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पीएम की गिरफ्तारी से इनकार

१७ जनवरी २०१३

पाकिस्तान की भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ने प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को गिरफ्तार करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ संस्था का कहना है कि उसके पास अशरफ के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

तस्वीर: AP

चीफ जस्टिस इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी ने मंगलवार को देश के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) को आदेश दिया था कि 2010 के बिजली घोटाले में शामिल सभी लोगों को गिरफ्तार किया जाए और अदालत को इस बात की जानकारी दी जाए कि अब तक ऐसा क्यों नहीं किया गया.

एनएबी के प्रमुख फासिह बुखारी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा कि 2010 के पावर प्रोजेक्ट की जांच पूरी नहीं हुई है. उनका कहना था कि जो लोग इसमें आरोपी हैं, उनके खिलाफ सबूत हासिल करने में अभी समय लगेगा. जस्टिस चौधरी ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि 15 मिनट के अंदर एनएबी अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करे. फिर अदालत खुद से वे सबूत निकाल सकता है, जिसके आधार पर कार्रवाई की जा सके.

मार्च 2012 में अदालत ने अशरफ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए थे. उस वक्त वह बिजली और जल मंत्री थे. वह राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेहद करीबी माने जाते हैं. उस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी थे, जिन्हें अदालत की अवमानना के बाद पद से हटना पड़ा था.

जब चौधरी ने मामले की रिपोर्ट मांगी, तो एनएबी ने पलटवार करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक संवैधानिक संस्था है, लिहाजा उसका काम मामले की जांच करना नहीं है.

कादरी के समर्थन में जमा भीड़तस्वीर: DW/ S. Raheem

चौधरी ने फिर कहा, "हमारा काम है कि इंसाफ हो. हमने पूरा आदेश दस्तावेजी सबूत के आधार पर दिया है. हो सकता है कि कुछ लोग खुद को कानून से ऊपर समझते हों. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ऐसा कोई नहीं है. आपकी मशीनरी इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है. क्या बाधा है."

मंगलवार को जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी के आदेश दिए तो पूरे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया. पहले से ही राजनीतिक उथल पुथल के शिकार मुल्क में एक अनिश्चितता सी फैल गई. पाकिस्तान और भारत की फौजों के बीच सरहद पर तनाव चल रहा है और पाकिस्तान के अंदर हाल के दिनों में शिया मुसलमानों की बर्बर हत्या हुई है. इस बीच कनाडा से वतन लौटे एक इस्लामी नेता ताहिरुल कादरी ने इस्लामाबाद में विशाल रैली की, जिसमें भारी संख्या में भीड़ जमा हुई.

पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं और इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इसे टालने के प्रयास हो रहे हैं. कुछ लोगों का आरोप है कि मौलाना कादरी को पाकिस्तानी फौज प्रोमोट कर रही है. 1947 में पाकिस्तान के गठन के बाद से एक भी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है.

विपक्षी पार्टियों ने कादरी का समर्थन करने से इनकार कर दिया और सरकार से चुनाव की तारीख तय करने की मांग की. सरकार ने कहा है कि मार्च में संसद को भंग कर दिया जाएगा और इसके 60 दिनों के भीतर देश में चुनाव कराए जाएंगे. इस तरह मई में चुनाव की बात चल रही है लेकिन तारीख तय नहीं की गई है. कादरी का कहना है कि संसद को फौरन भंग किया जाए और देश में कामचलाऊ सरकार बनाई जाए.

एजेए/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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