पाक के नये आर्मी चीफ बदलेंगे भारत के बारे में नीति?
२९ नवम्बर २०१६
बतौर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ के कार्यकाल में भारत के साथ लगातार तनाव बना रहा. अब उनके रिटायरमेंट के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत को लेकर पाकिस्तान की नीति में कोई बदलाव आएगा?
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तुरंत भारत को लेकर नीति में किसी भी तरह के बदलाव से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि नए सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा मौजूदा नीति में अचानक कोई बड़ा फेरबदल करेंगे. उन्होंने समाचार चैनल जियो न्यूज को बताया, "सेना की यही नीति जारी रहेगी और तुरंत कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा. जनरल राहील शरीफ की विरासत को ही आगे बढ़ाया जाएगा, खासकर उन्होंने जो मिसालें कायम की हैं.”
तीन साल तक पद पर रहने के बाद जनरल राहील शरीफ रिटायर हो गए. वह आम लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे. लेकिन उनके कार्यकाल में भारत के साथ तनाव और पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार के साथ सेना के मतभेद अकसर सुर्खियों में रहे. राहील शरीफ बीते 20 साल में पाकिस्तान के ऐसे पहले सैन्य प्रमुख हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल खत्म होने पर पद छोड़ दिया है.
पाकिस्तान में हिंदुओं के अलावा और कौन अल्पसंख्यक हैं, जानिए
इनका भी है पाकिस्तान
पाकिस्तान की अनुमानित 20 करोड़ की आबादी में लगभग 95 फीसदी मुसलमान हैं. इनमें भी बहुसंख्यक सुन्नी हैं जिनकी संख्या 75 से 85 फीसदी बताई जाती है. एक नजर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों पर.
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शिया
शिया मुसलमान पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है जिसकी आबादी से 10 से 15 फीसदी बताई जाती है. हाल के सालों में पाकिस्तान में कई बार शिया धार्मिक स्थलों को आतंकवादी हमलों में निशाना बनाया गया है.
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अहमदी
पाकिस्तान की जनसंख्या में अहमदी मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 2.2 प्रतिशत है. हालांकि पाकिस्तान में इन्हें मुसलमान नहीं माना जाता. 1970 में दशक में एक कानून पारित कर इन्हें गैर मुसलमान घोषित कर दिया गया था और इनके साथ कई तरह के भेदभाव होते हैं.
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हिंदू
पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग दो प्रतिशत है जिनमें से ज्यादातर सिंध प्रांत में रहते हैं. पाकिस्तान में हिंदू बेहद पिछड़े हैं और अभी तक बुनियादी अधिकारों के लिए जूझ रहे हैं.
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ईसाई
हिंदुओं के बाद पाकिस्तान में संख्या के हिसाब से ईसाई समुदाय की बारी आती है. उनकी आबादी लगभग 1.6 प्रतिशत है जबकि संख्या देखें तो यह 28 लाख के आसपास है. हाल के सालों में कई चर्चों पर हमले हुए हैं.
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बहाई
बहाई धर्म को मानने वालों की संख्या पाकिस्तान में 40 से 80 हजार हो सकती है.
सिख
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म मौजूदा पाकिस्तान के ननकाना साहिब में हुआ था. यह स्थान सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. पाकिस्तान में अब सिर्फ लगभग 20 हजार ही सिख बचे हैं.
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पारसी
पारसियों की आबादी दुनिया भर में घट रही है. पाकिस्तान में भी ऐसा ही ट्रेंड दिखाई पड़ता है. वहां इनकी संख्या चंद हजार तक सिमट गई है.
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कलाश
खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के चित्राल में रहने वाला कलाश समुदाय अपनी अलग संस्कृति के लिए जाना जाता है. उनकी अलग भाषा और अलग धर्म है. लगभग तीन हजार की आबादी के साथ इसे पाकिस्तान का सबसे छोटा धार्मिक समुदाय माना जाता है.
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बाजवा सेना प्रमुख पद के अहम दावेदारों में शामिल थे. लेकिन उनके बारे में सार्वजनिक तौर पर बहुत ही कम जानकारी मौजूद है. भारत के साथ संबंधों और घरेलू स्तर पर चरमपंथी से निटपने समेत मुख्य मुद्दों पर उनका वैचारिक रुख क्या है, इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.
हाल के दिनों में, भारत पाकिस्तान को अलग थलग करने की कोशिशों में सक्रिय रहा है. खास कर उड़ी में भारतीय सेना के कैंप पर हमले में 18 सैनिकों की मौत के बाद, दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब हो गए. भारत इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताता है, जबकि पाकिस्तान ऐसे आरोपों को ठुकराता है. भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा किया, जिसे पाकिस्तान ने बेबुनियाद बताया. पिछले दिनों, राहील ने भारत को धमकी देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक की, तो भारत की पुश्तें भी नहीं भूल पाएंगी.
देखिए, पाकिस्तान और इतना खूबसूरत
पाकिस्तान.. और इतना खूबसूरत
दुनिया के खूबसूरत पर्यटन स्थलों की जब बात चलती है तो पाकिस्तान का शायद ही जिक्र हो. बेशक इसकी वजह वहां चरमपंथी खतरा है, लेकिन पाकिस्तान में कई ऐसी जगह हैं जिन्हें देख कर मुंह से यही निकलेगा, वाह.
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जन्नत
कश्मीर को धरती पर जन्नत का नाम दिया जाता है. इसका एक हिस्सा भारत के नियंत्रण में है तो दूसरा पाकिस्तान के. पूरे कश्मीर में ऐसे दिलकश नजारों की कमी नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सबसे ऊंचा रणक्षेत्र
ये तस्वीर एक सैन्य हेलीकॉप्टर से ली गई है. ये पर्वत सियाचिन के हैं जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहते हैं. ये जगह पाकिस्तान में स्कारदू के करीब है.
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स्वात की सुंदरता
ये है पाकिस्तान की स्वात घाटी, जो तालिबानी चरमपंथियों को लेकर कई साल से सुर्खियों में रही है. लेकिन कुदरत ने यहां खूबसूरती दिल खोल लुटाई है.
तस्वीर: Adnan Bacha
पूर्व का स्विट्जरलैंड
स्वात का इलाका इस कदर खूबसूरत है कि जब ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ ने यूसुफजई स्टेट ऑफ स्वात का दौरा किया तो उन्होंने इसे पूर्व का स्विट्जरलैंड कहा था.
तस्वीर: Adnan Bacha
व्हाइट पैलेस
स्वात जिले में ही मिंगोरा शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है व्हाइट पैलेस. 1940 में इसका निर्माण उस समय हुआ जब स्वात एक रियासत हुआ करती थी. बताया जाता है कि ये उसी पत्थर से बना है जिससे ताजमहल बना.
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हरियाली और रास्ता
दूर तक फैली हरियाली और बुलंदियों को छूते पर्वत इस इलाके की पहचान हैं, लेकिन हाल के सालों में बार बार चरमपंथ के कारण यहां सैलानियों ने जाना छोड़ दिया है.
तस्वीर: Adnan Bacha
शहद का दलदल
ये स्वात का गबीना जब्बा इलाका है, जिसका पश्तो भाषा में अर्थ होता है शहद का दलदल.
तस्वीर: DW/A.Bache
ये कहां आ गए हम..
यहां मधु मक्खियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं और यहां का शहद पूरे खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में मशहूर है. गबीना जब्बा में यूं ही दूर तक खुला आसमान दिखाई पड़ता है.
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जी नहीं भरेगा
यहां ऐसे नजारे हैं कि देखते रहिए लेकिन जी नहीं भरेगा. ये इलाका बहुत सी उपयोगी जड़ी बूटियों से भी मालामाल है. ऐसे में यहां कई तरह के शोध भी होते रहते हैं.
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चरमपंथ की मार
पाकिस्तान में चरमपंथ के कारण जो क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं उनमें देश का पर्यटन उद्योग प्रमुख है.
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पानी रे पानी
घनी वादियां और उनसे निकलता निर्मल पानी. हर तरफ बिखरी ऐसी खूबसूरती किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती है.
तस्वीर: DW/A.Bache
नंगा पर्वत
ये है उत्तरी पाकिस्तान में नंगा पर्वत जो दुनिया में नौंवा सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,126 मीटर है. ये गिलगित बल्तिस्तान में है और इस इलाके पर भारत भी अपना दावा जताता है.
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आठ हजारी
नंगा पर्वत दुनिया के उन 14 पर्वतों में से एक है जिनकी ऊंचाई आठ हजार मीटर से ज्यादा है. कम ही लोग हैं जो इन पर्वतों पर चढ़ पाए हैं.
तस्वीर: dpa
सिंधु घाटी
ये नजारा है सिंधु घाटी का, जो पाकिस्तान के नॉर्दन एरियाज में है. पानी के बंटवारे को लेकर भारत और पाकिस्तान में सिंधु जल संधि है, लेकिन अब इस पर भी सवाल उठने लगे हैं.
तस्वीर: picture-alliance / dpa
हवा में नफरत
अफगानिस्तान से लगने वाले पाकिस्तान के कबायली इलाके बहुत खूबसूरत हैं. लेकिन इस स्वच्छ आबोहवा में कई सालों से हिंसा और नफरत घुली है.
तस्वीर: DW/A. Bacha
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पाकिस्तान की राजनीति में सेना का बड़ा दखल है. भारत, अफगानिस्तान और अमेरिका के साथ रिश्ते किस तरह के हों, यह तय करने में सेना की बड़ी भूमिका होती है. सुरक्षा विश्लेषक जाहिद हुसैन कहते हैं कि नियंत्रण रेखा पर अकसर होने वाली गोलाबारी के कारण उम्मीद है कि सेना भारत से जुड़ी विदेश नीति पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहेगी. वो कहते हैं, "चूंकि तनाव इतना ज्यादा है कि नवाज (शरीफ) इधर उधर नहीं जाना चाहेंगे.”
बाजवा 1980 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए. वह कश्मीर समेत भारत से लगने वाले कई इलाकों में तैनात रहे, लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि क्या भारत को लेकर उनकी सोच कम आक्रामक होगी. भारत के पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह कांगो में बाजवा के साथ शांति सेना का हिस्सा रहे हैं. वो एक सैनिक के तौर पर बाजवा की तारीफ करते हैं. इंडिया टुडे टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय परिवेश में, उनका प्रदर्शन पेशेवर और जबरदस्त था.” लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें बाजवा से पाकिस्तान की सैन्य नीति में बदलाव की उम्मीद है, तो उन्होंने कहा, "मुझे कोई बदलाव नहीं दिखता.”