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पानी के लिए दलित को पीट-पीट कर मार डाला

६ जून २०१२

समाजिक बराबरी और दलितों के उत्थान के तमाम दावों की पोल उस समय खुल जाती है जब पता चलता है कि महज पानी के लिए किसी दलित की हत्या कर दी गई है. मामला भारत के बिहार का है.

तस्वीर: dapd

40 साल के मोहन पासवान को पड़ोसियों ने पीट पीट कर मार डाला. पृथ्वी गांव के रहने वाले मोहन की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने सवर्णों का आदेश मानने से इनकार कर दिया. भयानक गर्मी से परेशान होकर नल से पानी निकालने की हिमाकत की. इसी बात से सवर्ण उससे नाराज हो गए. पुलिस के मुताबिक मोहन पासवान की हत्या उसके ही गांव के प्रमोद सिंह और उसके आदमियों ने की है. हत्या के बाद से ही आरोपी फरार हैं. पुलिस अधिकारी सरोज कुमार का कहना है कि पुलिस पूरी कोशिश के बावजूद आरोपी हाथ नहीं आए है. जाति के आधार पर भेदभाव भारत में अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी भेदभाव जारी है. कुछ ही दिन पहले अरावल जिले में भी दलितों के साथ भेदभाव का मामला सामने आया था. इलाके में उस वक्त तनाव फैल गया था जब दलितों को एक मंदिर में पूजा करने से मना कर दिया गया था.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

2001 के जनसंख्या आंकड़ो के मुताबिक भारत की कुल आबादी का करीब 16 फीसदी हिस्सा दलितों का है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में रोजाना 2 दलितों के साथ दुष्कर्म की घटना होती है जबकि 3 से 4 दलितों की हत्या की जाती है. आबादी का बड़ा हिस्सा होने के बावजूद दलितों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं. करीब 80 फीसदी दलित ग्रामीण इलाके में रहते हैं जबकि 86 फीसदी दलित भूमिहीन हैं. दलितों की बड़ी आबादी रोजगार के लिए अस्थायी तौर तरीकों पर निर्भर करती है वहीं 30 फीसदी दलित निरक्षर हैं. हालांकि दलितों के कल्याण के लिए सरकार कई योजनाएं चलाती है लेकिन उसका फायदा उन तक कम ही पहुंचता है. दलितों के नाम पर भारत में कैसी राजनीति होती है यह सभी जानते हैं. लेकिन उनकी स्थिति में वास्तविक सुधार की गति काफी धीमी है.

वीडी/एएम (एएफपी)

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