पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में एक ईसाई दंपत्ति को भीड़ द्वारा जिंदा जलाए जाने के एक दिन बाद पंजाब के गुजरात शहर में एक पुलिसकर्मी ने इसी आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को तलवार से मार डाला.
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अधिकारियों का कहना है कि शिया संप्रदाय के 50 वर्षीय तुफैल हैदर को पैगंबर मोहम्मद के साथियों के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करने के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उसे गुजरात शहर के सिविल लाइंस पुलिस थाने लाया गया, जहां एक पुलिसकर्मी ने तलवार से उसकी हत्या कर दी. दो दिनों के अंदर ईशनिंदा के आरोप में किसी को मारे जाने की यह दूसरी घटना है. इसके पहले एक पति और पत्नी को उग्र भीड़ ने पीट पीट कर मार डाला था और उनकी लाशों को जला दिया.
पुलिस अधिकारी अली रजा ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "तुफैल को लॉकअप में रखा गया था, लेकिन वह अपमानजनक टिप्पणियां करता रहा और पुलिस वालों को गालियां देता रहा. वह देखने में मलंग जैसा था और मानसिक तौर पर असंतुलित दिख रहा था." अली रजा के अनुसार 36 वर्षीय असिसटेंट सब इंसपेक्टर फराज नवीज पैगंबर के साथियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां सुनकर गुस्सा हो गया और उसने बंदी की लॉकअप में तलवार से हत्या कर दी.
बर्बरहमले
फराज नवीद को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है. जिला पुलिस प्रमुख राय मोहम्मद एजाज ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि नवीद हैदर को अपने कमरे में लाया और वहां दरवाजा बंद कर उसने उसकी हत्या कर दी. सुन्नी बहुल पाकिस्तान में पिछले समय में जातीय हिंसा में तेजी आई है और देश की अल्पसंख्यक शिया समुदाय पर सुन्नी उग्रपंथियों के हमले बढ़ गए हैं. पिछले दो सालों में पाकिस्तान में करीब 1000 शिया मारे गए हैं. मुस्लिम बहुल पाकिस्तान की 18 करोड़ आबादी में शिया लोगों का हिस्सा 20 प्रतिशत है.
हाल में पाकिस्तान के विवादास्पद ईशनिंदा कानून के सिलसिले में गैर न्यायिक हत्याएं बढ़ी हैं. यह कानून अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था लेकिन सैनिक तानाशाह जिया उल हक के शासनकाल में उसे और सख्त बना दिया गया.
मुश्किल में पाकिस्तान
सरकार विरोधी प्रदर्शनों से पाकिस्तान एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता में घिर चुका है. 2013 में चुनाव जीतकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने नवाज शरीफ पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है. इस खेल में कई खिलाड़ी हैं.
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टीवी चैनल पर कब्जा
पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ और कनाडा से लौटे मौलवी ताहिर उल कादरी के समर्थकों ने सोमवार को राष्ट्रीय टीवी चैनल पीटीवी की इमारत पर कब्जा कर लिया. प्रदर्शनकारियों के नियंत्रण के बाद पीटीवी का अंग्रेजी प्रसारण बंद है.
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प्रधानमंत्री लाहौर में
इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने राजधानी इस्लामाबाद में संसद और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के आवास पर धावा बोला. अनहोनी की आशंका को देखते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इस्लामाबाद छोड़कर अपने गृह राज्य पंजाब चले गए. पंजाब में नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग एन की अच्छी पकड़ है.
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प्रदर्शनकारियों पर सख्ती
प्रधानमंत्री के इस्तीफे के मांग कर रहे उग्र प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए इस्लामाबाद में पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियां फायर की. फायरिंग में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई. सैकड़ों घायल हैं.
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दो नेता, एक मकसद
सरकार विरोधी प्रदर्शनों की अगुवाई इमरान खान और सुन्नी मौलवी ताहिर उल कादरी (तस्वीर में) कर रहे हैं. दोनों नेता चुनावी प्रक्रिया में सुधार की मांग कर रहे हैं. दोनों का आरोप है कि बीते साल हुए चुनावों में शरीफ ने बड़े पैमाने पर धांधली की.
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बातचीत की गुंजाइश
इमरान खान ने रविवार को बातचीत की किसी संभावना से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, "मैं सभी पाकिस्तानियों ने अपील करता हूं कि वो इस सरकार के खिलाफ खड़े हो. यह एक संवैधानिक सरकार नहीं है, ये हत्यारे हैं." सरकार का कहना है कि वो विपक्ष के साथ बातचीत के लिए तैयार है.
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बड़े मार्च की शुरुआत
14 अगस्त को सरकार विरोधी हजारों प्रदर्शनकारियों ने लाहौर से इस्लामाबाद के लिए मार्च करना शुरू किया. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक मार्च में दो लाख प्रदर्शनकारियों ने हिस्सा लिया. उन्हें रोकने के लिए सरकार ने कई रास्ते भी बंद किए लेकिन इस्लामाबाद पहुंचने के बाद प्रदर्शन उग्र हो गए. ये अब भी जारी हैं.
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सिस्टम से झल्लाहट
विशेषज्ञों का कहना है कि कई पाकिस्तानी लचर कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, बिजली की कमी और महंगाई जैसी समस्याओं की वजह से झल्लाए हुए हैं. वो बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि कई लोगों का यह भी आरोप है कि खान और कादरी लोगों के गुस्से का राजनीतिक फायदा उठा रहे हैं.
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पर्दे के पीछे कौन
लोकतंत्र समर्थकों को लगता है कि प्रदर्शनों के पीछे पाकिस्तानी सेना का हाथ है. नवाज शरीफ का भारत के साथ संबंध सुधारने की पहल करना सेना को नागवार गुजर रहा है. शरीफ और पाकिस्तानी सेना के बीच अफगान नीति को लेकर भी मतभेद हैं.
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तख्ता पलट का नया रास्ता
अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जरनल में 27 अगस्त को एक रिपोर्ट छपी. रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीफ और सेना के बीच इस बात को लेकर समझौता होने जा रहा है कि "प्रधानमंत्री सुरक्षा मामलों और रणनीति के लिहाज से अहम विदेश नीति के मामलों का नियंत्रण छोड़ देंगे."
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सेना की मध्यस्थता
अमेरिकी अखबार में छपी रिपोर्ट के एक दिन बाद 28 अगस्त को नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख राहिल शरीफ से हालात संभालने की गुजारिश की. सेना अब मध्यस्थ की भूमिका निभा रही है.
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सेना के हाथ में चाबी
1947 में मिली आजादी के बाद से अब तक पाकिस्तान की कमान ज्यादातर वक्त सेना के हाथ में रही है. विशेषज्ञों को लगता है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ हो रहे है प्रदर्शन लोकतंत्र की मदद करने के बजाए सेना को दखल देने का मौका देंगें.
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जघन्यअपराध
मंगलवार को एक उग्र भीड़ ने पंजाब के एक गांव में एक ईसाई बंधुआ मजदूर और उसकी गर्भवती बीवी को पवित्र ग्रंथ कुरान के पन्नों के अनादर के आरोप में मार डाला. इस घटना की प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और देश के सर्वोच्च धार्मिक संस्था ने आलोचना की है. पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने दंपत्ति की हत्या को अत्यंत बर्बर बताया है और उनके तीन बच्चों को न्याय दिलाने का वचन दिया है. मौलवियों की प्रमुख संस्था पाकिस्तान उलेमा परिषद के प्रमुख ताहिर अशरफी ने मामले पर निगाह रखने के लिए एक आयोग का गठन किया है. उन्होंने कहा, "किसी को आरोप लगाने, अपनी अदालत बनाने और बर्बर तरीके सजा देने का हक नहीं है." अशरफी ने कहा कि जघन्य अपराध करने वालों ने न तो इस्लाम की और न ही पाकिस्तान की कोई सेवा की है.
पाकिस्तान अत्यंत धार्मिक देश है जहां ईशनिंदा का मामला बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. वहां साबित नहीं हुए आरोपों पर भी भीड़ की हिंसा शुरू हो जाती है. इस्लाम का कथित अनादर करने वाले की हत्या करने वालों को सजा देना तो दूर, उन्हें अक्सर हीरो समझा जाता है. जनवरी में ईशनिंदा के लिए कैद एक बुजुर्ग ब्रिटिश नागरिक को गोली मार दी गई थी. एक जांच से पता चला कि उसे मारने वाले गार्ड को उस पुलिस गार्ड मुमताज कादरी ने चरमपंथ की ओर आकर्षित किया था जिसने 2011 में ईशनिंदा कानून में बदलाव का सुझाव देने वाले पंजाब के गवर्नर की हत्या की थी.