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शिक्षाजर्मनी

पीएचडी थीसिस लिखना सीखें

२९ अप्रैल २०१३

पीएचडी थीसिस लिखना आसान काम नहीं. जर्मनी में हाल ही नकल कर पीएचडी लिखने के लिए कई मामले सामने आए जो इसे लिखने की मुश्किल बयान करते हैं. अब 30 यूनिवर्सिटियों में इसके लिए मिलती है खास ट्रेनिंग.

तस्वीर: Ronny Arnold

अनुशासन, ध्यान, और सिस्टम, पीएचडी करने वाले जैनब ए के पास ये सब है. लेकिन सीरिया से जर्मनी पढ़ने आई 30 साल की जैनब ने येना यूनिवर्सिटी में पीएचडी लिखना सीखने के लिए कोर्स में रजिस्ट्रेशन करवाया है. क्योंकि पीएचडी वो भी जर्मन में उनके लिए एक बड़ी चुनौती है. जैनब कहती हैं, "इसमें कानूनी भाषा के विशेष शब्द और जुड़ जाते हैं जो मुझे बहुत मुश्किल लगते हैं." जैनब ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में कानून की पढ़ाई की. पांच साल पहले वह जर्मनी आई. उन्होंने फाइनेंशियल लॉ में मास्टर डिग्री हासिल की और अब येना यूनिवर्सिटी में पीएचडी लिख रही हैं.

इस कोर्स में जैनब को सिखाया जाएगा कि वह कैसे अपना शोध प्रबंध अच्छा लिख सकती हैं और खुद को कैसे व्यवस्थित कर सकती हैं. सीरियाई शोध छात्रा को उम्मीद है कि उन्हें कोर्स प्रमुख पेटर ब्राउन कुछ व्यावहारिक नुस्खे दे सकेंगे.

इस कोर्स में कुल 11 शोध छात्र हिस्सा ले रहे हैं. ये सभी बिलकुल अलग अलग विषयों से संबद्ध हैं. ये दूसरी बार इस कोर्स में हिस्सा ले रहे हैं. अक्सर इस कोर्स में विदेशी छात्र अपना नाम दर्ज करवाते हैं. ब्राउन कहते हैं, "यहां वो थीसिस लिखने का हर कदम सीख सकते हैं कि एक थीसिस कैसे आगे जाती है."

प्रमुख पेटर ब्राउनतस्वीर: Ronny Arnold

व्यवस्थित लिखना

इस कोर्स में खेल विज्ञानी, शिक्षा विशेषज्ञ, मनोविज्ञानी, इतिहास, भूगोल और समाज विज्ञान में शोध करने वाले छात्र भी शामिल हैं. पहले अभ्यास में पेटर ब्राउन उन्हें समझाते हैं कि वह किस तरह लिखने वालों में शामिल हैं. उन्हें शोध कैसे लिखना चाहिए और छात्रों की ताकत और कमियां क्या हैं. ब्राउन छात्रों को बताते हैं, "तुरंत लिखने वाले लोग भी होते हैं जिन्हें लिखना मुश्किल नहीं लगता. उन्हें ये पसंद है और वह जल्दी ये काम कर सकते हैं." लेकिन उन्हें मुश्किल होती है एक संरचना बनाने में. खासकर बड़े, ज्यादा लिखाई वाले प्रोजेक्टों में.

जैनब के लिए यह कोई मुश्किल नहीं है. उनकी छोटी बेटी सुनिश्चित करती है कि मां रोज सुबह समय पर उठ जाएं और फिर कुछ देर बाद लिखें. वह बताती हैं, "मेरा लिखने का सबसे क्रिएटिव समय दोपहर 12 से पहले का है. तब शांति होती है और मैं पूरी एकाग्रता के साथ काम कर सकती हूं." वह यह भी कहती हैं उन्हें इस तरह सिस्टमैटिक लिखना जरूरी है नहीं तो वह नहीं लिख पाती.

खुद की आलोचना

पेटर ब्राउन कहते हैं कि शोध छात्रों को छोटे टेक्स्ट ही लिखने चाहिए. उनका मानना है कि यह समय प्रबंधन के लिए बहुत अच्छा है. रिसर्च के दौरान ही पहले नोटिस छोटे छोटे शब्दों में लिखें. की वर्ड्स को पेपर पर लिखने से बहुत मदद मिलती है.

मिकैल मेलनिकोवतस्वीर: Ronny Arnold

शुरुआत करने के बाद कोर्स में शामिल छात्र अपने टेक्स्ट लिखते हैं. इसमें बहुत जरूरी है कि वह बार बार पाठक के दृष्टिकोण से भी सोचें और दूसरों के शोध पेपर पूरी गंभीरता से पढ़ें. कि कैसे उन्होंने एक विशेष समस्या का हल खोजा. कैसे उन्होंने शुरुआत की है और कैसे दूसरों के वक्तव्यों का इस्तेमाल किया है. इस तरह लिखने का अभ्यास किया जा सकता है. पूरे ध्यान के साथ हर पैराग्राफ पढ़ा जाए और केंद्रीय विषय का पता लगाया जाए.

मुफ्त प्रशिक्षण

येना का लेखन कोर्स दो साल से चल रहा है. इसमें ग्रुप्स के लिए सेमिनार हैं और शोधछात्रों के लिए व्यक्तिगत सलाह भी. मिकैल मेलनिकोव इसी तरह के एक सेमिनार में शामिल हैं. वो 10 साल पहले रूस से जर्मनी आए और फिलहाल इतिहास और भाषा विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं. जर्मन वह अभी भी सहजता के साथ नहीं लिख पाते क्योंकि यह उनकी मातृभाषा नहीं है. मेलनिकोव बताते हैं, "इसलिए मैंने इस सुविधा का तुरंत लाभ उठाया ताकि मैं अपने कुछ पाठ लेखन केंद्र में लोगों को बताऊं. " एक एक करके ब्राउन और मिकैल ने शोध पढ़ा. कुछ हिस्से उन्होंने बदले, कुछ पूरे नए लिखे. वह मानते हैं, "अगले लेखन के लिए यह बहुत मदद करेगा." इस मदद के लिए मिकैल मेलनिकोव को कोई पैसा नहीं देना पड़ा और दूसरे छात्रों को भी नहीं.

रिपोर्टः रोनी आर्नोल्ड/ एएम

संपादनः एन रंजन

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