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पानी के अंदर कैबिनेट बैठक

१७ अक्टूबर २००९

छोटे से देश मालदीव ने पानी के अंदर दुनिया की पहली कैबिनेट बैठक की. राष्ट्रपति सहित सभी मंत्रियों ने झील के अंदर इस बैठक में हिस्सा लिया और दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग के ख़तरे से आगाह किया.

मीटिंग अंडर वाटरतस्वीर: AP

समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और हिन्द महासागर के इस छोटे से मुल्क का पानी में डूब जाने का ख़तरा बढ़ता जा रहा है. मालदीव इस ख़तरे की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करता आया है और शनिवार की कैबिनेट की बैठक भी उसी की एक कड़ी है. दिसंबर में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की एक बड़ी बैठक होने वाली है.

एसओएस संदेश पर दस्तख़ततस्वीर: AP

42 साल के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और उनके सभी मंत्री काले रंग की ग़ोताख़ोरी पोशाक पहन कर छिछली झील में उतर गए. सबने ग़ोताख़ोरी मास्क भी पहन रखा था. टेलीविज़न पर दिखाए जा रहे वीडियो में उनके पीछे रंग बिरंगी मछलियां तैरती नज़र आ रही हैं और राष्ट्रपति सहित सभी मंत्री पानी के अंदर टेबल पर सरकारी काम काज करते दिख रहे हैं.

यह इलाक़ा एक महंगे रिसॉर्ट का हिस्सा है, जहां आम तौर पर रईस सैलानी आते हैं और 1000 डॉलर तक के किराए पर पानी के अंदर जाकर मज़ा लेते हैं. यहां राष्ट्रपति नशीद ने आधे घंटे तक अपने मंत्रियों से सलाह मशविरा किया. उन्होंने सफ़ेद प्लास्टिक के स्लेट और वाटर प्रूफ़ क़लम का इस्तेमाल करते हुए चेतावनी के एक एसओएस संदेश पर दस्तख़त किए.

उनके साथ प्रशिक्षित ग़ोताख़ोरों की टीम भी थी. बैठक ख़त्म करने के बाद जब राष्ट्रपति बाहर निकले तो पानी के अंदर से ही प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने कहा, "हम दुनिया को यह संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हो रहा है. और अगर जलवायु परिवर्तन पर क़ाबू नहीं पाया गया, तो मालदीव का क्या हो सकता है."

कैबिनेट की बैठक के बाद पानी के अंदर से ही मालदीव के राष्ट्रपति ने पत्रकारों को संबोधित कियातस्वीर: AP

मालदीव छुट्टियां मनाने की एक शानदार पनाहगाह समझा जाता है. यहां बेमिसाल समुद्रीतट और सुसंपन्न वॉटर रिसॉर्ट हैं. लेकिन हाल के दिनों में इसका बड़ा हिस्सा जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हुआ है. अगर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को माना जाए, तो 2100 तक पूरा मालदीव डूब जाएगा.

दिसंबर में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में दुनिया भर के देश जलवायु परिवर्तन पर माथापच्ची के लिए जमा होंगे, जहां क्योटो प्रोटोकॉल के बाद किसी अंतरराष्ट्रीय संधि को आख़िरी रूप दिया जा सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः उ भट्टाचार्य

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