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पापा चुस्त, बच्चे सुस्त

२१ नवम्बर २०१३

एक बड़े शोध में पता चला है कि नई पीढ़ियां लगातार शारीरिक रूप से कमजोर होती जा रही हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

इंसान के बच्चे कुछ मामलों में धीमे पड़ते जा रहे हैं. बच्चों को मंद बनाने में समाज भी बड़ा जिम्मेदार है.

आदिम काल में इंसान शिकार के पीछे दौड़ता और जान बचाने के लिए खुद शिकारियों से दूर भागता था. फल फूल और ताजा चीजें खाता था. वक्त के साथ शिकार और शिकारी का खेल खत्म हो गया. अब तो हर वक्त बाजार में खाना मिलता है. फ्रिज के सहारे महीनों पुराना खाने पीने का सामान कहीं भी भेजा जा सकता है. पहले जिंदा रहने के लिए दौड़ भाग करनी होती थी, अब अच्छे से जिंदा रहने के लिए दिमाग चलाना पड़ता है. कई देशों में हालात बहुत शांतिपूर्ण हैं. दो कदम चलने पर बस या ट्राम स्टेशन आ जाता है. कुछ नहीं मिला तो साइकिल ही सही. लिहाजा दौड़ना अब रोजमर्रा की जरूरत से ज्यादा व्यायाम की तरह हो गया है.

क्या यह भी एक वजह है कि इंसान धीमा पड़ता जा रहा है. अमेरिकी हृदय संघ ने ऐसा ही जिक्र करते हुए एक चिंताजनक तस्वीर पेश की है. संघ का दावा है कि उसने ढाई करोड़ बच्चों पर शोध किया है. इसके बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया कि बीते 30 साल में दुनिया भर में बच्चों की तंदुरुस्ती कम हुई है. 1975 के बाद बच्चों में दिल संबंधी परेशानी भी बढ़ी है. 9 से 17 साल के बच्चे दिल के मामले में हर दशक में पांच फीसदी कमजोर होते जा रहे हैं. उनके व्यवहार में भी अंतर आ रहा है.

अब ऐसे खेलने लगे हैं बच्चेतस्वीर: picture-alliance/dpa

शोध से जुड़े कोलोरैडो यूनवर्सिटी के बाल रोग विशेषज्ञ स्टीफन डैनियल्स कहते हैं, "ये सोचने वाली बात है. हमारे बच्चे पहले की तुलना में कम सक्रिय हैं." विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर के 80 फीसदी युवा पर्याप्त शारीरिक व्यायाम नहीं करते.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक छह साल या ज्यादा उम्र के बच्चे को हर दिन घंटे भर शारीरिक रूप से व्यस्त रहना चाहिए. अमेरिका में सिर्फ एक तिहाई बच्चे ऐसा कर पाते हैं. डैनियल्स कहते हैं, "आर्थिक कारणों की वजह से कई स्कूलों में शारीरिक शिक्षा नाम की चीज है ही नहीं."

शोध के दौरान लाखों बच्चों के दौड़ने की क्षमता भी जांची गई. रिपोर्ट के मुताबिक 5 से 15 मिनट के भीतर बच्चों की नई पीढ़ी अपने मां बाप की तुलना में 15 फीसदी कम दूरी तय कर पा रही है. बच्चों की गिरती सेहत के मामले में यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका की स्थिति ज्यादा खराब है. चीन के बच्चे भी धीमे पड़ते जा रहे हैं. चीन के शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2010 में कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र एक किलोमीटर की दौड़ पूरी करने में 10 साल पुरानी पीढ़ी से 14 से 15 सेकेंड पीछे रहे. 800 मीटर की दौड़ में छात्राएं 12 सेकेंड पीछे रहीं.

सोमवार को इसी विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रमुख रसोइया सैम कैस ने कहा, "फिलहाल हम अपने इतिहास की सबसे ज्यादा सुस्त बच्चों की पीढ़ी देख रहे हैं." सैम 'लेट्स मूव' कार्यक्रम के प्रमुख हैं. बच्चों की सेहत से जुड़े इस कार्यक्रम को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने शुरू किया.

स्वस्थ बचपन यानी स्वस्थ जिंदगीतस्वीर: picture-alliance/dpa

जापान में बच्चों की फिटनेस अच्छी है. यहां के शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान और तकनीक मंत्रालय के मुताबिक 1980 के दशक में उनके देश में भी बच्चे सुस्त पड़ने लगे थे. लेकिन कई कार्यक्रमों के बदौलत अब जापान के बच्चे फिर से बढ़िया सेहत के ट्रैक पर लौट आए हैं.

रिसर्चर इसके लिए बच्चों में बढ़ते मोटापे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. मोटापे के लिए बदलती जीवनशैली भी जिम्मेदार है. शहरीकरण, व्यस्त मां बाप, छोटे परिवार और खेलने कूदने के सुरक्षित वातावरण के अभाव में बच्चे टेलीविजन देखने और वीडियो गेमों से ही चिपके रहने लगे हैं. खान पान की आदतें भी तेजी से बदल रही हैं. नॉर्वेजियन स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स साइंस के डॉक्टर उल्फ एकेलुंड के मुताबिक सुस्त बच्चे आने वाले समय में बीमार जवानों की फौज खड़ी करेंगे.

ओएसजे/एजेए (एपी)

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