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पीछे की ओर चल पड़े कुछ ग्रह

१३ मई २०११

हमारे सौरमंडल के कुछ ग्रह पीछे की ओर घूमने लगे हैं. वैज्ञानिक इस गति से चकित हैं. इनमें से ज्यादातर गैसीय ग्रह हैं और पृथ्वी जैसे ग्रह नियमित कक्षा में ही घूम रहे हैं. इस ब्रह्मांड में 500 से ज्यादा ग्रह बताए जाते हैं.

This artist's conception shows a Jupiter-sized planet forming from a disk of dust and gas surrounding a young, massive star. The planet's gravity has cleared a gap in the disk. Of more than 500 stars examined in the W5 star-forming region, 15 show evidence of central clearing that may be due to forming planets. Photo: David A. Aguilar, CfA +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture alliance/dpa

खगोल वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ज्यूपिटर जैसे बड़े गैसीय पिंड वाले ग्रह अपनी कक्षा में उलटी तरफ घूमने लगे हैं. वे उस तरफ नहीं घूम रहे हैं, जिस तरह उनका प्रमुख तारा यानी सूर्य घूम रहा है. हालांकि पृथ्वी सहित ज्यादातर ग्रह अपनी कक्षा में उसी दिशा में चक्कर लगा रहे हैं, जिस दिशा में उनका मुख्य तारा लगा रहा है.

उलटी दिशा में घूम पड़े ग्रहों में से कुछ सूर्य के निकट हैं और यह वैज्ञानिकों को ज्यादा परेशान कर रहा है. हालांकि ज्यूपिटर सूर्य से करीब 77 करोड़ किलोमीटर दूर है, जो सूर्य और पृथ्वी की दूरी से पांचगुना है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फ्रेडरिक रासियो का कहना है, "ये बड़ा अजीब मामला है. यह ज्यादा अजीब इसलिए बन जाता है क्योंकि ये सूर्य के निकट हैं. कैसे कोई ग्रह एक दिशा में चक्कर लगा सकता है और उसी सौरमंडल का दूसरा ग्रह उलटी दिशा में. यह पागल कर देने वाला है. यह बात हमारे सौरमंडल के बुनियादी नियमों के खिलाफ है."

खगोलविज्ञानियों ने बहुत पहले कहा था कि गैस से बने विशाल ग्रह सूर्य से दूर होते जा रहे हैं, जबकि पृथ्वी जैसे ठोस ग्रह सूर्य के पास आ रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसी सौरमंडल में एक तारा और एक ग्रह से ज्यादा होंगे, तो उन ग्रहों का अपना गुरुत्वाकर्षण बल भी होगा. इसका परिणाम यह हो सकता है कि वे ग्रह एक दूसरे की ओर खिंचें या दूर जाएं, जिससे उनकी स्थिति बदल सकती है. ऐसे में गैसीय पिंड मुख्य तारे से करीब आ सकते हैं और उनकी कक्षा उलटी भी हो सकती है.

वैज्ञानिक 1995 से ही इस सौरमंडल से बाहर के ग्रहों की तलाश कर रहे हैं लेकिन उन्हें कुछ ही ग्रह मिल पाए हैं. अमेरिका का राष्ट्रीय साइंस फाउंडेशन इस तथ्य को सही ठहराता है.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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