त्वचा की बीमारियों पर समय पर ध्यान ना दिया जाए तो वे अक्सर जीवन भर के लिए गले पड़ जाती हैं. लेकिन क्या आपने ठंडे प्लाज्मा की मदद से इलाज के बारे में सुना है? इससे मदद मिल सकती है.
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त्वचा की बीमारी अक्सर सालों पीछा नहीं छोड़ती. खुले घावों में दर्द तो होता ही है, वे जल्दी ठीक भी नहीं होते. न्यूरोडर्मिटिस या सोरियासिस जैसी बीमारियां मरीज को खुजली से भी परेशान करती रहती हैं. कई बार तो अस्पताल में पाए जाने वाले आक्रामक बैक्टीरिया से ऐसा संक्रमण फैलता है जिसका इलाज भी मुश्किल है. जर्मन वैज्ञानिक त्वचा पर ऐसे संक्रमणों पर ठंडे प्लाज्मा से इलाज को कारगर बता रहे हैं.
क्या करता है प्लाज्मा
जर्मनी के फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट आईएसटी गोएटिंगन ने घाव और चर्मरोगों पर कोल्ड प्लाज्मा के असर और उसकी सुरक्षा का टेस्ट किया है. कोल्ड प्लाज्मा माइक्रोऑर्गेनिज्मों को मार डालता है और त्वचा में रक्त संचालन को प्रेरित करता है. फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट के भौतिकशास्त्री डॉ. आंद्रेयास हेल्मके के मुताबिक प्लाज्मा बैक्टीरिया और माइक्रोऑर्गेनिज्म के खिलाफ काम करता है और बीमारी पैदा करने वाले इन कीटाणुओं को मार डालता है. बाहरी सतह के नीचे यह रक्त के माइक्रो प्रवाह को बढ़ावा देता है, इससे क्रोनिक घाव के इलाके में पौष्टिक तत्वों और ऑक्सीजन की सप्लाई बेहतर होती है और इस प्रभाव के कारण प्लाज्मा का घाव को ठीक करने वाला असर होता है.
धूप से करें खुद की हिफाजत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक त्वचा के कैंसर के मामले दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं. सूर्य की किरणों से त्वचा की रक्षा कैसे करनी है, जानिए यहां...
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दोपहर की धूप से बचें
सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच सूर्य की किरणों से बचने की कोशिश करें. इस समय पराबैंगनी किरणों का विकिरण सर्वाधिक होता है. संवेदनशील त्वचा वालों को और भी सावधानी बरतने की जरूरत है. छांह में पराबैंगनी किरणों का असर कम होता है, लेकिल फिर भी वहां भी आप इससे पूरी तरह नहीं बचे होते हैं.
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ढंग के कपड़े
सही कपड़े आपको पराबैंगनी किरणों के असर से काफी हद तक बचा सकते हैं. पूरी पैंट और पूरी बाजू की शर्ट पहनें. सिर भी ढक लें तो और भी अच्छा है. वस्त्र आपको पराबैंगनी किरणों से कितना बचाएंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह कपड़ा कौन सा है, उसकी बुनाई कैसी है, कितना मोटा है. कपड़ों के लिए पराबैंगनी किरणों से रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय यूवी मानक 801 है.
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सही सन प्रोटेक्टर का चयन
हर किसी की त्वचा अलग होती है, ऐसा सनस्क्रीन चुनें जो आपकी त्वचा के लिए सबसे सही हो. सुनिश्चित करें कि आपके सनस्क्रीन में यूवीए फिल्टर हो. 2007 से इस तरह के उत्पाद यूवीए लोगो के साथ आते हैं. यूवीए किरणें त्वचा के कैंसर के लिए बड़ी हद तक जिम्मेदार हैं.
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कितनी देर का हो रक्षा चक्र
आमतौर पर त्वचा खुद अपनी रक्षा 5 से 20 मिनट तक करती है, निर्भर करता है कि त्वचा कैसी है. सनस्क्रीन का एसपीएफ निर्धारित करता है कि आप कितनी और देर सूरज में रह सकते हैं. उदाहरण के तौर पर त्वचा की अपनी क्षमता अगर 5 मिनट की है तो एसपीएफ 50 वाला सनस्क्रीन त्वचा की 4 घंटे तक रक्षा करेगा.
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खूब सनस्क्रीन लगाएं
एक वयस्क को पूरे शरीर पर लगाने के लिए औसतन 35 ग्राम सनस्क्रीन की जरूरत होती है, यानि करीब चार टेबलस्पून. ध्यान रखें कि बाहर निकलने से कम से कम 20-30 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं.
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चश्मा लगाएं
तपती धूप में ज्यादा देर बाहर रहना आपकी आंखों को भी दूरगामी नुकसान पहुंचा सकता है. कई सालों तक इस बात का पता भी नहीं चलता. इसके अलावा आंखों में जलन, खुजली, लाल होना या धुंधलेपन की शिकायत भी हो सकती है.
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छतरी का इस्तेमाल
काली छतरियों से भी खासी मदद मिलती है. उन पर अलमुनियम की एक परत होती है जिससे कि छतरी के पार बहुत कम ही किरणें गुजर पाती हैं.
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पानी में भी रहें सतर्क
धूप में पानी के अंदर होना भी खतरनाक है क्योंकि पानी की सतह पराबैगनी किरणों की तीव्रता को और तेज कर देती है. ये पानी की सतह के करीब आधा मीटर अंदर तक प्रवेश कर जाती हैं. क्योंकि स्विमिंग से त्वचा ठंडी हो जाती है इसलिए इन किरणों से त्वचा के लाल होने पर हम बाद में गौर करते हैं. पानी में जाने के लिए जरूरी है कि वॉटरप्रूफ सनस्क्रीन इस्तेमाल किया जाए.
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डॉ. आंद्रेयास हेल्मके का कहना है कि प्लाज्मा इलेक्ट्रिक कंडक्टर वाली गैस है जिसके माध्यम से गैस में इलेक्ट्रिक ऊर्जा जाती है. इससे कई प्रतिक्रियाएं होती हैं. मसलन विद्युत आवेश के हिसाब से पार्टिकल अलग होते हैं, मॉलिक्यूल अणु में बदलते हैं, और नए कंपाउंड बन सकते हैं. और वे पार्टिकल, जिनमें ऊर्जा भेजी जाती है, उसे वे रेडिएशन के रूप में आगे दे सकते हैं.
फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट में बायोकेमिस्ट मोनिका गेलकर कहती हैं, "प्लाज्मा बैक्टीरिया और फंगस जैसे दूसरे माइक्रोऑर्गेनिज्म को मार सकता है. इसमें रिएक्टिव केमिकल कंपाउंड और इलेक्ट्रिक फील्ड साथ प्रतिक्रिया करते हैं और मेम्ब्रेन को नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा वह माइक्रोऑर्गेनिज्म के अंदर डीएनए और प्रोटीन को भी नष्ट करता है और इस तरह माइक्रोऑर्गेनिज्म को मार सकता है."
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मशीन से मदद
डॉक्टरों, बायोलॉजिस्टों और भौतिकशास्त्रियों ने मिलकर व्यवहार में आ सकने वाली एक मशीन भी बनाई है जो सीधे त्वचा पर कोल्ड प्लाज्मा बनाती है. एक क्लीनिकल स्टडी के जरिए इसके एंटी बैक्टीरिया वाले असर को प्रमाणित किया जा चुका है. हाई वोल्टेज इंपल्स सक्रिय करते ही त्वचा और मशीन के बीच की हवा कोल्ड प्लाज्मा में बदल जाती है. डॉ. आंद्रेयास हेल्मके बताते हैं, "यह प्लाज्मा चिकित्सा दरअसल इस समय लागू तीन क्लासिकल थेरेपी का मिश्रण है, ओजोन थेरेपी, सिमुलेशन करेंट थेरेपी और फोटो थेरेपी. यह मशीन यहां उसे प्लाज्मा तकनीक के साथ एक जगह एक ही समय में जोड़ देती है."
कोल्ड प्लाज्मा से क्रोनिक घावों का इलाज किया जा रहा है. चूंकि इस तरीके से त्वचा पर माइक्रोऑर्गेनिज्मों और खुजली को कम किया जा सकता है, वैज्ञानिकों को उम्मीद है इससे न्यूरोडर्मिटिस और सोरियासिस में भी कामयाबी मिल सकती है.
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बालों में खुश्की हो तो क्या करें?
खुश्की जैसी समस्या कई बार आपको शर्मिंदा भी कर सकती है. यहां हैं कुछ अहम नुस्खे...
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खुश्की सिर्फ देखने में ही खराब नहीं लगती बल्कि परेशान भी कर सकती है. तमाम इलाज के बाद भी अक्सर यह पीछा नहीं छोड़ती और लोगों के सामने सिर खुजाना शर्मिंदा कर सकता है.
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बालों में खुश्की तब पैदा होती है जब सिर की त्वचा में नमी की कमी हो जाती है. ठंडी सूखी हवा या हीटर भी सिर के लिए नुकसानदेह साबित होता है. ऐसे में खुश्की बढ़ती है.
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कई लोगों को लगता है कि बार बार सिर धोने से खुश्की साफ हो जाती है. इससे आपको थोड़ी देर के लिए ही आराम मिल सकता है. हफ्ते में दो बार हल्के शैंपू से सिर धोना काफी होता है.
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जितना हो सके तेज रसायन वाले शैंपू और कृत्रिम रंगों से बचना चाहिए. धोने के बाद बालों को तेज रगड़ना नहीं चाहिए उन्हें नर्म तौलिए से हल्के हाथों से पोछना चाहिए.
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बाजार में ऐसे कई शैंपू हैं जो खुश्की मिटाने का दावा करते हैं. इनसे बचना चाहिए. खुश्क त्वचा पर तेज रसायनों का इस्तेमाल त्वचा की नमी को और भी छीन लेता है.
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बालों के लिए जैतून का तेल काफी फायदेमंद है. शैंपू करने से पहले जैतून के तेल से एक रात पहले हल्की मालिश करनी चाहिए. अगले दिन आपको खासा फर्क नजर आएगा.
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बालों के लिए नर्म कंघी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगर चार से पांच हफ्तों तक इन नुस्खों को इस्तेमाल करने के बावजूद खुश्की में कमी नहीं आती है तो त्वचा रोग विशेषज्ञ से जरूर मिलें.