पुरुषों पर कम होता है दवाओं का असर
२४ दिसम्बर २०१३![Bildergalerie Business Knigge Winter Schnupfen](https://static.dw.com/image/16403421_800.webp)
बदलते मौसम के साथ सर्दी जुकाम और बुखार, इस से हर कोई गुजरता है. कई लोग तो इस से बचने के लिए टीके भी लगवा लेते हैं. लेकिन फिर भी कई बार असर नहीं दिखता. यह मौसमी बुखार खासकर पुरुषों को ज्यादा परेशान करता है, क्योंकि उन पर तो टीके का भी कम ही असर होता है. यह बात एक नए शोध में सामने आई है कि फ्लू के टीका का महिलाओं पर बेहतर असर होता है.
वैज्ञानिक लंबे समय से जानते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुष पर बैक्टीरिया और वायरस तेजी से हमला कर पाते हैं. पुरुषों को बहुत जल्दी ही इंफेक्शन हो जाता है. हालांकि इसकी वजह वे अब तक नहीं ढूंढ पाए थे. अब पता चला है कि ऐसा हार्मोन के कारण होता है.
पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन होता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी जिम्मेदार होता है. ज्यादा टेस्टोस्टेरॉन यानि बेहतर इम्यून सिस्टम. पर हैरान करने वाली बात यह है कि शरीर दवा को भी हमले के रूप में लेने लगता है और उसे स्वीकार नहीं करता है. यानि कुल मिला कर नतीजा होता है एक बीमार शरीर.
34 पुरुषों और 53 महिलाओं पर हुए शोध में देखा गया कि शरीर में टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा जितनी ज्यादा थी टीकों का असर उतना ही कम हुआ. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च में देखा गया कि जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन कम पाया गया था, उनपर टीके का लगभग उतना ही असर हुआ जितना महिलाओं पर.
शोध में कहा गया है कि पहले भी ऐसे नतीजे देखे जा चुके हैं कि पुरुषों पर पीलिया, खसरा और हेपेटाइटिस के टीकों का भी कम असर होता है. इस से पहले जानवरों पर हुए शोध में भी इम्यून सिस्टम और इस हार्मोन में संबंध पाया गया था.
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क डेविस ने कहा कि इसे समझना इतना आसान नहीं है. दोनों के बीच एक सीधा संबंध नहीं बनाया जा सकता, बल्कि शरीर में कई जीन ऐसे होते हैं जो टेस्टोस्टेरॉन के कारण सक्रिय हो जाते हैं और उसके बाद ही रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है. उन्होंने बताया कि इसे समझने में अभी काफी वक्त लगेगा.
रिसर्चरों का मानना है कि इस हार्मोन का इंसानी विकास से लेना देना है. आदिमानव अपने खाने के लिए शिकार पर निर्भर किया करता था. ऐसे में कई चोटें लगती थी और शरीर में इंफेक्शन हुआ करता था. शायद तभी से शरीर ने खुद ही इंफेक्शन से लड़ने का तरीका ढूंढना शुरू किया, जो इतना ज्यादा मजबूत हो गया कि दवाओं को भी रोगाणुओं के रूप में ही लेने लगा.
आईबी/एमजे (एएफपी)