पाबंदियों से उकताई महिलाओं की दुआ "धरती से मिट जाएं आदमी"
१० जनवरी २०१७
सऊदी अरब में महिलाओं पर कई पाबंदियां लागू होने के बारे में आपने कभी ना कभी जरूर पढ़ा या सुना होगा. वहां की सड़कों पर जब आप सऊदी महिलाओं को स्कूटर चलाते, स्केटिंग करते, नाचते, गाते देखेंगे तो यकीनन विश्वास नहीं कर सकेंगे.
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सऊदी अरब की एक मनोरंजन कंपनी का बनाया एक म्युजिक वीडियो यूट्यूब पर डाले जाने के कुछ ही दिनों में चालीस लाख से भी अधिक बार देखा और शेयर किया जा चुका है. इसमें गीत गाती, नाचती, सड़कों पर स्कूटर चलाती, स्केटिंग करती सऊदी अरब की महिलाओं को देखकर शायद आपको अपनी आंखों पर यकीन ना हो. असल जीवन के ऐसे बेहद आम से काम करने की मनाही से तंग आ चुकी सऊदी महिलाओं ने इस म्युजिक वीडियो में इन पाबंदियों पर अपनी खीज को खुल कर दिखाया है. लेकिन वो भी संगीत के माध्यम से. अंग्रेजी में गीत के बोलों के अर्थ के साथ देखिए अरबी म्युजिक वीडियो का एक हिस्सा.
अपनी आधी आबादी के लिए ऐसी आजादी चाहने वाली इन महिलाओं के गीत में अल्लाह से दुआ की गई है कि काश दुनिया से सारे आदमी ही खत्म हो जाएं, जिन्होंने हमें सारी मानसिक परेशानियां दे रखी हैं. ऐसी दुआ मांगने की नौबत आने का ठोस कारण भी है. वीडियो की शुरुआत में ही नकाब पहनी तीन महिलाएं एक बड़ी गाड़ी में पीछे की सीट पर बैठती हैं जबकि एक छोटा सा बच्चा ड्राइविंग सीट पर. सऊदी अरब में आज भी महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं है. इसके अलावा वहां लागू गार्डियनशिप सिस्टम के तहत चाहे महिला वयस्क ही क्यों ना हो, उसे पढ़ाई करने, यात्रा करने या नौकरी करने के लिए भी अपने परिवार के पुरुष सदस्यों से आज्ञा मांगनी पाड़ती है. यानि पुरुष गार्डियन की मर्जी के बिना उन्हें अपने खुद के लिए भी ऐसे बुनियादी फैसले नहीं लेने दिए जाते.
इन हकों के लिए अब भी तरस रही हैं सऊदी महिलाएं
सऊदी अरब में लंबी जद्दोजहद के बाद महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार तो मिल गया है. लेकिन कई बुनियादी हकों के लिए वे अब भी जूझ रही हैं.
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पुरुषों के बगैर नहीं
सऊदी अरब में औरतें किसी मर्द के बगैर घर में भी नहीं रह सकती हैं. अगर घर के मर्द नहीं हैं तो गार्ड का होना जरूरी है. बाहर जाने के लिए घर के किसी मर्द का साथ होना जरूरी है, फिर चाहे डॉक्टर के यहां जाना हो या खरीदारी करने.
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फैशन और मेकअप
देश भर में महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए कपड़ों के तौर तरीकों के कुछ खास नियमों का पालन करना होता है. बाहर निकलने वाले कपड़े तंग नहीं होने चाहिए. पूरा शरीर सिर से पांव तक ढका होना चाहिए, जिसके लिए बुर्के को उपयुक्त माना जाता है. हालांकि चेहरे को ढकने के नियम नहीं हैं लेकिन इसकी मांग उठती रहती है. महिलाओं को बहुत ज्यादा मेकअप होने पर भी टोका जाता है.
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मर्दों से संपर्क
ऐसी महिला और पुरुष का साथ होना जिनके बीच खून का संबंध नहीं है, अच्छा नहीं माना जाता. डेली टेलीग्राफ के मुताबिक सामाजिक स्थलों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए प्रवेश द्वार भी अलग अलग होते हैं. सामाजिक स्थलों जैसे पार्कों, समुद्र किनारे और यातायात के दौरान भी महिलाओं और पुरुषों की अलग अलग व्यवस्था होती है. अगर उन्हें अनुमति के बगैर साथ पाया गया तो भारी हर्जाना देना पड़ सकता है.
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रोजगार
सऊदी सरकार चाहती है कि महिलाएं कामकाजी बनें. कई सऊदी महिलाएं रिटेल सेक्टर के अलावा ट्रैफिक कंट्रोल और इमरजेंसी कॉल सेंटर में नौकरी कर रही हैं. लेकिन उच्च पदों पर महिलाएं ना के बराबर हैं और दफ्तर में उनके लिए खास सुविधाएं भी नहीं है.
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आधी गवाही
सऊदी अरब में महिलाएं अदालत में जाकर गवाही दे सकती हैं, लेकिन कुछ मामलों में उनकी गवाही को पुरुषों के मुकाबले आधा ही माना जाता है. सऊदी अरब में पहली बार 2013 में एक महिला वकील को प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला था.
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खेलकूद में
सऊदी अरब में लोगों के लिए यह स्वीकारना मुश्किल है कि महिलाएं भी खेलकूद में हिस्सा ले सकती हैं. जब सऊदी अरब ने 2012 में पहली बार महिला एथलीट्स को लंदन भेजा तो कट्टरपंथी नेताओं ने उन्हें "यौनकर्मी" कह कर पुकारा. महिलाओं के कसरत करने को भी कई लोग अच्छा नहीं मानते हैं. रियो ओलंपिक में सऊदी अरब ने चार महिला खिलाड़ियों को भेजा था.
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संपत्ति खरीदने का हक
ऐसी औपचारिक बंदिश तो नहीं है जो सऊदी अरब में महिलाओं को संपत्ति खरीदने या किराये पर लेने से रोकती हो, लेकिन मानवाधिकार समूहों का कहना है कि किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना महिलाओं के लिए ऐसा करना खासा मुश्किल काम है.
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इस वीडियो में महिलाएं बास्केटबॉल खेलती, गाती, नाचती दिखाई गई हैं जो सऊदी अरब में महिलाओं का सार्वजनिक रूप से करना मना है. ऐसे कई दकियानूसी सामाजिक कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने में यह वीडियो कारगर साबित हो रहा है. सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया भर में देखा जा रहा यह गीत महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किए जाने और एक इंसान होने के नाते उनके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करने वाले नियमों के खिलाफ नारा बन रहा है.
शक्तिशाली संदेश वाले इस तरह के वीडियो बनाने के लिए इसके निर्माता और अदाकारों को जेल हो सकती है या कोड़े लगाए जाने जैसी सजा दी जा सकती है. सऊदी अरब में सरकार और धार्मिक ईकाइयों के बीच स्थापित गहरे संबंध के कारण सभी सामाजिक मसलों पर धर्म के ठेकेदारों की चलती है. इसके पहले साल 2013 में भी सऊदी महिलाओं ने उनके गाड़ी चलाने पर लागू पाबंदी के खिलाफ एक म्युजिक वीडियो बनाया था, जो "No Woman No Drive" कहलाया था. इस बार वायरल हो रहा पूरा म्युजिक वीडियो यहां देखिए और इस बारे में अपनी राय नीचे टिप्पणियों में लिख भेजिए.