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पाक से रिश्तों का बचाव करता अमेरिका

१७ जून २०११

अमेरिकी सरकार को पाकिस्तान के साथ अपने 'मुश्किल' रिश्तों का बचाव करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. आलोचक पाकिस्तान पर दोहरा खेल खेलने का आरोप लगा रहा है. बिन लादेन की मौत से मुश्किलें बढ़ीं.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में अमेरिकी सैन्य टुकड़ी नेवी सील के अभियान में अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को मारा गया जो पाकिस्तान सेना और सरकार के लिए खासा शर्मनाक था. आला अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान के साथ रिश्तों को इसलिए भी जरूरी बता रहे हैं कि जल्द ही उनके सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी शुरू होनी है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी का कहना है, "पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते बहुत जरूरी है, लेकिन जटिल भी हैं. यह सहयोग आतंकवाद और आतंकवादियों के लिए खिलाफ जंग के लिए बहुत जरूरी है."

लेकिन बहुत से अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को मिलने वाली अमेरिकी मदद में कटौती की मांग कर रहे हैं. 2001 से अमेरिका पाकिस्तान को 21 अरब डॉलर की मदद दे चुका है जिसमें से दो तिहाई रकम सेना मिली है. यह बात कांग्रेस रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट में कही गई है. सीनेट की खुफिया मामलों की समिति की प्रमुख डिएन फाइनस्टाइन का कहना है, "मुझे लगता है कि बिन लादेन की मौत से आपसी संदेह और सहयोग की कमी पुख्ता तौर पर दिखी है. भरोसे और विश्वसनीयता को बहुत धक्का लगा है."

अफगानिस्तान से वापसी

अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 के हमलों से पहले पाकिस्तान के अफगान तालिबान के साथ बड़े नजदीकी संबंध रहे हैं. उस पर अब भी अफगानिस्तान में उग्रवाद को हवा देने के आरोप लग रहे हैं जहां नाटो के नेतृत्व में अमेरिका और दूसरे देशों की सेनाएं तालिबान से लड़ रही हैं. हालांकि पाकिस्तान इस आरोप से इनकार करता है.

तस्वीर: dapd

इसी हफ्ते न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी कि पाकिस्तान ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पांच मुखबिरों को गिरफ्तार किया है. बताया जाता है कि इन्हीं की मदद से अमेरिका बिन लादेन तक पहुंच पाया. लेकिन पाकिस्तान सेना का कहना है कि यह खबर बिल्कुल बेबुनियाद है.

वॉशिंगटन पोस्ट में अमेरिकी और पाकिस्तानी अधिकारियों के हवाले से छपी खबर के मुताबिक दोनों देशों के बीच आजकल रिश्ते 11 सितंबर 2001 के बाद से सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. फिर भी राष्ट्रपति ओबामा के प्रशासन के उच्चाधिकारी अगले महीने अफगानिस्तान से शुरू होने वाली अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए पाकिस्तान के साथ सहयोग को जरूरी बताते हैं. रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स का कहना है, "इस संबंध पर दोनों देशों को काम करना होगा. यह खासा मुश्किल है."

जरूरी है साथ

जल्द ही अपने जिम्मेदारी से मुक्त होने वाले गेट्स ने कहा, "हमें एक दूसरे की जरूरत है. हमें अफगानिस्तान से हटकर कहीं ज्यादा एक दूसरे की जरूरत अब है. क्षेत्रीय स्थिरता और मध्य एशिया के लिहाज से पाकिस्तान की भूमिका बहुत अहम है." उन्होंने बताया कि परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से लगने वाले अपने कबायली इलाकों में एक लाख चालीस हजार सैनिक तैनात किए हैं.

अमेरिकी सेना प्रमुख माइक मुलन भी पाकिस्तान के साथ रिश्तों की दुहाई दे रहे हैं. उनका कहना है, "हमें कुछ समय और देना होगा और थोड़ा गौर करना होगा. मुझे लगता है कि रिश्तों में सुधार की बहुत सी संभावनाएं पैदा होंगी."

रिपोर्टः एजेंसियां ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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