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पुरानी गलतियों से सीखें: मैर्केल

१० सितम्बर २०१५

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने एक बार फिर दोहराया कि जर्मनी शरणार्थियों को स्वीकारने की स्थिति में है और साथ ही इस बात पर जोर दिया कि देश को अपनी ऐतिहासिक गलतियों से सीख लेनी चाहिए.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/J. MacDougall

दूसरे विश्व युद्ध के बाद के दशकों में जर्मनी को फिर से देश का मूलभूत ढांचा खड़ा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत थी. 60 के दशक में पूर्वी जर्मनी ने तुर्की, इटली और ग्रीस के लोगों के लिए द्वार खोले. इन लोगों को गेस्टवर्कर यानि अतिथि श्रमिक का नाम दिया गया. योजना यह थी कि ये लोग काम कर के अपने देश लौट जाएंगे. लेकिन कमजोर अर्थव्यवस्थाओं से जर्मनी आए ऐसे अधिकतर लोग यहीं बस गए. सबसे बड़ी संख्या तुर्की से आए लोगों की रही. क्योंकि उस समय इस बारे में नहीं सोचा गया था, इसलिए इनके समेकन पर भी ध्यान नहीं दिया गया.

1970 में तुर्की से जर्मनी आने वाले गेस्टवर्करतस्वीर: picture-alliance/dpa

वर्तमान शरणार्थी संकट पर इसी पृष्ठभूमि को याद दिलाते हुए अंगेला मैर्केल ने कहा, "इनमें से बहुत से लोग हमारे देश के नए नागरिक बनेंगे. हमें 1960 के अपने उस तजुर्बे से सीख लेनी चाहिए, जब हम अतिथि श्रमिकों को यहां लाए थे. हमें शुरू से ही समेकन को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी." भाषा को तरजीह देते हुए उन्होंने कहा, "उन्हें जर्मन सीखने और काम ढूंढने में मदद की जरूरत होगी."

शरणार्थी शिविर में लोगों से मिलने पहुंची मैर्केलतस्वीर: picture-alliance/dpa/B. v. Jutrczenka

कड़े स्वर में मैर्केल ने कहा कि अगर जर्मनी मदद के लिए तैयार है, तो यहां आने वालों को भी यहां के नियमों के हिसाब से ही चलना होगा, "जब कोई देश दूसरी संस्कृतियों से आ रहे लोगों का स्वागत करता है, तो उसे यह बात भी साफ करनी होती है कि यहां हमारे नियम चलेंगे. जो लोग समेकित नहीं होना चाहते, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."

जर्मनी में नागरिकों ने किया शरणार्थियों का स्वागततस्वीर: picture-alliance/dpa/N. Armer

इसके अलावा उन्होंने आर्थिक कारणों से जर्मनी आने की चाह रखने वालों को भी आड़े हाथ लिया, "जिन लोगों की यहां आने की वजह राजनीतिक कारण या युद्ध नहीं है, जो अपनी आर्थिक परिस्थितियों के कारण आ रहे हैं, उन्हें जर्मनी में रहने नहीं दिया जाएगा, फिर चाहे उनका निजी जीवन कितना भी कठिन क्यों ना हो. यही सच्चाई है और हमें यह कहने में कोई झिझक नहीं है."

हंगरी ने लगाई शरणार्थियों को रोकने के लिए बाड़तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Segeswaria

हंगरी जैसे देश, जो शरणार्थियों को स्वीकारने से इंकार कर रहे हैं, उनकी आलोचना करते हुए मैर्केल ने कहा, "ना कह कर हम किसी समाधान तक नहीं पहुंचेंगे. अगर हममें हिम्मत और साहस है, तो हम कोई उपाय निकाल ही लेंगे." चांसलर ने जोर दिया कि "सीरिया और इराक का संकट किसी दूरदराज की जगह पर नहीं बल्कि ठीक यूरोप के द्वार पर हो रहा है" और इसीलिए यूरोप को एकजुट हो कर इस समस्या से जूझना होगा. उन्होंने माना की आज का शरणार्थी संकट यूरोप के कल को प्रभावित करेगा, "यदि यूरोप शरणार्थी मामले में विफल हुआ, तो हम उस वजह को ही खो देंगे जिसके कारण एक संयुक्त यूरोप की रचना हुई और वह है मानवाधिकार."

आईबी/आरआर (रॉयटर्स, डीपीए)

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