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पाक आतंकी गुटों को शरण देना बंद करेः अमेरिका

४ मई २०११

विकीलीक्स पर जारी नए अमेरिकी दस्तावेजों के मुताबिक अमेरिका लंबे समय से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से लश्कर जैसे आतंकी गुटों को संरक्षण देना बंद करने की अपील कर रहा है.

नया खुलासातस्वीर: dpa

भारत पाकिस्तान के अखबारों में विकीलीक्स के इस नए खुलासे के बारे में जानकारी दी गई है. इन दस्तावेजों के मुताबिक पाकिस्तान हमेशा से इस बात से इनकार करता आया है कि उसने ओसामा बिन लादेन को शरण दी लेकिन अमेरिका को पाकिस्तान पर भरोसा नहीं हुआ. अमेरिका का संदेह पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख जनरल अशफाक कयानी की फरवरी 2009 में अमेरिकी यात्रा के दौरान सामने आया.

आतंकियों को सहायता रोके

19 फरवरी 2009 को अमेरिकी राजदूत एन पैटरसन ने वॉशिंगटन को लिखा, "अमेरिका को यह साफ करना होगा कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई हक्कानी नेटवर्क और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी गुटों को सहायता देना रोके. कयानी को वॉशिंगटन में बस यही संदेश पहुंचना चाहिए कि सहायता खत्म हो. हमें कयानी के लोकतांत्रिक सरकार को दिए जा रहे समर्थन की तारीफ करनी चाहिए. हमें मुंबई मामलों में पाकिस्तान में जारी मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए भी दबाव डालना चाहिए."

पाकिस्तान ने किया हमेशा इनकारतस्वीर: picture alliance / dpa

9 जनवरी 2008 के दिन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख जोसेफ लीबरमैन से मिले. इस दौरान सीनेटर ने ओसामा बिन लादेन और आयमन अल जवाहिरी की तलाश के बारे में पूछा. एन पैटरसन के दस्तावेजों में लिखा है, "कयानी ने कहा कि इन दोनों को नहीं ढूंढ पाने के लिए पाकिस्तान की आलोचना करना अन्याय है."

परस्पर विरोधी बयान

अप्रैल 2007 में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने माना कि ओसामा पाकिस्तान में हो सकता है. जबकि मुशर्रफ सार्वजनिक तौर पर हमेशा कहते रहे कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि ओसामा पाकिस्तान में हो सकता है. 10 अप्रैल 2007 को अमेरिकी केबल में जॉन मैक्केन और मुशर्रफ की मुलाकात के बारे में लिखा गया है. इस दौरान मुशर्रफ ने कहा कि ओसामा और जवाहिरी बिजौर एजेंसी में छिपे हुए हैं.

वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने इसके विपरीत बात कही. गिलानी ने 17 अप्रैल 2008 के दिन कहा कि खुफिया एजेंसियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन वह पाकिस्तान में नहीं है.

इसके बाद प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री कामरान रसूल इस बात पर कायम रहे कि वह ओसामा और उनके सहयोगियों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं. जनवरी 2008 में अमेरिकी कमांडर डेविड पेट्रियस और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बातचीत में जरदारी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ओसामा को नहीं ढूंढ पाई हैं.

ओसामा के मारे जाने पर पाकिस्तान में प्रतिक्रियातस्वीर: picture alliance / dpa

सहयोग पर शंका

सीआईए प्रमुख लियोन पैनेटा ने टाइम मैगजीन को बताया कि पाकिस्तानी समय के हिसाब से सोमवार तड़के हुए ऑपेरशन के बारे में अमेरिका ने पाकिस्तान को कुछ नहीं बताया था. क्योंकि अमेरिका को डर था कि वह इन लोगों को अलर्ट कर देंगे और मिशन विफल हो जाएगा. अमेरिकी अधिकारी मानते हैं कि कम से कम 5 साल से लादेन पाकिस्तान के सैन्य अकादमी वाले शहर एबटाबाद में रह रहा था. इस कारण अमेरिकी अधिकारियों को पाकिस्तान के प्रति और शंका पैदा हो गई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आकस्मिक अभियान के प्रति गहरी चिंता जताई कि उन्हें इस बारे पहले कोई जानकारी नहीं दी गई. वहीं अफगानिस्तान तालिबान ने लादेन के मारे जाने के समाचार को चुनौती दी है. अफगान तालिबान के मुताबिक अमेरिका ने इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं दिया है कि वह मारा गया.

सीनेट में खुफिया समिति की अध्यक्ष डिएने फाइनस्टाइन ने कहा, "हमारी सरकार पहले से ही वित्तीय घाटे में है. ऐसे हालात में एक ऐसी सरकार को सहायता देना जो पूरी तरह साथ नहीं है, इस पर बहुतों को आपत्ति है."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एन रंजन

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