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पाक में कलम नहीं, बंदूक से होगी पत्रकारिता

१ जून २०११

पत्रकारिता में मुहावरा है कि कलम बंदूक से ताकतवर होती है. लेकिन पाकिस्तान में फिलहाल बंदूक पर कलम भारी पड़ती दिख रही है. सरकार ने मीडियाकर्मियों को सुरक्षा के लिए हथियार रखने की इजाजत दे दी है.

तस्वीर: DW/dpa

सैयद सलीम शहजाद नाम के पत्रकार की हत्या के बाद पाकिस्तान सरकार ने मीडिया को इस बात की इजाजत दी. गृह मंत्री रहमान मलिक ने बताया कि पत्रकार अब सुरक्षा के लिए अपने साथ हथियार रख सकेंगे.

रिपोर्टों की होगी जांच

बुधवार को मलिक ने वादा किया कि वह इन रिपोर्टों की जांच कराएंगे कि क्या शहजाद की हत्या में आईएसआई का कोई हाथ है. वह इस्लामाबाद में शहजाद के घर गए और इसी दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने यह वादा किया. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि निजी दुश्मनी की वजह से पत्रकार की हत्या की गई हो.

शहजाद बने शिकारतस्वीर: dapd

पाकिस्तान में मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के प्रतिनिधि अली दयान हसन ने इस बात को लेकर शक जताया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने शहजाद को उठाया था.

40 साल के शहजाद इटली की समाचार एजेंसी और हांग कांग में रजिस्टर्ड एक वेबसाइट के लिए काम करते थे. वह रविवार से लापता थे. बाद में पंजाब प्रांत के मंडी बहाउद्दीन में उनकी लाश मिली.

हत्या से पहले

शहजाद ने एशिया टाइम्स ऑनलाइन के लिए एक रिपोर्ट की थी, जिसमें दावा किया गया था कि कराची के नौसैनिक अड्डे पर अल कायदा ने हमला किया क्योंकि वे उन नौसेना अधिकारियों की गिरफ्तारी का बदला लेना चाहते थे, जिन्हें आतंकवादी संगठनों से रिश्ते रखने के शक में पकड़ा गया है. इसके कुछ ही दिनों बाद वह लापता हो गए.

मलिक ने बताया कि शहजाद के रिश्तेदार पोस्टमॉर्टम से संतुष्ट नहीं हैं और चाहते हैं कि शहजाद का दोबारा पोस्टमॉर्टम किया जाए. उन्होंने कहा, "दोबारा पोस्टमॉर्टम तो संभव नहीं है लेकिन मेडिकल बोर्ड बनाया जा सकता है, जो इस मामले की जांच करे."

गृह मंत्री का कहना है कि पाकिस्तानी सेना की तरह वहां के पत्रकार भी चरमपंथियों के दबाव में हैं. उन्होंने कहा कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए पत्रकारों को छोटे हथियार रखने की इजाजत दे दी गई है, ताकि वे अपनी रक्षा कर सकें.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एमजी

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