पाकिस्तान में अब तक के चुनाव नतीजों ने चौंकाया
९ फ़रवरी २०२४पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के लिए वोटिंग खत्म होने के 24 घंटे बाद भी पूरे नतीजे सामने नहीं आ सके हैं. इस बार के चुनाव में पाकिस्तान की सेना पर इमरान खान और उनकी पार्टी को चुनाव से बाहर रखने के आरोप लगते रहे हैं. हालांकि, अभी तक आए चुनाव के नतीजे अलग रुझान दिखा रहे हैं.
पाकिस्तान के चुनावों पर सेना का साया
इमरान समर्थित निर्दलीय आगे
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने अब तक आए 136 नतीजों में से 49 सीटों पर जीत हासिल की है. दूसरी तरफ सेना के कथित समर्थन के साथ चुनाव लड़ रहे नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल (एन) को 42 और बिलावल भुट्टो जरदारी की पार्टी पीपीपी को 34 सीटें हासिल हुई हैं. बाकी सीटें कुछ छोटी पार्टियों को मिली हैं. 266 सदस्यों वाली असेंबली की लगभग आधी सीटों के नतीजे आना अभी बाकी है.
पीटीआई ने ज्यादातर सीटें अपने गढ़ खैबर पख्तूनख्वा में जीती हैं. पाकिस्तान के सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रांत पंजाब से अभी नतीजे आना जारी है. इस प्रांत में पीएमएल (एन) और शरीफ परिवार का सिक्का चलता आया है. हालांकि, पिछली बार के चुनाव में इमरान खान ने इस प्रांत में भी अच्छी-खासी सीटें हासिल की थीं. तब उन्हें सेना का समर्थन भी हासिल था.
गठबंधन सरकार के आसार
स्थानीय टीवी चैनल अनाधिकारिक तौर पर बची हुई सीटों के जो रुझान दिखा रहे हैं, उनमें कई सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के हिस्से जाती दिख रही हैं. निर्दलीय उम्मीदवार अपनी सरकार तो बना नहीं सकते, लेकिन वे किसी भी पार्टी को समर्थन देने के लिए स्वतंत्र हैं.
पाकिस्तान के आम चुनाव को कैसे देखता है भारत
निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार नतीजों का एलान होने के 72 घंटे के भीतर किसी भी पार्टी से अपने जुड़ाव की घोषणा कर सकते हैं. किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत ना मिलने की सूरत में आमतौर पर इस दौरान निर्दलीय उम्मीदवारों की जमकर खरीद-फरोख्त होती है.
पाकिस्तान के चुनाव में हिंसा का बोलबाला रहा है. खासतौर से अफगानिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि देशभर में 61 हमले हुए हैं. कम से कम 16 लोगों की मौत हुई, जिनमें सुरक्षाबल के 10 जवान भी शामिल हैं. इसके अलावा 54 लोग घायल हुए हैं. चुनाव के दौरान सुरक्षा मुहैया कराने के लिए 650,000 से ज्यादा सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी.
अनिश्चितता से बढ़ेगी चुनौतियां
बहुत सारे लोग चुनाव के इन नतीजों से हैरान हैं. पाकिस्तान के पोलिंग ग्रुप गैलप पाकिस्तान के कार्यकारी निदेशक बिलाल जिलानी ने कहा है, "भले ही पीटीआई सरकार नहीं बना सकेगी, लेकिन इन चुनावों ने दिखा दिया है कि पॉलिटिकल इंजीनियरिंग की भी एक सीमा है. इसने दिखाया है कि सेना हमेशा अपने लिए रास्ता बनाने में सफल नहीं होगी. यही उम्मीद की एक किरण है."
विश्लेषकों का कहना है कि शायद किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सकेगा. ऐसा होने पर आर्थिक मुश्किलों, राजनीतिक ध्रुवीकरण और चरमपंथी हिंसा से जूझते पाकिस्तान के लिए मुश्किल और बढ़ सकती है.
नवाज शरीफ ने स्पष्ट बहुमत ना आने की संभावना खारिज की है. हालांकि, उनके करीबी और पार्टी नेता इशाक डार ने पाकिस्तान के जियो टीवी से बातचीत में कहा है कि पार्टी निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से एक गठबंधन बना सकती है. डार का कहना है, "मुझे भरोसा है कि हम सरकार बनाएंगे."
आईएमएफ बेलआउट
विश्लेषकों की आशंका और अब तक के रुझानों से लग रहे कयासों के मुताबिक अगर चुनाव में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो पाकिस्तान के लिए भविष्य की चुनौतियां और बड़ी होंगी. सबसे बड़ी चुनौती है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज हासिल करना. मौजूदा व्यवस्था महज तीन हफ्ते में ही खत्म हो जाएगी.
सेना क्यों है पाकिस्तान में सबसे शक्तिशाली
वॉशिंगटन के मिडल-ईस्ट इंस्टिट्यूट में अफगानिस्तान एंड पाकिस्तान स्टडीज के निदेशक मार्विन वाइनबाउम का कहना है कि गठबंधन सरकार "संभवतया अस्थिर और कमजोर होगी" और "सबसे बड़ी हार सेना की होगी, जिसने चुनाव के नतीजों के लिए अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा रखी है."
चुनाव से पाकिस्तान के संकट का हल निकलने की उम्मीद की गई थी, लेकिन अस्पष्ट बहुमत से मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
एनआर/वीएस (एएफपी, रॉयटर्स)