परमाणु बम ढोने वाले अंडरवॉटर ड्रोन, मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भेदने वाली हाइपरसॉनिक मिसाइलें, रूस ने अमेरिका चेतावनी देते हुए कहा है कि अब वह एकदम नई पीढ़ी के घातक हथियार बनाएगा.
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गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए नई पीढ़ी के हथियार विकसित करने का एलान किया. बीते सालों के संबोधन में पुतिन आम तौर पर रूसी अर्थव्यवस्था और समाज की ही बातचीत करते रहे. लेकिन इस बार उन्होंने सुरक्षा का मुद्दा उठाया. अमेरिका और पश्चिम को चेतावनी देते हुए पुतिन ने कहा, "तब कोई हमसे बात नहीं करना चाहता था. तब हमारी कोई नहीं सुन रहा था. अब आप हमें सुनेंगे." संबोधन के दौरान पुतिन के पीछे एनिमेशन भी चल रहा था. एनिमेशन में पानी के भीतर लंबी दूरी तक जाने वाले ड्रोन दिखाए गए. दावा किया गया कि अंडरवॉटर ड्रोन परमाणु हमला करने में सक्षम होंगे.
रूसी राष्ट्रपति ने किसी भी रडार और मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भेदने वाली हाइपरसॉनिक मिसाइल समरसेट विकसित करने का भी दावा किया. ध्वनि की गति से पांच गुना तेज रफ्तार भरने वाली ऐसी मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलेगी और फिर वायुमंडल में दाखिल होकर कहीं भी हमला कर सकेगी. पुतिन ने कहा कि नई पीढ़ी के हथियारों के सामने मिसाइल डिफेंस सिस्टम नाकाम साबित होंगे. यह मिसाइल मौजूदा दौर की सबसे भारी आईसीबीएम मिसाइल से भी ज्यादा बम ढो सकेगी.
शीत युद्ध के बाद से रूस को सैन्य रूप से कमजोर माना जाने लगा. लेकिन सीरिया के संघर्ष ने साफ कर दिया है कि रूस सैन्य रूप से बहुत ताकतवर है. रूस के पास ऐसे कई हथियार हैं जो मॉस्को को फिर से सुपरपावर बना सकते हैं.
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टी-14 टैंक
यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप "एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है."
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युद्धपोत प्योत्र वेलिकी
अटलांटिक महासागर में रूस के उत्तरी बेड़े का यह सबसे घातक युद्धपोत है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाला यह युद्धपोत किरोव क्लास युद्धपोतों का हिस्सा है. नाटो इसे "विमानवाही पोतों का हत्यारा" कहता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है.
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सुखोई टी-50
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के हर तरह के लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है. 2010 में पहली उड़ान के बाद रूस और भारत ने इसे साथ बनाने का फैसला किया. रणनीतिक साझीदारी के तौर पर रूस और भारत 2017 से इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे. लेकिन इस योजना पर वित्तीय मतभेद भारी पड़ रहे हैं.
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एस-400 मिसाइल
रफ्तार 17,000 किलोमीटर प्रति घंटा और 400 मीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता के चलते पायलट इससे घबराते हैं. सीरिया के उडारान खामेमिम बेस में जब रूस ने इन मिसाइलों को तैनात किया तो अमेरिका को अपने लड़ाकू विमान वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा. अब रूस एस-400 को और बेहतर कर रहा है.
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सुखोई एसयू-35
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-16 पर भारी पड़ता है. इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने एफ-35 बनाया. लेकिन हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक एफ-35 भी सुखोई से कमतर है. सुखोई एसयू-35 की तेज रफ्तार और जबरदस्त चपलता को टक्कर देना बहुत मुश्किल है.
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हाइपरसोनिक रॉकेट वाईयू-71
रूस काफी समय से परमाणु हथियारों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना चाहता था. "प्रोजेक्ट 4204" नाम के सीक्रेट कोड के साथ रूस ने वाईयू-71 बनाया. इसकी रफ्तार 12,000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जैन्स इंटेलिजेंस रिव्यू के मुताबिक यह मिसाइल आराम से नाटो के डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है.
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लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-28एन
अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे लॉन्गबो लड़ाकू हेलीकॉप्टर रफ्तार और हथियारों की क्षमता के मामले में इससे पीछे हैं. रूस का यह हेलीकॉप्टर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला कर सकता है. यह रात में भी उड़ता है.
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विमानवाही एडमिरल कुजनेत्सोव
एडमिरल कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है. 1990 में पेश किया गया यह पोत अमेरिकी विमानवाही पोतों से उलट अकेला समंदर का सफर कर सकता है. वैसे 1991 में सोवियत संघ के विघटन के वक्त यह पोत यूक्रेन के हाथ लगने वाला था.
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Tupolev Tu-160M
टीयू-160एम इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बमवर्षक है. रूसी पायलट इसे "सफेद हंस" कहते हैं. 2014 में आधुनिकीकरण के बाद टीयू-160एम की युद्ध क्षमता दोगुनी कर दी गई.
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परमाणु पनडुब्बी यूरी डोग्लोरुकी
बीते दशक में रूस ने बड़ी पनडुब्बियों के बजाए छोटी पनडुब्बियां बनानी शुरू कीं लेकिन यह जानलेवा साबित हुआ. यूरी डोग्लोरुकी के साथ रूस ने इस तकनीकी बाधा को दूर किया. साउंडप्रूफ होने की वजह से समंदर में इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है. इसमें परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं.
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अभी यह साफ नहीं है कि क्या इन हथियारों के विकास में रूस कहां पहुंचा है. लेकिन यह तय है कि ये हथियार, तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएंगे. इससे रूसी सेना को भी फायदा होगा और हथियार बिक्री की दौड़ में पिछड़ रहा रूस फिर से ऊपर जा सकेगा. रूस पूर्वी यूरोप में अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती से नाराज है.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अमेरिकी सेना अपने देश की हिफाजत कर रही है. पेंटागन की प्रवक्ता डैना व्हाइट ने कहा कि अमेरिकी मिसाइल डिफेंस रूस की वजह से नहीं बनाया गया. अमेरिका का दावा है कि यूरोप में लगाया गया मिसाइल डिफेंस सिस्टम ईरान, उत्तर कोरिया और दूसरे खतरों से बचने के लिए तैनात किया गया है. अमेरिका ने भी साफ किया है वह अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण करेगा. व्हाइट हाउस ने पुतिन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह चुनाव जीतने के लिए यह सब कर रहे हैं. रूस में इसी साल राष्ट्रपति चुनाव होने है.
अमेरिका के इन तर्कों को खारिज करते हुए गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति ने कहा, मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित करने की अमेरिकी योजना का मकसद "रूसी परमाणु हथियारों की अहमियत कम करेगा." पुतिन के मुताबिक अमेरिका ने रूस की जवाब देने की क्षमता को कमतर आंका है. पुतिन ने कहा कि अमेरिका को अब अपनी रूस नीति की समीक्षा करनी चाहिए और वैश्विक सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर वार्ता में शामिल होना चाहिए, "आपको नई हकीकत को देखना होगा और मानना होगा कि मैं आज जो कह रहा हूं वह कोरी बात नहीं है. यह कोरी बात नहीं, मेरा भरोसा कीजिए."
पुतिन के संबोधन पर अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका ने रूस पर शीत युद्ध के जमाने की संधियां तोड़ने का आरोप लगाया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नॉएर्ट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "जो अमेरिका काफी पहले से जानता था और रूस जिसे नकारता था, रूसी राष्ट्रपति ने अब उसी की पुष्टि की है. रूस एक दशक से भी ज्यादा समय से अस्थिरता फैलाने वाला हथियार सिस्टम तैयार कर रहा है, यह संधि की शर्तों का सीधा उल्लंघन है."
रूस का राष्ट्रपति चुनाव क्यों अहम है?
रूस में 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में व्लादिमीर पुतिन की जीत में किसी को संदेह नहीं है. लेकिन यह चुनाव कई मायनों में दिलचस्प है. चलिए डालते हैं इन्हीं पहलुओं पर एक नजर.
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ताकतवर पुतिन
व्लादिमीर पुतिन पिछले 17 साल से रूस पर राज कर रहे हैं, भले वह देश के राष्ट्रपति रहे हों या फिर प्रधानमंत्री. आगे भी वही देश के मुखिया रहेंगे. इसीलिए आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उनके नेतृत्व पर बस मुहर लगनी है.
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कितने लोग मैदान में
23 लोगों ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव आयोग के सामने अपनी उम्मीदवारी पेश की है. इनमें महिला और पुरुष, दोनों शामिल हैं. लेकिन पुतिन के कटु आलोचक और विपक्षी नेता एलेक्सेई नावालनी को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है.
सर्वेक्षणों में 75 से 83 प्रतिशत रेटिंग के साथ पुतिन रूस के सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं. हालांकि यह भी सच है कि साल 2000 में जब से पुतिन सत्ता में आए हैं, तब से स्वतंत्र और क्रेमलिन आलोचक मीडिया के लिए जगह सिमटती गई है और विपक्ष भी दबाव में है.
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चौथी बार राष्ट्रपति
चुनावों के बाद राष्ट्रपति के रूप में यह पुतिन का चौथा कार्यकाल होगा. इससे पहले वे साल 2000 से 2008 तक दो बार राष्ट्रपति रहे. संवैधानिक बाध्यताओं के कारण 2008 में वे प्रधानमंत्री बने. लेकिन 2012 में उन्होंने वापस राष्ट्रपति पद संभाला.
पुतिन स्टालिन के बाद रूस में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता हैं. अब सवाल यह भी उठता है कि और कितने साल तक वे राज करते रहेंगे. रूसी संविधान के मुताबिक लगातार दो कार्यकाल से ज्यादा कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर नहीं रह सकता.
फिर उसके बाद?
अगले कार्यकाल के बाद भी अगर पुतिन सत्ता में रहना चाहते हैं, तो वे किसी अन्य को राष्ट्रपति पद सौंप कर फिर प्रधानमंत्री बन सकते हैं. ऐसा वह पहले भी कर चुके हैं जब 2008 से 2012 के बीच दिमित्री मेद्वदेव ने राष्ट्रपति पद संभाला. या फिर संविधान में संशोधन कर पुतिन खुद पद पर बने रह सकते हैं.
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पुतिन के विरोधी
इस समय रूस में पुतिन के विरोधियों में सबसे ऊपर एलेक्सेई नावालनी का नाम आता है. उन्होंने मौजूदा प्रधानमंत्री मेद्वदेव की अपार संपत्ति का खुलासा किया था. बहुत से रूसी युवाओं में नावालनी बेहद लोकप्रिय हैं. उनकी अपील पर पुतिन विरोधी प्रदर्शन भी हुए.
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उम्मीदवारी पर बैन
नावालनी 2018 का राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने अपनी मुहिम का आगाज भी बहुत पहले कर दिया था. लेकिन सब बेकार रहा. एक पुराने मामले में नावालनी को दोषी दिए जाने को आधार बनाकर चुनाव आयोग ने उनकी उम्मीदवारी पर बैन लगा दिया.
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नए चेहरे
कम्युनिस्ट पार्टी और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों के अलावा इस चुनाव में कुछ नए चेहरे भी मैदान में उतरे हैं. इनमें टीवी एंकर और बिजनेसवूमन क्सेनिया सोबचाक के अलावा पॉर्न एक्ट्रेस रहीं एलेना बर्कोवा और जानी मानी पत्रकार कात्या गॉर्डन भी उम्मीदवारों की फहरिस्त में शामिल हैं.
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बहिष्कार
नावालनी ने चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की है. 28 जनवरी को रूस के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन भी होने जा रहे हैं. नावालनी चाहते हैं कि लोग वोट ही डालने न जाएं, जिससे चुनाव प्रक्रिया ही सवालों में घिर जाए. लेकिन पुतिन ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं!