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पाकिस्तान सरकार को गिराने की साजिशः गिलानी

२२ दिसम्बर २०११

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के मुताबिक उनके देश की सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है. सेना की भूमिका की उन्होंने खुलकर आलोचना की.

तस्वीर: picture alliance/dpa

इस्लामाबाद के नेशनल आर्ट्स गैलरी में गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार को हटाने के लिए षडयंत्र रचे जा रहे हैं. गिलानी ने कहा कि वे अब देश के सबसे लंबे समय तक पद में रहने वाले प्रधानमंत्री हैं, यानी पिछले 45 महीनों से. उन्होंने आर्ट्स गैलरी में आए श्रोताओं को बताया कि वे लोगों के हक के लिए लड़ना जारी रखेंगे, चाहे वे सरकार में रहें, या नहीं और इस बात से साफ साफ मना किया कि सेना किसी भी तरह से सरकार पर दबाव डाल सकती है. वहीं, सेना ने अपनी तरफ से तख्तापलट की अटकलों को खारिज किया है और विश्लेषकों का मानना है कि इस समय ऐसा होने की संभावना बहुत कम है.

गिलानी ने अपने भाषण में सेना को भले ही "अनुशासित" और संविधान का पालन करने वाला बताया, लेकिन उनका मानना है कि अगर सेना रक्षा मंत्रालय के नीचे नहीं आती, तो फिर देश को इस "गुलामी" से बाहर निकलना होगा क्योंकि फिर संसद का कोई महत्व नहीं रहेगा और देश स्वायत्त नहीं होगा.

तस्वीर: AP

बिन लादेन पर सवाल

इस साल मई में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने पर उन्होंने कहा कि न्यायिक आयोग उनसे बिन लादेन के पाकिस्तान में छिपने को लेकर सवाल कर रही है. सेना से सवाल कर रहे गिलानी ने पूछा, "मैं जानना चाहता हूं कि वह (बिन लादेन) छह साल से यहां कैसे रह रहा था. उसे किस तरह का वीजा था. अगर वह पाकिस्तान बिना वीजा के आया तो सुरक्षा का ख्याल क्यों नहीं रखा गया?"

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से पहले अब तक उच्च स्तर के किसी भी अधिकारी ने खुल कर सरकार के भविष्य के बारे में नहीं कहा है. लगभग दो महीने पहले गृह मंत्री रहमान मलिक ने सेना के तख्तापलट की संभावनाओं को खारिज किया था. लेकिन गिलानी के भाषण के बाद विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को खुद अपनी अस्थिरता का आभास हो रहा है. वैसे भी जरदारी के नेतृत्व में देश महंगाई, भ्रष्टाचार और अमेरिका के साथ संबंधों को लेकर विवादों में उलझा हुआ है.

विवादों में सरकार

2008 को सत्ता में आई पीपीपी सरकार अब तक विवादों के बावजूद टिकी रहने में सफल रही है. लेकिन 2013 में पाकिस्तान में आम चुनाव हैं और विपक्ष की पार्टियां अभी से सरकार के खिलाफ कैंपेन शुरू कर चुकी हैं. कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि ऐसी हालत में चुनाव 2012 में ही आयोजित हो सकते हैं, वहीं विपक्ष के नवाज शरीफ इसी हफ्ते फौरन चुनावों की मांग कर रहे हैं.

गिलानी सहित राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी दोनों जबरदस्त दबाव में हैं. इस साल मई में अमेरिकी मरीन्स ने एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को खोज निकालकर उसे मार दिया था. अब पता चला है कि जरदारी ने अमेरिकी सरकार को एक मेमो में कहा था कि बिन लादेन की मौत के बाद उन्हें डर है कि सेना सरकार को हटाने की तैयारी कर रही है.

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में दर्ज किए गए मामले की कार्रवाई को शुक्रवार तक स्थगित कर दिया है. इन परेशानियों के अलावा, जरदारी की तबीयत और दुबई में उनके इलाज को लेकर खबरें सत्ता की अस्थिरता का संकेत दे रही हैं.

रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/एमजी

संपादनः ए जमाल

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