पाकिस्तान के बलोचिस्तान में शिया हजारा समुदाय के 11 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने ली है. आईएस के सदस्य सुन्नी होते हैं और संगठन ने बीते कुछ सालों में पाकिस्तान के शियाओं पर कई हमले किए हैं.
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एक पाकिस्तान अधिकारी के मुताबिक 11 बंदूकधारियों ने रविवार को कोयले की खदान में काम करने वाले अल्पसंख्यक शिया हजारा समुदाय के 11 लोगों को पहले अगवा कर लिया और फिर उन्हें जान से मार दिया. बाद में इस्लामिक स्टेट ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान छापा, जिसमें उसने इस हमले की जिम्मेदारी ली.
सुरक्षाकर्मी मोअज्जम अली जतोई ने बताया कि हमलावरों ने उन 11 लोगों की ही शिया हजारा के रूप में पहचान की और फिर बाकियों को छोड़ कर सिर्फ उन्हीं लोगों को जान से मारने के लिए पास के पहाड़ों में ले गए. मोअज्जम अली लेविस फोर्स के सदस्य हैं जो इस इलाके में पुलिस और अर्ध-सैनिक बल के तौर पर तैनात है.
उन्होंने बताया कि उनमें से छह ने तो वहीं दम तोड़ दिया और बाकी पांच की अस्पताल के रास्ते में मौत हो गई. पुलिस द्वारा जारी किए गए वीडियो से पता चला कि सभी मृतकों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी और उनके हाथ पीछे की तरफ बंधे थे. हमला प्रांत की राजधानी क्वेट्टा से करीब 48 किलोमीटर दूर मच्छ कोयला क्षेत्र के पास हुआ.
हमले की खबर हजारा समुदाय में तुरंत फैल गई जिसके बाद समुदाय के लोग विरोध में शहर की सड़कों और आस-पास के इलाकों में सड़कों पर उतर आए. उन्होंने जलते हुए टायरों और पेड़ों के तनों से राज्यमार्गों को जाम भी कर दिया. अधिकारियों ने प्रभावित सड़कों पर यातायात बंद कर किया.
आतंकी घटना की पूरे देश में निंदा की गई. प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि हमलावरों को बक्शा नहीं जाएगा और पीड़ित परिवारों की मदद की जाएगी. शिया धार्मिक नेता नासिर अब्बास ने कहा कि घटना के खिलाफ प्रदर्शन पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे. दूसरे समुदायों के नेताओं ने भी हत्याओं पर दुख प्रकट किया है.
पाकिस्तान के हजारा समुदाय को इस्लामिक स्टेट जैसे सुन्नी आतंकी संगठन कई बार निशाना बना चुके हैं. आईएस ने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में भी अल्पसंख्यक शियाओं के खिलाफ जंग छेड़ी हुई है और 2014 में वहां सक्रिय होने के बाद कई घातक हमलों की जिम्मेदारी ली है. क्वेट्टा में ही अप्रैल 2019 में एक खुले बाजार में एक आत्मघाती बम हमले में 20 लोग मारे गए थे. उस समय आईएस ने कहा था कि उसने शियाओं और पाकिस्तानी सेना के कुछ लोगों को निशाना बनाया था.
पिछले साल जनवरी में क्वेट्टा में ही एक मस्जिद में हुए शक्तिशाली विस्फोट की जिम्मेदारी भी आईएस ने ही ली थी. विस्फोट में एक वरिष्ठ पुलिस अफसर और 13 अन्य लोग मारे गए थे और 20 श्रद्धालु घायल हो गए थे. बलूचिस्तान में बलोच अलगाववादी समूहों द्वारा एक विद्रोह आंदोलन भी चलाया जा रहा है. वो भी गैर-बलोच श्रमिकों को निशाना बनाते हैं लेकिन उन्होंने अल्पसंख्यक शिया समुदाय के लोगों पर कभी हमला नहीं किया.
तथाकथित इस्लामिक स्टेट के लिए अमेरिकी सैन्य कार्रवाई में उसके मुखिया अबु बक्र अल बगदादी की मौत एक बड़ा झटका है. लेकिन अब भी कई देशों में यह गुट एक बड़ा खतरा बना हुआ है. एक नजर इन्हीं देशों पर.
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इराक
अमेरिका समर्थित फौजों से लड़ाई में हारने के बाद इस्लामिक स्टेट के लड़ाके वापस गुरिल्ला वॉर के हथकंडों पर लौट आए हैं. दियाला, सलाहुद्दीन, अंबार, किरकुक और निवेनेह जैसे प्रांतों में अब भी आईएस की ईकाइयां चल रही हैं जो लगातार अपहरणों और बम धमाकों को अंजाम दे रही हैं. विश्लेषकों का कहना है कि इराक में आईएस के लगभग दो हजार लड़ाके हिंसक गतिविधियों में लगे हुए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Dabiq
सीरिया
सीरिया में अत्यधिक नुकसान झेलने के बावजूद इस्लामिक स्टेट ने पिछले साल उत्तरी इलाके में कई हमलों को अंजाम दिया है. उन्होंने अमेरिकी बलों को भी निशाना बनाया है. अमेरिका के साथ मिल कर आईएस को हराने वाले सीरियाई कुर्द बलों का कहना है कि आईएस लड़ाके पूर्वी सीरिया में फिर से पनप रहे हैं. इस्लामिक स्टेट के लड़ाके सीरिया के दूर दराज के रेगिस्तानी इलाकों में सक्रिय हैं.
तस्वीर: DW/Judit Neurink
मिस्र
पिछले एक साल में मिस्र में कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है, लेकिन छिटपुट घटनाएं होती रही हैं. सेना का कहना है कि सिनाई प्रांत में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ फरवरी 2018 में शुरू हुए अभियान में सैकड़ों चरमपंथी मारे गए हैं. 2015 में शर्म अल शेख से उड़ान भरने वाले एक रूसी विमान को गिरा दिया गया था. इसमें सवार सभी 224 लोग मारे गए थे. इसकी जिम्मेदारी आईएस ने ली थी.
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सऊदी अरब
इस्लामिक स्टेट ने सऊदी अरब में कई धमाकों को अंजाम दिया है और सुरक्षा बलों के साथ साथ अल्पसंख्यक शियाओं को भी निशाना बनाया है. आईएस के खिलाफ अभियान में जब सऊदी अरब शामिल हुआ तो बगदादी ने उसके खिलाफ हमले करने का आह्वान किया था. अमेरिकी थिंकटैंक सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी का कहना है कि सऊदी अरब में आईएस सक्रिय है लेकिन सऊदी अधिकारियों को इस बारे में अच्छी खासी जानकारी है.
तस्वीर: dpa
यमन
आईएस ने 2014 के अंत में अपनी यमन शाखा की घोषणा की. वहां हूथी बागियों और सऊदी अरब समर्थित अब्द रब्बु मंसूर हादी की सरकार के बीच गृह युद्ध चल रहा है. यमन में आईएस को अल कायदा से भी लड़ना पड़ रहा है और दोनों गुट शिया हूथी बागियों से भी लड़ रहे हैं. यमन में आईएस ने कई हमलों और हत्याओं की जिम्मेदारी ली है, लेकिन कोई इलाका उसके कब्जे में नहीं है. जानकार कहते हैं कि यहां अल कायदा ज्यादा बड़ा खतरा है.
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नाइजीरिया
उतरी नाइजीरिया में 2009 से बोको हराम ने कई बड़े हमले किए हैं. उसने 30 हजार से ज्यादा लोगों को कत्ल किया है जबकि बीस लाख लोगों को बेघर किया है. 2016 में यह गुट दो हिस्सों में बंट गया है जिसका एक धड़ा खुद को आईएस के प्रति वफादार बताता है. इस्लामिक स्टेट के वेस्ट अफ्रीकी प्रोविंस गुट ने पिछले साल कई सैन्य अड्डों को निशाना बनाया. इस गुट का दबदबा बढ़ रहा है.
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अफगानिस्तान
इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान में खुद को इस्लामिक स्टेट इन खोरासान का नाम दिया और वह 2015 से सक्रिय है. नंगरहार प्रांत में उसे अब भी काफी मजबूत माना जाता है. इस गुट का नेतृत्व खुद को अल बगदादी का वफादार बता चुका है. अमेरिकी कमांडर कहते हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान से भी लोहा लेने वाले आईएस के लगभग दो हजार लड़ाके हो सकते हैं.
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श्रीलंका
इस्लामिक स्टेट का कहना है कि अप्रैल में श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर चर्च और अस्पतालों में हुए बम धमाकों में उसका हाथ था. श्रीलंका के अधिकारी धमाकों के लिए आईएस से जुड़े दो स्थानीय मुस्लिम चरमपंथी गुटों को जिम्मेदार मानते हैं. धमाकों के बाद आईएस ने एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें आठ लोगों को आईएस के प्रति वफादारी जताते हुए दिखाया गया था.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
इंडोनेशिया
दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश में हजारों लोग इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रेरित बताए जाते हैं. माना जाता है कि लगभग 500 इंडोनेशियाई आईएस के लिए लड़ने के मकसद से सीरिया गए थे. पिछले साल सुराबाया में हुए आत्मघाती हमलों में तीस लोग मारे गए थे. इस हमले के पीछे जमाह अंशारुत दौला संगठन का हाथ बताया जाता है जो इंडोनेशिया में इस्लामिक स्टेट से हमदर्दी रखने वाले लोगों का एक संगठन है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
फिलीपींस
फिलीपींस को डर है कि सीरिया और इराक से भाग रहे आईएस चरमपंथी उसके मिंदानाओ प्रांत के दूर दराज के जंगलों और मुस्लिम गांवों में शरण ले सकते हैं. यह इलाका अराजकता, अव्यवस्था, अलगाववाद और इस्लामी विद्रोह के लिए बदनाम रहा है. इस्लामिक स्टेट वहां होने वाले हमलों और सरकारी बलों के साथ हुई झड़पों की जिम्मेदारी भी लेता रहा है, हालांकि ये दावे कितने सही हैं, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.