पुतिन को उनकी जगह बताना
२८ मार्च २०१४![](https://static.dw.com/image/17521282_800.webp)
ओबामा बिना देखे गोली नहीं चलाते मतलब यह अनुमान लगाना सही होगा कि नीदरलैंड्स के एक प्रेस सम्मेलन में उन्होंने टिप्पणी सोच समझ कर की. अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान नीति में बदलाव की ओर संकेत करता है. अब तक ओबामा प्रशासन रूस को विश्व मंच पर बराबरी से देखता रहा जबकि मॉस्को काफी समय उतना ताकतवर नहीं रहा.
अब और नहीं. ओबामा की नजर से रूस को शीत यूद्ध के बाद वाली वैश्विक स्थिति में लाने की कोशिश विफल हो चुकी है. जर्मनी इस नीति का समर्थन करता रहा है. लेकिन ओबामा कह सकते हैं कि इस रणनीति को सफल बनाने की उन्होंने पूरी कोशिश की. 2009 में रूस के साथ संबंधों को बहाल करने का उनका सुझाव अमेरिका में रिपब्लिकनों ने खारिज कर दिया और पुतिन ने भी इसे अनदेखा कर दिया.
ओबामा के नजरिये से क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद उनके संयम का बांध टूट गया. अब वॉशिंगटन का वैश्विक मंच पर रूस के साथ व्यवहार उसके असली दम के मुताबिक होगा, एक क्षेत्रीय ताकत की हैसियत से, न कि अमेरिका के एक प्रतिद्वंद्वी की हैसियत से.
ओबामा का विश्लेषण सही है. सुपरपावर की हैसियत का कोई भी मानक ले लिया जाए, पाने के रूस अमेरिका से बहुत दूर है.
कोई प्रतिस्पर्धा नहीं
2012 में रूस का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद उतना था जितना अमेरिका का 1981 में था. प्रतिस्पर्धा को देखें तो रूस 64वें स्थान पर है, श्रीलंका से पहले जबकि अमेरिका पांचवे स्थान पर है. भ्रष्टाचार इंडेक्स में रूस 17वें स्थान पर है जबकि अमेरिका 19वें पर है. अमेरिका में नए आविष्कारों के पेटेंट रूस से 10 गुना ज्यादा हैं.
सेना को भी देखा जाए तो हर दूसरे देश की तरह रूस अमेरिका का मुकाबला नहीं कर सकता. रक्षा बजट में रैंकिंग को देखा जाए तो अमेरिका अपने बाद आने वाले 10 देशों के जितने पैसे अपनी सेना पर खर्च करता है.
अगर सामाजिक और स्वास्थ्य सेवा को देखा जाए तो अमेरिका में इनकी हालत बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन रूस की हालत और भी खराब है. शिशु मृत्यु दर ज्यादा है और अमेरिका के मुकाबले औसत उम्र भी कम है. और आय में असमानता भी अमेरिका से ज्यादा है.
विनम्र ओबामा
रूस की जनसंख्या संबंधी परेशानियों को अगर देखें और अगर यह भी कि रूस के प्रभाव वाले क्षेत्र बर्लिन दीवार के गिरने के बाद कम हो गए हैं, तो ओबामा सही साबित होते हैं. रूस को शायद उनकी बोली हुई बातें पसंद न आएं लेकिन ओबामा ने अपने आप पर काबू रखा. अगर वह रूस का अपमान करना चाहते तो वह यह भी कह सकते थे कि रूस का पतन हो रहा है.
ओबामा का विश्लेषण सही है कि रूस की धमकियां और अपने पड़ोसियों पर चढ़ाई करना उसी शक्ति नहीं बल्कि कमजोरी का संकेत है. व्लादिमीर पुतिन को लगा कि उन्हें छोटी से क्रीमिया को अपने कब्जे में करना था और यह उनकी बेबसी का सबूत है, उनकी शक्ति का नहीं.
मॉस्को को संदेश
आज वैश्विक ताकत का संघर्ष आर्थिक रूप से होता है, सैन्य नहीं. ताकत दिखाने के लिए कोई भी सुपर पावर जमीन पर सैनिक तभी उतारेगा जब उसके पास कोई चारा नहीं होगा क्योंकि उसके पास और हथियार हैं. रूस के पास नहीं हैं, लेकिन अमेरिका के पास हैं. इसलिए पुतिन को चुप कराकर उन्हें सोचने पर मजबूर करने के लिए अमेरिका ने अपनी दो बड़ी क्रेडिट कार्ड कंपनियों, मास्टरकार्ड और वीजा से कहा कि वे रूस के अमीरों से पैसे का लेन देन बंद करें.
संदेश साफ था. वॉशिंगटन एक बटन दबाने के साथ ही क्रेमलिन और उसके नेताओं पर वार कर सकता है, जो उनकी जेब को नुकसान पहुंचाएगा. क्या पुतिन इस बात को समझ पाएंगे. फायदा केवल उन्हें नहीं बल्कि उनके देशवासियों और रूस के पड़ोसियों को भी होगा. पुतिन को शायद दूसरा मौका न मिले.
समीक्षाः मिषाएल क्निगे/एमजी
संपादनः आभा मोंढे