पाकिस्तान में पोलियो के मामलों में इस साल बड़ा उछाल आया है. पोलियो विरोधी अभियान में लगे कर्मचारियों पर होने वाले हमलों की वजह से पाकिस्तान में इस बीमारी को मिटाना मुश्किल चुनौती बन गया है.
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते साल पाकिस्तान में पोलियो के 12 मामले सामने आए थे जबकि इस साल अभी तक 72 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. इतने ज्यादा मामलों के बाद पोलियो विरोधी कार्यक्रम के प्रमुख ने अपना पद छोड़ा दिया है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक मदद से चलने वाले इस कार्यक्रम के प्रमुख बाबर बिन अट्टा ने कहा है कि वह निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. पिछले पांच सालों के दौरान ये पोलियो के सबसे ज्यादा मामले हैं.
पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर इलाकों में पोलियो के खिलाफ अभियान चलाना वाकई मुश्किल साबित हुआ है. खासकर तालिबान चरमपंथी इसके खिलाफ है. लेकिन बीते पांच साल से यह इलाका सेना के नियंत्रण में है. फिर भी वहां पोलियो के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. 2014 में तालिबान के खिलाफ सेना ने अभियान शुरू किया था. उस साल पाकिस्तान में पोलियो के कुल 304 मामले सामने आए थे. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2017 में पोलियो के सबसे कम सिर्फ आठ मामले दर्ज किए गए.
पोलियोमेलिटिस यानि पोलियो एक गंभीर वायरल बीमारी है. रीढ़ की हड्डी में संक्रमण पहुंचने के बाद पैरों को लकवा मार जाता है. पोलियो का वायरस पेट और आंत में बढ़ता है. खतरा तब तक बना रहता है जब तक लार या मल में वायरस जीवित हो.
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बच्चों को लाचार करता पोलियो
दुनिया के अधिकतर देश पोलियो को कल की बात समझ कर भूल चुके हैं. पर यह वायरस आज भी बच्चों पर हमला कर रहा है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर पोलियो वायरस का असर होता है. 200 में से एक मामले में बच्चा विकलांग हो जाता है. यह वायरस टांगों को लाचार कर देता है और इसका कोई इलाज मैजूद नहीं है.
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अब भी तीन देशों में
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया, इन तीन देशों से अब भी पोलियो का सफाया नहीं किया जा सका है. कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली और सुरक्षा कारणों से अब भी वहां पोलियो के खिलाफ जंग जीती नहीं जा सकी है. खतरा इस बात का भी है कि वायरस इन देशों से एक बार फिर दूसरे देशों में फैल सकता है.
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हो सकता है पूरी तरह सफाया
पोलियो वायरस की तीन नस्लें हैं. टाइप 2 का 1999 में ही सफाया हो गया था. टाइप 3 के मामले ना के बराबर ही हैं. ये वायरस इंसानी शरीर के बाहर ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते. अगर सभी को टीका लगा हो तो यह वायरस संक्रमण नहीं कर पाता और जल्द ही खत्म हो जाता है.
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असरदार टीके
पोलियो के लिए दो प्रकार के टीके मौजूद हैं, ओपीवी और आईपीवी. ओपीवी यानि ओरल पोलियो वैक्सीन. दो बूंद की इस खुराक देने के लिए डॉक्टरों की जरूरत नहीं पड़ती. अधिकतर पोलियो अभियान में इसी का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं आईपीवी यानि इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए दी जाती है.
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भारत में लाखों बूथ
13 जनवरी, 2011 को आखिरी बार भारत में पोलियो का मामला दर्ज किया गया. इस बीच भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया है. इसके पीछे सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का सहयोग अहम रहा है. पोलियो अभियान के दौरान एक ही राउंड में देश में 6,40,000 बूथ लगाए गए और 20 करोड़ खुराकों का इंतजाम किया गया.
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अभियान के फायदे
पोलियो अभियान के दौरान ना केवल घर घर बच्चों को "दो बूंद जिंदगी की" दी गयी, बल्कि उनके स्वास्थ्य का रिकॉर्ड भी तैयार किया गया. इससे अन्य बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलेगी. साथ ही कई जगहों पर बच्चों को विटामिन ए की गोलियां दी गयी ताकि बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ाई जाए.
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पाकिस्तान का डर
पाकिस्तान को डर है कि इस साल पोलियो के मामलों की संख्या 200 को पार कर सकती है. ऐसा होने पर यह देश में पोलियो अभियान शुरू होने के बाद से सबसे अधिक संख्या होगी. तालिबान का असर और कट्टरपंथियों की सोच पाकिस्तान को पोलियो मुक्त कराने के रास्ते के पत्थर बने हुए हैं.
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पोलियो के ज्यादातर मामले खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में ही सामने आए हैं, जहां बहुत से कट्टरपंथी पोलियो की दवा पिलाने या फिर इसके टीके लगाने के खिलाफ हैं. ऐसे बहुत से लोग पोलियो टीकाकरण को पश्चिमी देशों की साजिश बताते हैं. उनके मुताबिक पोलियो की दवा पीने वाले बच्चे आगे चलकर संतानें पैदा करने के लायक नहीं रहेंगे. पाकिस्तान के एबटाबाद में अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को भी पोलियो अभियान के तहत ही खोजा गया था जो बाद में एक अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में मारा गया था.
दूसरी तरफ, अफ्रीकी देश नाइजीरिया ने कहा है कि पिछले तीन साल से उसके यहां पोलियो का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया. इसे एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है जो अफ्रीका में इस बीमारी के खिलाफ जंग में एक सकारात्मक पहल है. नाइजीरिया की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा एजेंसी के निदेशक फैसल शुएब ने कहा, "यह नाइजीरिया और विश्व समुदाय के लिए ऐतिहासिक मील का पत्थर है कि बीते तीन साल में पोलियो का कोई भी मामला सामने नहीं आया है."
नाइजीरिया अफ्रीका में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. अफ्रीकी महाद्वीप में यह अकेला देश था जहां पोलियो मौजूद था. लेकिन अगस्त 2016 से वहां इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है. यह पश्चिमी अफ्रीकी देश मार्च 2020 में पोलियो से जुड़ा डाटा विश्व स्वास्थ्य संगठन को सौंपेगा, जिसके बाद पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को पोलियो से मुक्त घोषित करने का रास्ता तैयार हो सकता है. नाइजीरिया में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि क्लेमेंट पीटर ने कहा, "अगर डाटा में कोई मामला सामने नहीं आने की पुष्टि होती है तो फिर अफ्रीकी इलाका अगले साल के मध्य तक पोलियो मुक्त हो जाएगा."
आज तक पोलियो का कोई इलाज नहीं है. सिर्फ इससे बचने की कोशिश की जा सकती है. जिसके लिए भी बार बार ओरल ड्रॉप्स या इंजेक्शन लगाने पर ही बच्चों को जीवन भर इससे बचाया जा सकता है.
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साफ पानी नहीं
पोलियो वायरस गंदगी के कारण फैलता है. इंसान के मल से संक्रमित खाने-पीने की चीजों को खाने से वायरस शरीर में पहुंच जाता है. चूंकि अब भी दुनिया भर में पीने का साफ पानी मिलना मुश्किल है, संक्रमण जारी है.
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अब भी लाइलाज
पोलियोमाइलिटिस या पोलियो दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड की एक बीमारी है जो वायरस से होती है. इससे कुछ ही घंटों के अंदर शरीर में ऐसा लकवा मारता है, जिसे कभी ठीक नहीं किया जा सकता.
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छोटी उम्र, खतरा बड़ा
पोलियो सबसे ज्यादा पांच साल से कम उम्र के बच्चों को ही प्रभावित करता है. ऐसे हर 200 में से एक बच्चे के पैरों में जिंदगीभर के लिए लकवा मार जाता है. इनमें से 5 से 10 फीसदी बच्चों की सांस लेने में मुश्किल के कारण मौत हो जाती है.
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कम हुए, खत्म नहीं
केवल पाकिस्तान में ही 2016 में पोलियो के 35 मामले दर्ज हुए जबकि 1988 में यह तादाद साढ़े तीन लाख थी. पोलियो के टीके लगाने के प्रयासों को भी पाकिस्तान में इस्लामी आतंकवादियों के कारण गहरा धक्का लगता रहा है.
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जानलेवा किस्म
विश्व के तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया में पोलियो की एक विशेष इंडेमिक किस्म पाई जाती है, जिसमें लकवा और मौत तक हो सकती है.
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एक ही काफी है
जब तक दुनिया में एक भी बच्चा पोलियो वायरस से संक्रमित रहता है, सभी बच्चों पर खतरा बना रहेगा. आज के एक संक्रमित बच्चे से अगले 10 सालों में विश्व भर में पोलियो के दो लाख नए शिकार बन सकते हैं. आरपी/वीके (रॉयटर्स)
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पोलियो का वायरस मुख्य तौर पर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित करता है जिसकी वजह से स्थायी रूप से मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और लकवा हो सकता है. यह वायरस सिर्फ इंसानों को संक्रमित करता है और बच्चे इसका खास तौर से शिकार बनते हैं.
नाइजीरिया के बाद दुनिया में सिर्फ पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही ऐसे देश बचेंगे जो अब भी पोलियो से जूझ रहे हैं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तरह नाइजीरिया में भी इस्लामी कट्टरपंथी हाल के सालों में बहुत मजबूत हुए हैं. इसी वजह से वहां पोलियो के खिलाफ जंग की रफ्तार धीमी रही है. 2012 में नाइजारिया में पोलियो के 122 मामले दर्ज किए गए जबकि पूरी दुनिया में उनकी संख्या 223 थी.
पोलियो के मोर्चे पर प्रगति के बावजूद सहायता संगठनों का कहना है कि खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है. नाइजीरिया के लिए यूनिसेफ की सहायक प्रतिनिधि पेरनिल आयरनसाइड का कहना है, "लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. हमें अपनी कोशिशें बनाए रखनी होंगी. उन्हें बढ़ाना होगा ताकि पोलियो के मामले में आई ऐतिहासिक कमी को कायम रखा जा सके."