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पुणे धमाका: एटीएस अधिकारी ने बदला बयान

१७ सितम्बर २०१०

गुरुवार को आतंक निरोधी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने एटीएस प्रमुख के दावे का विरोध किया. कहा, जर्मन बेकरी में बम रखने के लिए लश्कर ए तैयबा का सदस्य हिमायत बेग, मोहम्मद अहमद जरार सिद्दीबप्पा उर्फ यासिन के साथ नहीं गया.

तस्वीर: AP

लेकिन फिर डीआईजी रवींद्र कदम ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि ऐसा बयान देना उनकी बेवकूफी थी. "मेरे पास आधी अधूरी जानकारी थी और इसलिए हमारे बयान में फर्क था. एटीएस प्रमुख राकेश मारिया का कहना सही है."

एक दिन पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए कदम ने जानकारी देते हुए बताया, "उन्होंने (संदिग्ध आईएम सदस्य मोहसिन चौधरी, यासिन और हिमायत बेग) यहां बम बनाया. फिर मोहसिन और यासिर पुणे गए जहां यासिन ने 13 फरवरी को जर्मन बेकरी में बम रखा और फिर दोनों अलग अलग दिशा में चले गए."

तस्वीर: AP

हिमायत बेग के पुणे जाने से कदम ने इनकार किया था. जबकि पिछले सप्ताह बेग की गिरफ्तारी के बाद मारिया ने कहा कि धमाके वाले दिन बेग बेकरी के बाहर खड़ा था और मोहम्मद ने विस्फोटक रखे. "जनवरी में बेग ने मोहम्मद अहमद और मोहसिन चौधरी के साथ षडयंत्र बनाने और लक्ष्य चुनने के लिए उदगिर में अपने गोल्ड इंटरनेट कैफे में बातचीत की. और धमाके के लिए जर्मन बेकरी को चुना गया."

मारिया ने आगे दावा किया कि 3 फरवरी को उदगिर में एक और बैठक की गई. "7 फरवरी से उन्होंने बम बनाना शुरू किया. जिसे धमाके के एक दिन पहले पुणे लाया गया. 13 तारीख को मोहम्मद अहमद बम शाम चार बजे के आसपास बेकरी में ले गया और कुछ ही मिनटों में बाहर आया. इस दौरान बेग बाहर खड़ा था."

मारिया ने मुद्द पर कहा कि जांच के लिए अलग अलग टीमें अलग अलग काम कर रही हैं. "हमारी टीमें राज्य के अलग अलग हिस्सों में गई हैं. अगर को जांच के बारे में जानकारी चाहता है तो मुझसे संपर्क कर सकता है क्योंकि मैं इस मामले को देख रहा हूं." अपने जूनियर की विरोधाभासी सूचना पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार किया.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः एस गौड़

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