अमीरों और गरीबों में बढ़ते फासले
२० जनवरी २०२०![G7-Gipfel Protest Demonstration BdTD](https://static.dw.com/image/50147361_800.webp)
दावोस में होने वाले सालाना विश्व आर्थिक फोरम से ठीक पहले ऑक्सफैम ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में अमीरों और गरीबों के बीच खाई बढ़ रही है. ऑक्सफैम की रिपोर्ट "टाइम टू केयर" के मुताबिक दुनिया भर में आर्थिक असमानता बढ़ी है. रिपोर्ट कहती है कि गरीब महिलाएं और लड़कियां इस पैमाने पर सबसे निचले पायदान पर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, "महिलाएं हर रोज साढ़े बारह अरब घंटे बिना किसी मेहनताने के काम करती हैं." अनुमान के मुताबिक यह हर साल कम से कम 10.8 ट्रिलियन डॉलर का काम करती हैं. महिलाएं जो काम करती हैं उसमें घर का काम, परिवार का ध्यान रखना शामिल है.
ऑक्सफैम इंडिया के प्रमुख अमिताभ बेहर के मुताबिक,"हमारी टूटी हुई अर्थव्यवस्थाएं आम पुरुषों और महिलाओं की कीमत पर अरबपतियों और बड़े कारोबारियों की जेबें भर रही हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि लोग अब सवाल करने लगे हैं कि अरबपतियों का अस्तित्व भी होना चाहिए?" दावोस में विश्व आर्थिक फोरम में ऑक्सफैम का प्रतिनिधित्व करने वाले बेहर कहते हैं, "अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता जब तक असमानता को खत्म करने वाली नीतियां नहीं बनाई जाती."
बढ़ रही है आर्थिक असमानता
विश्व आर्थिक फोरम से ठीक पहले ऑक्सफैम ने वैश्विक असमानता पर अपनी रिपोर्ट "टाइम टू केयर" जारी की है. रिपोर्ट में कुछ आश्चर्यजनक आंकड़े हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, "विश्व के 22 सबसे अमीर लोगों के पास अफ्रीका की सभी महिलाओं की तुलना में अधिक धन है." साथ ही रिपोर्ट कहती है कि अगर दुनिया के सबसे धनी एक फीसदी लोग 10 साल तक अपनी संपत्ति पर 0.5 फीसदी अतिरिक्त कर का भुगतान कर देते हैं तो यह बुजुर्गों, बच्चों की देखभाल, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में 11.7 करोड़ नए रोजगार पैदा करने के लिए जरूरी निवेश के बराबर होगा. ऑक्सफैम के यह आंकड़े फोर्ब्स पत्रिका और स्विस बैंक क्रेडिट सुइस पर आधारित है लेकिन कुछ अर्थशास्त्री इससे मतभेद रखते हैं. आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के 2,153 अरबपतियों के पास धरती की कुल आबादी का 60 फीसदी हिस्सा रखने वाले 4.6 अरब लोगों के मुकाबले अधिक संपत्ति है.
अमिताभ बेहर कहते हैं कि महिलाएं और लड़कियों पर खासतौर पर बोझ है क्योंकि वे ही अक्सर देखभाल का काम करती हैं. वे कहते हैं, "जिससे हमारी हमारी अर्थव्यवस्था, कारोबार और समाज के पहिए घूमते हैं. उनके पास शिक्षा हासिल करने, अच्छा जीवन जीने या हमारे समाज को चलाने के तरीकों पर अपनी राय देने के लिए बहुत ही कम समय होता है और इसी कारण वे अर्थव्यवस्था के निचले हिस्से पर फंसी रह जाती हैं." ऑक्सफैम के आंकड़े बताते हैं, "दुनियाभर में 42 फीसदी महिलाओं को नौकरी नहीं मिलती है क्योंकि वे देखभाल के काम में लगी रहती हैं जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा केवल छह फीसदी है." वहीं भारत की बात की जाए तो ऑक्सफैम के मुताबिक देश के एक फीसदी सबसे अमीर लोगों के पास देश के कुल 70 फीसदी लोगों से करीब चार गुना अधिक संपत्ति है. रिपोर्ट के मुताबिक इन अमीरों के पास इतनी संपत्ति है कि देश के एक साल का बजट बन जाए.
एए/एमजे (एएफपी)
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