नाटो ने रूसी राष्ट्रपति की धमकी को "अस्वीकार्य" करार दिया है. पुतिन की धमकी ने अमेरिका और जर्मनी समेत कई देशों को चिंता में डाल दिया है.
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नई पीढ़ी के घातक हथियार विकसित करने के एलान पर नाटो ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. पूर्वी यूरोप में नाटो के विस्तार से आहत पुतिन ने गुरुवार को हाइपरसॉनिक मिसाइलें और अंडरवॉटर ड्रोन हथियार विकसित करने की घोषणा की. पुतिन ने अमेरिका और नाटो को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि मॉस्को के सहयोगियों पर कोई भी हमला रूस पर आक्रमण समझा जाएगा और तुरंत उसका जबाव दिया जाएगा.
पुतिन के संबोधन के बाद जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने पुतिन के बयान पर चिंता जताई. चांसलर कार्यालय के प्रवक्ता श्टेफन जाइबेर्ट ने टेलीफोन वार्ता की जानकारी देते हुए कहा, "चांसलर और राष्ट्रपति, रूसी राष्ट्रपति पुतिन के हथियार विकास संबंधी बयान चिंतित हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों को नियंत्रित करने की कोशिशों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा."
व्लादिमीर पुतिन के अलग अलग चेहरे
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2016 के सबसे ताकतवर इंसान हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. आइए, देखते पुतिन की शख्सियत के अलग-अलग पहलू.
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केजीबी से क्रेमलिन तक
पुतिन 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल हुए थे. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया. यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी. बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह वापस रूस चले गए. बाद में वे येल्त्सिन की सरकार में शामिल हो गए. बोरिस येल्त्सिन ने घोषणा की कि पुतिन उनके उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें रूस का प्रधानमंत्री बनाया गया.
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पहली बार राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के समय पुतिन आम लोगों के लिए एक अनजान चेहरा थे. लेकिन अगस्त 1999 में सब बदल गया जब चेचन्या के कुछ हथियारबंद लोगों ने रूस के दागेस्तान इलाके पर हमला किया. राष्ट्रपति येल्त्सिन ने पुतिन को काम सौंपा कि चेचन्या को वापस केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में लाया जाए. नए साल की पूर्व संध्या पर येल्त्सिन ने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.
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दमदार व्यक्तित्व
मीडिया में पुतिन की अकसर ऐसी तस्वीरें छपती रहती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्तित्व का धनी दिखाती हैं. उनकी यह तस्वीर सोची में एक नुमाइशी हॉकी मैच की है जिसमें पुतिन की टीम 18-6 से जीती. राष्ट्रपति ने आठ गोल किए.
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बोलने पर बंदिशें
रूस में एक विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने मुंह पर पुतिन के नाम की टेप लगा रखी है. 2013 में क्रेमलिन ने घोषणा की कि सरकारी समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा. उसका नेतृत्व एक क्रेमलिन समर्थक अधिकारी को सौंपा गया जो अपने पश्चिम विरोधी ख्यालों के लिए मशहूर था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नाम की संस्था प्रेस आजादी के मामले में रूस को 178 देशों में 148वें पायदान पर रखती है.
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पुतिन की छवि
पुतिन को कदम उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. केजीबी का पूर्व सदस्य होना भी इसमें मददगार होता है. इस छवि को बनाए रखने के लिए अकसर कई फोटो भी जारी होते हैं. इन तस्वीरों में कभी उन्हें बिना कमीज घोड़े पर बैठा दिखाया जाता है तो कभी जूडो में अपने प्रतिद्वंद्वी को पकटते हुए. रूस में पुतिन को देश में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है जबकि कई लोग उन पर निरंकुश होने का आरोप लगाते हैं.
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सवालों में लोकतंत्र
जब राष्ट्रपति पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने 2007 के चुनावों में भारी जीत दर्ज की तो आलोचकों ने धांधली के आरोप लगाए. प्रदर्शन हुए, दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया और पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के आरोप लगे. इस पोस्टर में लिखा है, “आपका शुक्रिया, नहीं.”
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खतरों के खिलाड़ी
काले सागर में एक पनडुब्बी की खिड़की से झांकते हुए पुतिन. क्रीमिया के सेवास्तोपोल में ली गई यह तस्वीर यूक्रेन से अलग कर रूस में मिलाए गए इस हिस्से पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का पूरी तरह नियंत्रण होने का भी प्रतीक है.
तस्वीर: Reuters/A. Novosti/RIA Novosti/Kremlin
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2014 में रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था. तब से रूस और नाटो के बीच काफी तनाव है. पुतिन के राष्ट्र के नाम संबोधन का जवाब देते हुए नाटो की प्रवक्ता ओआना लुंगेस्कु ने कहा, "सहयोगियों को निशाना बनाने की धमकी देने वाला रूस बयान अस्वीकार्य है और इसके नुकसान ही होगा."
लुंगगेस्कु के मुताबिक, "हम नया शीत युद्ध या हथियारों की नई रेस नहीं चाहते. सारे सहयोगी भरोसे और विश्वास से तैयार किए गए आर्म्स कंट्रोल एग्रीमेंट्स का समर्थन करते हैं, यह सबके फायदे में है."
यूरोप में कई जगहों पर अमेरिका का मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगा हुआ है. स्पेन, पोलैंड और रोमानिया में लगा यह सिस्टम रूस की आंखों में चुभता है. नाटो के मुताबिक सिस्टम ईरान के रॉकेटों को मार गिराने के लिए लगाया गया है. नाटो का आरोप है कि रूस बारेंट्स सागर से लेकर भूमध्य सागर तक लगातार अपना सैन्य दखल बढ़ा रहा है. नाटो की प्रवक्ता ने कहा, "हम कई बार यह साफ कर चुके हैं कि नाटो का मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस के खिलाफ नहीं है. हमारा सिस्टम यूरो-अटलांटिक इलाके के बाहर से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों से रक्षा करने के लिए है."
अमेरिका और रूस: किसकी सेना में कितना दम?
शीत युद्ध के जमाने के प्रतिद्वंद्वी अमेरिका और रूस अब भी सैन्य क्षमता के मामले में दबदबा रखते हैं. चलिए डालते हैं नजर कौन किस पर किस मामले में भारी पड़ता है.
तस्वीर: REUTERS
परमाणु हथियार
अमेरिका और रूस दोनों ही परमाणु ताकत हैं. लेकिन अमेरिका के पास जहां लगभग दो हजार परमाणु हथियार हैं वहीं रूस के पास लगभग 1,790.
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सैनिक
अमेरिका के पास 13,74 लाख सैनिक हैं जबकि रूस के पास आठ लाख फौजी हैं. दुनिया के कई इलाकों में अमेरिकी फौजी तैनात हैं.
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टैंक
रूस के पास अमेरिका के मुकाबले तीन गुना ज्यादा टैंक हैं. अमेरिका के पास जहां 5,884 टैंक हैं, वहीं रूस के पास 15,400 टैंक हैं.
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मिलिट्री रॉकेट लॉन्चर
मिलिट्री रॉकेट लॉन्चर के मामले में भी रूस अमेरिका पर भारी है. रूस के पास 3,800 मिलिट्री रॉकेट लॉन्चर हैं जबकि अमेरिका के पास 1,331 हैं.
तस्वीर: Reuters/Alexei Chernyshev
लड़ाकू हेलीकॉप्टर
अमेरिकी सेना के पास लड़ाकू हेलीकॉप्टर की संख्या 974 है. वहीं रूस सेना के बेड़े में 480 लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल हैं.
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बम वर्षक विमान
अमेरिका के पास बम वर्षक विमान भी रूस से कहीं ज्यादा हैं. अमेरिका के 2,785 बम वर्षकों के मुकाबले रूस के पास 1,400 बम वर्षक हैं.
तस्वीर: picture alliance/CPA Media
लड़ाकू विमान
अमेरिकी वायुसेना के पास जहां 2,296 लड़ाकू फाइटरजेट हैं, वहीं रूस के पास सिर्फ 750 ऐसे जेट हैं. यहां अमेरिका रूस से बहुत आगे है.
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विमान वाहक पोत
इस मामले में भी अमेरिका रूस पर भारी पड़ता है. रूस के पास जहां सिर्फ एक विमानवाहक युद्धपोत है वहीं अमेरिका के पास ऐसे 19 पोत हैं.
तस्वीर: picture-alliance/newscom/MC3 K.D. Gahlau
लड़ाकू युद्धपोत
दूसरी तरफ, लड़ाकू युद्धपोत के मामले में रूस अमेरिका से आगे है. अमेरिका के 71 लड़ाकू युद्धपोतों के मुकाबले रूस के पास 100 ऐसे पोत हैं.
बात पनडुब्बियों की हो तो रूस अमेरिका से ज्यादा पीछे नहीं है. रूस के पास 60 पनडुब्बियां हैं जबकि अमेरिका के पास 70 पनडुब्बियां हैं.
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रक्षा बजट
अमेरिका और रूस के रक्षा बजट में जमीन आसमान का फर्क है. अमेरिकी रक्षा बजट जहां 588 अरब डॉलर है वहीं रूस का रक्षा बजट सिर्फ 66 अरब डॉलर है. (स्रोत: मिलिट्री बैलेंस 2017, आईआईएसएस)