रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन से मॉस्को में मिलकर कई अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत करने वाले हैं. सीरिया के हालात चर्चा के केंद्र में होने की भी उम्मीद है.
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रूस और तुर्की दोनों ही देश सीरिया के मुद्दे पर मध्यस्थता के प्रयास शुरू कर चुके हैं और वहां आपसी समन्वय बिठाते हुए सैनिक कार्रवाई करने पर ध्यान दे रहे हैं. दोनों देशों ने दिसंबर 2016 में एक युद्धविराम समझौते तक पहुंचने में कामयाबी पायी थी, जिससे सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद और विपक्ष के बीच हिंसा को कुछ हद तक कम करने में मदद मिली थी. इसके अलावा दोनों देश इस साल असद सरकार के समर्थकों और उनके विरोधियों की वार्ता के सहप्रायोजक की भूमिका में भी रहे. इस वार्ता का तीसरा चक्र मार्च के मध्य में होना तय हुआ है.
दूसरी ओर, सीरिया में आईएस के खिलाफ जारी हिंसक संघर्ष में रूस और तुर्की दोनों सैनिक कार्रवाई भी कर रहे हैं. फरवरी में एक रूसी हवाई हमले की चपेट में आने से तीन तुर्क सैनिक भी मारे गये थे. इस घटना के बावजूद दोनों के बीच सैन्य सहयोग का सिलसिला नहीं टूटा और मॉस्को वार्ता में दोनों नेता इस बाबत सहयोग को और मजबूत बनाने पर चर्चा कर सकते हैं. इसका एक कारण यह भी है कि बीते साल तुर्क सेना द्वारा रूसी जेट को मार गिराने के बाद तुर्की राष्ट्रपति एर्दोआन ने इसके लिए तुरंत माफी मांग ली. फिर पुतिन ने भी जुलाई में तुर्की में तख्तापलट की असफल कोशिश के बाद एर्दोआन के प्रति पक्का समर्थन जताया.
शुक्रवार को होने वाली इस मुलाकात के कुछ ही दिन पहले रूस, अमेरिका और तुर्की के सैन्य प्रमुखों ने तुर्की के अनताल्या में मिल कर सैनिक कार्रवाई को और प्रभावी बनाने के रास्ते तलाशे. उनका जोर इस पर भी रहा कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़े रहे सभी पक्षों के बीच परस्पर भरोसा बढ़ाया जा सके. सीरिया में तुर्की के समर्थन वाली विपक्षी सेना है, तो अमेरिका के समर्थन वाली कुर्द सेना भी. वहीं रूस अपने साथी सीरिया के शासक असद की सरकारी सेना की मदद में सैन्य कार्रवाई कर रहा है. सीरिया में आतंकी समूह आईएस के खिलाफ रूस और तुर्की के बीच सहयोग बढ़ना दोनों देशों की सालों पुरानी स्थितियों से बड़ा बदलाव होगा. पिछले करीब छह साल से सीरिया युद्ध की चपेट में है और तुर्की और रूस दोनों सीरिया के अलग अलग पक्षों की मदद करते आए हैं.
रूस धीरे धीरे तुर्की के खिलाफ लगाये गए आर्थिक प्रतिबंधों को हटा रहा है. क्रेमलिन में द्विपक्षीय वार्ता के एक शाम पहले ही रूस ने तुर्की से कुछ और कृषि उत्पादों के आयात पर लगी रोक हटा दी. क्रेमलिन के अनुसार वार्ता में रूस की प्रस्तावित प्राकृतिक गैस की पाइपलाइन और तुर्की में परमाणु ऊर्जा प्लांट स्थापित करने की योजनाओं पर भी चर्चा होगी.
आरपी/ओएसजे (एपी,डीपीए)
ऐसी है आईएस की 'राजधानी' रक्का
सीरिया का रक्का शहर आतंकवादी गुट इस्लामिक स्टेट की अघोषित राजधानी है. अब अमेरिका के समर्थन से कुर्द अरब सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स ने इस शहर को फिर से हासिल करने के लिए अभियान का एलान किया है.
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जब रक्का आबाद था
सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने से पहले रक्का में दो लाख 40 हजार लोग रहते थे. लेकिन इनमें से 80 हजार लोग अब दूसरी जगहों पर जा चुके हैं.
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हाथ से निकला रक्का
तुर्की की सीमा के नजदीक यूफ्रेटस नदी पर बसा रक्का मार्च 2013 में ऐसी पहली प्रांतीय राजधानी थी जिस पर विद्रोहियों का कब्जा हुआ. उस वक्त अल कायदा से जुड़े अल नुसरा फ्रंट ने इस पर कब्जा किया.
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रक्का के लिए फूट
जनवरी 2014 में विद्रोहियों में आपस में लड़ाई छिड़ गई. इसमें एक तरफ अल नुसरा लड़ाके थे तो दूसरी तरफ वे जिन्होंने बाद में इस्लामिक स्टेट बनाया. लेकिन कामयाबी इस्लामिक स्टेट की बुनियाद रखने वालों को मिली.
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खिलाफत
पांच महीने बाद इराकी शहर मोसुल भी आईएस के कब्जे में आ गया और फिर आईएस के प्रमुख अबु बक्र अल बगदादी ने अपनी खिलाफत का एलान किया.
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दहशत से राज
इस्लामिक स्टेट ने रक्का में स्कूलों में ड्रेस कोड लागू किया और चर्चों को हमलों का निशाना बनाया. कई लोगों को अगवा किया और कइयों के सिर कलम किए.
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नर्क का चौक
शहर के जिस इलाके को कभी हेवन स्क्वेयर यानी स्वर्ग चौक कहा जाता था, उसका इस्तेमाल अब घिनौनी सजाएं देने के लिए किया जाता है जिससे लोग इसे नर्क का चौक कहने लगे.
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यौन गुलामों का कारोबार
रक्का के मुख्य इलाके में यौन गुलामों का कारोबार होता है, खास कर अगवा की गई यजीदी लड़कियों को यहां बेचा जाता है.
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शराब सिगरेट बैन
जिहादियों ने रक्का में कड़े इस्लामी कानूनों को लागू करते हुए शराब और सिगरेट पर बैन लगा रखा है. पुरुषों को दाढ़ी न काटने की हिदायत है तो महिलाओं को हर हाल में नकाब पहनने को कहा गया है.
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खरीददारी पर भी नियम
दुकानों में खरीददारी करने के लिए सिर्फ शादीशुदा लोग जा सकते हैं और वहां प्लास्टिक के पुतले रखने की सख्त मनाही है.
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नई व्यवस्था, नया निजाम
आईएस ने सभी प्रशासनिक कार्यों पर अपना नियंत्रण कर लिया है. वह स्कूलों का नया पाठ्यक्रम तय कर रहा है, नई इस्लामी अदालतें बना रहा है और शरिया कानून के मुताबिक नीतियां बना रहा है.
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रक्का से ही सब चलता है
सीरिया की राजधानी दमिश्क से 550 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित रक्का में हजारों विदेशी जिहादी भी आईएस में शामिल होने जाते हैं. खुफिया एजेंसियां का कहना है कि इसी शहर में विदेशों में हमलों की योजनाएं तैयार होती हैं.
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विदेशियों से जलन
आईएस के लिए लड़ने वाले विदेशियों को भरपूर सुख सुविधाएं दी जाती हैं. इसे लेकर अक्सर सीरियाई लोग अपनी आपत्ति भी जताते हैं जिन्हें विदेशी लड़ाकों के मुकाबले कमतर समझा जाता है.