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पाक लौटेंग और लड़ाई छेड़ेंगेः मुल्ला एफएम

२१ अक्टूबर २०११

अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान नेता मौलवी फजलुल्लाह ने पाकिस्तान लौटने और लड़ाई छेड़ने की बात कही. उग्रवादियों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बढ़ रहा है. पाक दौरे के दूसरे दिन क्लिंटन ने अहम नेताओं से बात की.

तस्वीर: AP

फजलुल्लाह के नजदीकी सलाहकार सिराजुद्दीन अहमद ने उसके रुख को साफ करते हुए कहा, "हमने शरिया कानून के लिए अपनी जानों की कुरबानियां दी, अपने घर-गांव छोड़े. मालाकंड डिविजन और पूरे पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने के लिए जो भी जरूरी होगा, हम करेंगे."

सिराजुद्दीन अहमद ने ये बातें समाचार एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से भेजे गए लिखित सवालों के जवाब में कहीं. तालिबान की तरफ से ताजा धमकी ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन, सीआई के प्रमुख डेविड पेट्रेयस और सेना प्रमुख मार्टिम डेम्पसे समेत आला अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान के दौरे पर हैं. वे पाकिस्तान पर उत्तरी वजीरिस्तान इलाके में कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल रहे हैं जिसे उग्रवादियों की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है.

तस्वीर: dapd

बीच में फंसा पाकिस्तान

फजलुल्लाह स्वात घाटी में पाकिस्तानी तालिबान का नेता था. स्वात घाटी राजधानी इस्लामाबाद से पूर्वोत्तर में सिर्फ 160 किलोमीटर की दूरी पर है. लेकिन 2009 में सेना के अभियान को देखते हुए वह अफगानिस्तान भाग गया. फजलुल्लाह एफएम मुल्ला के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह रेडियो पर अकसर बेहद भड़काऊ बयान देता है. सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास का कहना है कि अफगानिस्तान में जा कर उसने खुद को मजबूत किया है और अब फिर पाकिस्तान के लिए चुनौती बन रहा है.

दूसरी तरफ अफगानिस्तान और अमेरिका यह आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तानी सरकार में मौजूद कुछ तत्व उग्रवादियों की मदद कर रहे हैं जो अफगानिस्तान की स्थिरता के लिए खतरा हैं. फजलुल्लाह पाकिस्तानी तालिबान का अहम नेता है और वह अफगानिस्तान के कुनार और नूरिस्तान प्रांतों से अपनी गतिविधियां चला रहा है. पाकिस्तान तालिबान के दूसरे नेता और सरकार अकसर कहते हैं कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं हजारों की जान ले चुकी इस लड़ाई को खत्म किया जा सके.

लेकिन फजलुल्लाह को सरकार के इरादों पर शक है. उसके सहालकार के मुताबिक, "अमेरिका के साथ जब पाकिस्तानी हुक्मरानों के रिश्ते खराब हो जाते हैं तो वे कुछ लोगों के जरिए हमसे संपर्क करते हैं और हमसे से अपील करते हैं कि देश में शांति कायम करने में मदद करें. लेकिन जब उनके अमेरिका के साथ रिश्ते बहाल हो जाते हैं तो वे अपने वादे भूल जाते हैं और सख्त और क्रूर बन जाते हैं. हम पाकिस्तानी शासकों की इन चालबाजियों को जानते हैं और इसीलिए उनके वादों पर यकीन नहीं करते."

'दो टूक बातचीत'

इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन अपने पाकिस्तान दौरे के दूसरे दिन भी वहां के अहम नेताओं के साथ बातचीत कर रही हैं. इसका मकसद पाकिस्तान पर इस बात के लिए दबाव डालना है कि वह हक्कानी नेटवर्क समेत उन तमाम उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई करे जो पाकिस्तान में रह कर सीमापार अफगानिस्तान में अमेरिकी और अन्य विदेशी सैनिकों पर हमले कर रहे हैं.

गुरुवार को पाकिस्तान के सैन्य और खुफिया अधिकारियों के साथ चार घंटे तक बात करने के बाद शुक्रवार को क्लिंटन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर से मुलाकात कर रही हैं. गुरुवार को प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के घर पर हुई बातचीत में पाकिस्तानी की तरफ से सेना प्रमुख अश्फाक कयानी, खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख अहमद शुजा पाशा, विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर और वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख ने हिस्सा लिया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, "बातचीत बहुत ही दो टूक अंदाज में हुई और चर्चा बहुत ही विस्तार से की गई."

हक्कानी नेटवर्क पर तकरार

इस्लामाबाद से पहले क्लिंटन काबुल में थीं. वहां अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई के साथ बातचीत में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "हम पाकिस्तान पर अत्यधिक दबाव डालना चाहते हैं कि वे हमारे साथ क्या चाहते हैं और हमारे साथ क्या कर सकते हैं." खास कर हक्कानी नेटवर्क को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते तनाव के शिकार हैं. पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कदम उठाने से इनकार कर रहा है. वह इस गुट को अपना पूंजी समझता है ताकि अगर तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में लौटते हैं तो वह अफगानिस्तान पर अपना असर बनाए रखे. लेकिन पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद देने वाले अमेरिका को यह मंजूर नहीं.

रिपोर्टः एपी/रॉयटर्स/एएफपी/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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