पाकिस्तान: बड़ी मुश्किल से कैद से छूटे 11 पुलिसकर्मी
१९ अप्रैल २०२१
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने पाकिस्तान की सरकार से बातचीत के बाद 11 पुलिसकर्मियों को कैद से रिहा कर दिया है. संगठन के हजारों कार्यकर्ता अभी भी लाठियों और पेट्रोल बमों के साथ एक मस्जिद में घुसे हुए हैं.
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तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान की कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी है जो पिछले कई महीनों से पैगंबर मुहम्मद पर फ्रांस की पत्रिका शार्ली एब्दो में छपे कार्टूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है. पार्टी पाकिस्तान से फ्रांस के राजदूत को निकाले जाने की मांग कर रही है.
रविवार को जब लाहौर स्थित पार्टी के मुख्यालय में आयोजित एक और प्रदर्शन को खत्म करने के लिए पुलिस और अर्ध-सैनिक बालों ने कार्रवाई की, तो पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सुरक्षाबलों पर ही हमला कर दिया और 11 पुलिसकर्मियों को बंदी बना लिया. सोशल मीडिया पर कई वीडियो देखे गए जिनमें कई पुलिसकर्मी घायल नजर आ रहे थे और उनके सर पर पट्टियां बंधी हुई थीं.
लेकिन सोमवार सुबह गृहमंत्री शेख रशीद अहमद ने घोषणा की कि सरकार ने बातचीत के जरिए पुलिसकर्मियों को छुड़ा लिया है. हालांकि लाठियों और पेट्रोल बमों से लैस हजारों कार्यकर्ता अभी भी उस मस्जिद के अंदर जमा हैं, जिसे उनका मुख्यालय माना जाता है.
पिछले साल जब प्रदर्शन शुरू हुए थे तब पाकिस्तान सरकार ने कहा था कि वह नवंबर में मांग पर चर्चा करेगी लेकिन यह भी नहीं हुआ. एक सप्ताह पहले पूरे देश में इस मांग को लेकर हिंसक टकराव हुए जब पुलिस ने पार्टी अध्यक्ष साद रिज्वी को गिरफ्तार कर लिया था. रिजवी की अगुवाई में पार्टी के लोग इस्लामाबाद पर चढ़ाई की कोशिश कर रहे थे.
पिछले बुधवार सरकार ने टीएलपी को देश के आतंकवाद-विरोधी कानूनों के तहत बैन कर दिया था. पार्टी ने दावा किया रविवार की हिंसा में उसके तीन कार्यकर्ता मारे गए. पाकिस्तान में ईशनिंदा के खिलाफ कड़े कानून हैं जिनके तहत इस्लाम या पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने के दोषी पाए जाने वालों को मौत की सजा भी दी जा सकती है. टीएलपी इन्हीं कानूनों के समर्थन की वजह से 2017 में लोगों की नजर में आई थी.
सीके/आईबी (डीपीए)
पैगंबर के कार्टून पर इस्लामी देश और फ्रांस आमने-सामने
फ्रांस के राष्ट्रपति के इस्लाम पर दिए बयान की अरब देशों के साथ कई एशियाई देशों में कड़ी आलोचना की जा रही है. बड़ी संख्या में मुस्लाम उनके बयान की निंदा कर रहे हैं. अब फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है.
तस्वीर: Teba Sadiq/Reuters
मुसलमानों में नाराजगी
मंगलवार, 27 अक्टूबर को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक बड़ी रैली का आयोजन हुआ. फ्रांस के खिलाफ हुई रैली में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया और कहा जा रहा है कि यह फ्रांस विरोधी अब तक की सबसे बड़ी रैली है. पैगंबर मोहम्मद के कार्टून बनाने के बाद शिक्षक की हत्या और उसके बाद माक्रों के इस्लाम को लेकर बयान से मुसलमान नाराज हैं.
तस्वीर: Suvra Kanti Das/Zumapress/picture alliance
देशों में गुस्सा
सीरिया और लीबिया में लोगों ने सड़क पर उतर कर माक्रों की तस्वीर जलाई और फ्रांस के झंडे आगे के हवाले कर दिए. इराक, पाकिस्तान, कतर, कुवैत और अन्य खाड़ी देशों में फ्रांस में बने उत्पादों का बहिष्कार हो रहा है. अरब देशों में फ्रांस के उत्पाद खासकर मेकअप आइटम काफी लोकप्रिय हैं.
तस्वीर: Suvra Kanti Das/Zumapress/picture alliance
माक्रों ने क्या कहा था?
पेरिस के सोबोन यूनवर्सिटी में पिछले दिनों इतिहास और समाजशास्त्र के शिक्षक सैमुएल पैटी को श्रद्धांजलि देते हुए माक्रों ने कहा था फ्रांस कार्टून और तस्वीर बनाने से पीछे नहीं हटेगा. माक्रों ने अपने बयान में कट्टरपंथी इस्लाम की आलोचना की थी. माक्रों ने कहा था, "इस्लामवादी हमसे हमारा भविष्य छीनना चाहते हैं, हम कार्टून और चित्र बनाना नहीं छोड़ेंगे."
तस्वीर: Francois Mori/Pool/Reuters
अरब देशों की प्रतिक्रिया
माक्रों ने कहा था कि इस्लाम "संकट" में है और इसके बाद अरब देश ही नहीं बड़ी आबादी वाले मुस्लिम देश माक्रों से बेहद नाराज हो गए. सबसे पहले तुर्की ने माक्रों के बयान की निंदा की. तुर्क राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान ने तो यहां तक कह डाला था कि माक्रों को "मानसिक जांच" की जरूरत है. सऊदी अरब और ईरान के नेताओं ने भी माक्रों के बयान की निंदा की है.
तस्वीर: Adel Hana/AP Photo/picture-alliance
फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार
कतर में कुछ दुकानदारों ने कहा है कि वे फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार का समर्थन करते हैं. इसके साथ ही इस्लाम को मानने वाले ट्विटर पर पैगंबर मोहम्मद के समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं और माक्रों के कार्टून छापने पर दिए गए बयान की निंदा कर रहे हैं.
तस्वीर: Hani Mohammed/AP Photo/picture-alliance
पाकिस्तान और तुर्की
माक्रों के खिलाफ सबसे पहले एर्दोवान ने तीखे बयान दिए और उसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्विटर के माध्यम से माक्रों की आलोचना की थी और कहा था कि माक्रों को संयम से काम लेते हुए कट्टरपंथियों को दरकिनार करने की रणनीति पर काम करना चाहिए.
कार्टून विवाद और उसके बाद बयानबाजी के बीच फ्रांस के समर्थन में यूरोपीय देश खड़े हैं. जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स, ग्रीस ने फ्रांस का समर्थन किया है. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने एर्दोवान द्वारा माक्रों पर निजी टिप्पणी की आलोचना की है.
तस्वीर: Damien Meyer/AFP/Getty Images
शार्ली एब्दो पर एर्दोवान !
फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो ने एक ट्वीट में कहा है कि पत्रिका के अगले संस्करण में राष्ट्रपति एर्दोवान का कार्टून कवर पेज पर छपेगा. अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पश्चिमी देशों और एर्दोवान के बीच अभिव्यक्ति की आजादी पर जुबानी जंग और तेज होगी.