रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कटु आलोचक अलेक्सी नावाल्नी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. पिछले महीने उन्हें रूस में जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी. इसके बाद बर्लिन के एक अस्तपताल में उनका इलाज हो रहा था.
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नावाल्नी बर्लिन के शारिटे अस्पताल में 32 दिन तक भर्ती रहे. लेकिन बुधवार को अस्पताल ने कहा कि उनकी तबियत में बहुत सुधार आया है और अब उन्हें छुट्टी दी जा सकती है. अस्पताल ने कहा कि नावाल्नी को मंगलवार को ही डिस्चार्ज कर दिया गया था. अस्पताल का कहना है, "नावाल्नी की तबियत के बारे में जानकारी खुद नावाल्नी और उनकी पत्नी से सलाह मशविरा करने के बाद सार्वजनिक की गई है."
जर्मन सरकार का कहना है कि जर्मनी, फ्रांस और स्वीडन में हुए टेस्ट के नतीजे बताते हैं कि नावाल्नी को सोवियत काल के एक नर्व एजेंट के जरिए जहर दिया गया था. यह घटना 20 अगस्त की है जब वह एक घरेलू उड़ान के जरिए साइबेरिया से मॉस्को जा रहे थे. लेकिन उड़ान के दौरान जब नावाल्नी की तबियत बिगड़ने लगी तो विमान की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई.
नावाल्नी की प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने विमान में सवार होने से पहले सिर्फ एयरपोर्ट पर चाय पी थी. इसके बाद नावाल्नी को इलाज के लिए जर्मनी लाया गया. शारिटे अस्पताल का कहना है कि नावाल्नी को कुल 24 दिन आईसीयू में रखा गया और इस दौरान वह दो हफ्तों तक चिकित्सीय कोमा रखे गए क्योंकि उन्हें एंटीडोट दिए जा रहे थे.
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रूस के विरोधियों का हुआ यह हश्र
रूस की सरकार पर अकसर अपने विरोधियों को साफ करने के आरोप लगते रहे हैं. इस तरह की घटनाओं में कई बार घातक जहर का इस्तेमाल किया गया है. एक नजर कुछ ऐसे ही मामलों पर.
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अज्ञात पदार्थ
सबसे ताजा मामला रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी का है. ब्रिटिश पुलिस का कहना है कि उन पर एक दुर्लभ पदार्थ से हमला किया गया जिसके बाद उनकी हालत काफी वक्त तक गंभीर बनी रही. ब्रिटेन में रूसी दूतावास ने स्क्रिपाल और उनकी बेटी को जहर दिए जाने के बारे में ब्रिटिश मीडिया की खबरों पर चिंता जताई है. रूस का कहना है कि वह इस मामले की जांच में हर तरह के सहयोग को तैयार है.
जहरीला छाता
शीत युद्ध के दौर में एक बुल्गारियाई विद्रोही को जहरीली नोक वाले एक छाते से मारा गया था. मारकोव एक लेखक और पत्रकार थे. उस समय के कम्युनिस्ट नेतृत्व के कटु आलोचक मारकोव ने 11 सितंबर 1978 को दम तोड़ा. विद्रोहियों का कहना है कि उनकी हत्या के पीछे सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी का हाथ था.
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पोलोनियम-210
केजीबी के पू्र्व जासूस एलेक्जेंडर लितविनेंको ने लंदन के मिलेनियम होटल में ग्रीन टी पी, जिसमें जहरीला पदार्थ पोलोनियम-210 मिला था. आरोप लगते हैं कि यह हत्या खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कहने पर हुई थी, हालांकि रूसी सरकार ने इससे हमेशा इनकार किया. पुतिन के कटु आलोचक लितविनेंको लंदन में रह रहे थे.
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अचानक मौत
नवंबर 2012 में लंदन के एक होटल के बाद अपने एक आलीशान घर में 44 वर्षीय रूसी नागरिक एलेक्जेंडर पेरेपीलिछनी मृत पाए गए. उन्होंने रूसी मनी लॉन्ड्रिंग की छानबीन करने वाली एक स्विस जांच में मदद की थी जिसके बाद उन्हें रूस से भागना पड़ा. उनकी अचानक मौत के बाद भी हत्या होने का संदेह गहराया. लेकिन रूस ने भी इसमें अपना हाथ होने से इनकार किया.
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अब तक बाकी निशान
यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर युशचेंकों के चेहरे पर 2004 में उस समय जहरीला पदार्थ फेंका गया जब वह राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक रैली में थे. पश्चिम समर्थक युशचेंको तत्कालीन प्रधानमंत्री और रूस समर्थक विक्टर यानुकोविच के खिलाफ मैदान में थे. दर्जनों बार सर्जरी के बावजूद युशचेंकों के चेहरे और शरीर से अब तक निशान नहीं गए हैं. रूस ने इसमें भी अपना हाथ होने से इनकार किया.
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कई बार हमले की कोशिश
रूस के विपक्षी कार्यकर्ता व्लादिमीर कारा-मुर्जा का मानना है कि उन्हें 2015 से 2017 के बीच कई बार जहर देने की कोशिश हुई. बाद में जर्मनी प्रयोगशाला के टेस्ट में उनके शरीर में तीव्र स्तर का पारा, तांबा, मैगनीज और जिंक के अवशेष मिले. रूस ने इस मामले से भी पल्ला झाड़ लिया.
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डॉक्टरों को शुक्रिया
अस्पताल से छुट्टी दिए जाने से पहले शनिवार को नावाल्नी ने अपनी एक फोटो पोस्ट की थी जिसमें वह सीढ़ियों से उतर रहे हैं. अपनी तबियत बेहतर होने के लिए उन्होंने जर्मन डॉक्टरों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, "बहुत सारी समस्याएं अब भी सुलझाई जानी बाकी हैं. लेकिन शारिटे अस्पताल के जबरदस्त डॉक्टरों ने मुख्य समस्या को सुलझा दिया है."
जर्मनी के रासायनिक हथियार विशेषज्ञों ने पाया कि 44 साल के नावाल्नी को जहर दिया गया था. इसके बाद जर्मनी ने रूस की सरकार से इस मामले की पूरी जांच कराने की मांग की. नावाल्नी के सहयोगी उन्हें जहर दिए जाने के पीछे रूसी सरकार का हाथ बताते हैं, हालांकि रूस ऐसे आरोपों से इनकार करता है. इस बारे में कार्रवाई करने के लिए जब जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और अन्य नेताओं ने फोन किया तो रूस की सरकार भड़क गई.
रूस का कहना है कि उसे अभी तक नावाल्नी को जहर दिए जाने के सबूत नहीं दिए गए हैं और उसने अभी तक इस मामले की जांच शुरू करने से भी इनकार किया है. इसकी बजाय आधिकारिक जांच से पहले की छानबीन की जा रही है.
रूस के विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी पुतिन विरोधी मुहिम का सबसे प्रमुख चेहरा हैं. लेकिन इस वक्त वह आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. शक है कि उन्हें जहर दिया गया है.
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रूसी विरोध का चेहरा
रूस में विरोध करने वालों के बीच एक बुलंद आवाज और मजबूत छवि अलेक्सेई नावाल्नी की है. नावाल्नी ने 2008 में एक ब्लॉग लिख कर रूसी राजनीति और सरकारी कंपनियों के कथित गंदे कामों की ओर लोगों का ध्यान खींचा. उनके ब्लॉग में लिखी बातें अकसर इस्तीफों की वजह बनती हैं जो रूस की राजनीति में दुर्लभ बात है.
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विवादित संसदीय चुनाव
2011 में नावाल्नी को पहली बार गिरफ्तार किया गया. मॉस्को में डूमा के बाहर हुई रैली में उनकी भूमिका के लिए उन्हें 15 दिन की सजा हुई. संसदीय चुनाव में पुतिन की यूनाइटे़ड रसिया जरूर जीती लेकिन सोशल मीडिया पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से डाली तस्वीरों ने चुनाव के दौरान हुई धांधलियों को उजागर किया. बाहर निकलने पर नावाल्नी ने विरोध प्रदर्शनों के लिए "असाधारण कोशिशों" को जारी रखने की शपथ ली.
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दूसरी बार जेल
2012 में दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने रूस की जांच कमेटी को नावाल्नी के अतीत की आपराधिक जांच का आदेश दिया. इसके अगले साल नावाल्नी पर आरोप लगे और उन्हें सजा दी गई. इस बार उन्हें किरोव शहर में हुई कथित आगजनी के लिए पांच साल की सजा मिली. हालांकि उन्हें अगले ही दिन रिहा कर दिया गया क्योंकि उच्च अदालत से सजा की पुष्टि नहीं हो सकी. बाद में उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया.
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क्रेमलिन का विरोध बढ़ा
कानूनी पचड़ों में फंसने के बावजूद नावाल्नी को 2013 में मॉस्को के मेयर का चुनाव लड़ने की इजाजत मिल गई. पुतिन के सहयोगी सर्गेई सोब्यानिन से मुकाबले में दूसरे नंबर पर आकर नावाल्नी पुतिन विरोध की मुहिम को आगे बढ़ाने में कामयाब हो गए.
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सोशल मीडिया पर नावाल्नी की लड़ाई
राष्ट्रपति के विरोध में गढ़े नारों के कारण नावाल्नी को रूस के सरकारी टेलिविजन पर दिखाने की रोक लग गई. मजबूर हो कर नावाल्नी ने अपना राजनीतिक संदेश सोशल मीडिया और ब्लॉग के जरिए लोगों तक पहुंचाने लगे. अच्छा भाषण देने, पुतिन और उनके सहयोगियों पर तीखे व्यंग्य और हास्य के जरिए उनका मजाक बना कर नावाल्नी ने युवा प्रशंसकों की एक फौज खड़ी कर ली है.
तस्वीर: Alexei Navalny/Youtube
राष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा
दिसंबर 2016 में विपक्षी नेता ने मार्च 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी के अभियान की औपचारिक शुरूआत की. हालांकि लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई. उनके समर्थकों का कहना है कि उन पर लगे सारे आरोप राजनीति से प्रेरित थे.
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भ्रष्टाचार के दोषी
2016 में यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने फैसला दिया कि किरोव मामले में रूस की सरकार ने नावाल्नी की उचित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन किया. रूस की सर्वोच्च अदालत ने पांच साल कैद की सजा उलट दी लेकिन इस फैसले को किरोव की अदालत में वापस भेज दिया गया. 2017 में फिर उन्हें पांच साल के निलंबित कैद की सजा सुनाई गई. नावाल्नी ने फैसले को चुनौती दी और इस पर सुनवाई जारी है.
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6 साल में मॉस्को का सबसे बड़ा प्रदर्शन
फरवरी 2017 में भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्जनों शहरों में हुई रैलियों के कारण देश भर में नावाल्नी समेत 1000 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हुए. 2012 के बाद यह विरोध प्रदर्शन सबसे ज्यादा बड़े थे. नावाल्नी ने अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेद्वेव को एक अरब यूरो के एक इम्पायर से संबंधित बताया. 15 दिन बाद नावाल्नी को रिहा कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Evgeny Feldman for Alexey Navalny's campaign
शारीरिक हमला
नावाल्नी पर शारीरिक हमले भी हुए. अप्रैल 2017 में उनकी एक आंख में किसी ने केमिकल डाइ फेंक दिया इसकी वजह से उनके दक्षिणी कॉर्निया को भारी क्षति हुई. नावल्नी ने रूसी अधिकारियों पर आरोप लगाया कि किरोव मामले की आड़ लेकर उन्हें इलाज के लिए बाहर नहीं जाने दिया जा रहा. हालांकि रूसी राष्ट्रपति दफ्तर से जुड़े मानवाधिकार परिषद की दखल के बाद उन्हें स्पेन जा कर आंख का ऑपरेशन कराने की अनुमति मिली.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Feldman
जहर दिया गया?
20 अगस्त 2020 को नावाल्नी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. वह मॉस्को जा रहे थे कि विमान की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई और उन्हों तुरंत आईसीयू में दाखिल कराया गया. डॉक्टर उनकी हालत को गंभीर बता रहे हैं. नावाल्नी की प्रवक्ता का कहना है कि शायद चाय के जरिए उन्हें जहर देने की कोशिश की गई है.