लिटल ने कहा कि दल को अब आराम की जरूरत है. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि अमेरिका को भविष्य में एक बार फिर बातचीत शुरू से कोई परहेज नहीं है, "दल किसी भी समय इस्लामाबाद लौटने के लिए तैयार है."

कुछ ही दिन पहले अमेरिका के सह रक्षा मंत्री पीटर लावोय इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए इस्लामाबाद पहुंचे. रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने उनसे मिलने से ही इनकार कर दिया. माना जा रहा है कि अमेरिका का बातचीत स्थगित करने का फैसला इसके बाद ही आया है.

नाराज पाकिस्तान

पाकिस्तान ने नाटो ट्रकों के लिए पिछले साल नवम्बर से सीमा बंद की हुई है. उस समय अमेरिका द्वारा किए गए ड्रोन हमले में पाक अफगान सीमा पर 24 पाकिस्तानी सैनिकों की जान चली गई. इस मामले ने राजनीतिक मोड़ लिया और इसे संसद में भी उठाया गया. सरकार ने फैसला लिया कि नाटो के लिए सीमा तब तक नहीं खोली जाएगी जब तक अमेरिका लिखित रूप में इसके लिए माफी नहीं मांग लेता. हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन ने सैनिकों की मौत पर खेद जताया, लेकिन माफी मांगने से मना कर दिया.

छह महीने से रास्ता बंदतस्वीर: DW

नवम्बर से पहले तक हर महीने नाटो के पांच हजार ट्रक पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाया करते थे. रिपोर्टों के अनुसार सीमा के बंद किए जाने से अमेरिका को हर महीने एक अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है. ट्रकों को अफगानिस्तान पहुंचाने के लिए अब अमेरिका मध्य एशिया से एक नए रास्ते का इस्तेमाल कर रहा है. नॉदर्न डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क नाम के इस रास्ते के लिए अमेरिका को काफी ज्यादा खर्च उठाना पड़ रहा है.

सम्मान की लड़ाई

अमेरिका ने मई में हुए शिकागो शिखर सम्मलेन में भी इस पर चर्चा की. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऐन मौके पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को सम्मलेन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया. जरदारी और ओबामा दोनों ही के लिए यह मुद्दा अहम है. दोनों ही राष्ट्रपति आने वाले कुछ महीनों में चुनाव लड़ने वाले हैं. ऐसे में वे विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहते.

कराची के एक सम्पादकीय सलाहकार ने नाम ना बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी आईपीएस को बताया, "अब यह मुद्दा पैसे का नहीं है, अब यह सम्मान की बात बन गई है." उनका कहना है कि अगर अमेरिका ने उसी वक्त माफी मांग ली होती तो यह बात यहां तक पहुंचती ही नहीं. वहीं अमेरिका के सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस के कॉलिन कुकमैन का कहना है कि ऐसा नहीं है कि अमेरिका ने इस से पहले इस तरह के मुद्दों पर माफी ना मांगी हो. लेकिन पाकिस्तान में हुए हादसे के कई अलग अलग विवरण हैं और इसलिए अमेरिका स्वीकारना नहीं चाहता कि उस से गलती हुई.

तस्वीर: DW

मिले नए रास्ते

वहीं कई जानकारों का यह भी मानना है कि बातचीत को स्थगित करने के पीछे वजह कुछ और ही है. माना जा रहा है अमेरिका को अफगानिस्तान में मदद ले जाने वाले नाटो ट्रकों के लिए अब पाकिस्तान की जरूरत नहीं रही. अमेरिका में सुरक्षा मामलों के जानकार माइकल ओ हनलोन का कहना है, "अगर आपने एक या दो साल पहले कूटनीतिज्ञों से यह बात कही होती कि छह महीनों तक सीमा बंद रहेगी तो वे हैरान हो जाते. लेकिन नॉदर्न डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के तैयार हो जाने से यह मुमकिन हो पाया है. अब हमें किसी और रास्ते की जरूरत नहीं है."

4 जून को नाटो अध्यक्ष आंदर्स फो रासमुसेन ने कजाकस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ समझौते को मंजूरी दी. इन दोनों देशों के अलावा, रूस के साथ भी बातचीत जारी है. मंगलवार को उज्बेकिस्तान के साथ अफगानिस्तान मुद्दे पर अमेरिका उच्च स्तरीय बातचीत कर रहा है.

ऐसे में पाकिस्तान का ही नुकसान होता दिख रहा है. पिछले हफ्ते अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने अफगानिस्तान में कहा कि पाकिस्तान को लेकर अमेरिका के सब्र का बांध टूट रहा है.

आईबी,एएम (आईपीएस)

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