क्यों बढ़ रही है पुलिसवालों में आत्महत्या की प्रवृत्ति?
प्रभाकर मणि तिवारी
१९ फ़रवरी २०२०
पुलिसवालों में मानसिक अवसाद के बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. इसी वजह से उसने एक चार-सदस्यीय समिति का गठन किया है.
तस्वीर: vkara - Fotolia.com
विज्ञापन
असम में पुलिसवालों के आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं से परेशान राज्य सरकार ने इसकी वजहों का पता लगाने और उनके निदान का उपाय सुझाने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है. यह समिति दस दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी. इसी सप्ताह मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के सरकारी आवास पर तैनात एक कांस्टेबल ने भी आत्महत्या कर ली थी. उक्त चार-सदस्यीय समिति विभिन्न वजहों से मानसिक अवसाद से जूझ रहे पुलिसवालों की काउंसेलिंग की भी सिफारिश करेगी.
असम में बीते कुछ महीनों से पुलिस वालों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. ताजा मामले में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर तैनात एक कांस्टेबल बाबुल चंद्र दास (49) ने रविवार रात को शौचालय में गले में फांसी का फंदा डाल कर आत्महत्या कर ली थी. गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि असम पुलिस की दसवीं बटालियन से जुड़ा बाबुल चंद्र दास मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के बाहर बनी चौकी पर तैनात था.
पुलिस का कहना है कि वह बीते कुछ महीनों से दिल की बीमारी से पीड़ित था और शायद इसकी वजह से पैदा होने वाला मानसिक अवसाद ही उसकी आत्महत्या की वजह है. लगभग दो साल पहले मुख्यमंत्री आवास पर तैनात एक अन्य सुरक्षाकर्मी ने भी सरकारी राइफल से खुद को गोली मार ली थी.
अभी इसी महीने की सात तारीख को राज्य के होजाई जिले में तैनात एक हवलदार गोपाल बोरा ने भी खुद को गोली मार ली थी. बीते साल धेमाजी जिले के सिसीबरगांव थाने में तैनात एक युवा सब-इंस्पेक्टर निपन नाथ (28) ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी. उसने 2017 में ही असम पुलिस की नौकरी शुरू की थी.
विशेष समिति
अब इन घटनाओं और पुलिसवालों में मानसिक अवसाद के बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. इसी वजह से उसने एक चार-सदस्यीय समिति का गठन किया है. इसमें एक मनोवैज्ञानिक के अलावा पुलिस के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे.
असम के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत बताते हैं, "असम पुलिस में बढ़ती ऐसी घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं. इसलिए सरकार ने इसकी वजहों का पता लगाने के लिए एक विशेष समिति गठित करने का फैसला किया है. यह समिति दास की आत्महत्या के मामले की भी जांच करेगी और दस दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.”
वह बताते हैं कि यह समिति मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे पुलिस कर्मचारियों का पता लगा कर उनकी काउंसेलिंग भी करेगी. उक्त समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण व सशस्त्र पुलिस) दीपक कुमार को सौंपी गई है. उसमें सहायक पुलिस महानिरीक्षक गौरव उपाध्याय और नंदी सिंह जैसे पुलिस अधिकारियों के अलावा चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी दीपज्योति शर्मा भी शामिल होंगे.
भारत में इन विभागों में चलती है सबसे ज्यादा घूस
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्किल ने 'इंडिया करप्शन सर्वे 2019' की रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 2018 के मुकाबले 2019 में भ्रष्टाचार में 10 प्रतिशत की कमी आई है. यह सर्वे 20 राज्यों में किया गया है.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
संपत्ति निबंधन और भूमि मामला
भारत में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार संपत्ति निबंधन और भूमि से जुड़े मामलों है. सबसे अधिक 26 प्रतिशत घूस के मामले इस विभाग से जुड़े हैं. जानकारों का मानना है कि भारत के कई राज्यों में चकबंदी नहीं होने और जमीन के कागजात पुरखों के नाम पर होना इसकी बड़ी वजह है. दूसरी वजह तेजी से संपत्ति की कीमतों में इजाफा होना है. बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों तक में जमीन की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों सामने आते रहते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussain
पुलिस
भ्रष्टाचार और घूसखोरी के मामले में पुलिस दूसरे स्थान पर है. 19 प्रतिशत घूस के मामले इस विभाग से जुड़े हैं. कुछ ही दिनों पहले बिहार की राजधानी पटना में घूसखोरी का बड़ा मामला सामने आया था. महात्मा गांधी सेतु पुल पर ओवरलोडेड वाहनों को पार कराने के लिए घूस लेने के आरोप में एक साथ 45 पुलिस वालों को निलंबित किया गया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP
नगर निगम
घूस लेने के मामले में नगर निगम भी पीछे नहीं है. 13 प्रतिशत घूस के मामले इसी विभाग से जुड़े हैं. बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वे अपने घर का नक्शा पास कराने के लिए महीनों से कोशिश कर रहे थे लेकिन आज-कल की बात कर महीनों तक उन्हें कार्यालय का चक्कर लगवाया गया. आखिरकार कर्मचारी को पैसे देने के बाद उनका काम हुआ.
तस्वीर: Reuters/F. Mascarenhas
बिजली विभाग
सर्वे शामिल 3 प्रतिशत लोगों ने बिजली विभाग में घूस देने की बात कही है. प्रीपेड मीटर आने के बाद से इस विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आई है लेकिन पैसे लेकर कनेक्शन जोड़ने और काटने का मामला चलता रहता है. कुछ महीने पहले झारखंड झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के सहायक अभियंता को एंटी करप्शन ब्यूरो ने 20 हजार रुपये घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था.
तस्वीर: Murali Krishnan.
ट्रांसपोर्ट ऑफिस
सर्वे में शामिल 13 प्रतिशत लोगों ने ट्रांसपोर्ट ऑफिस में घूस देने की बात कही है. जानकार बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारी हाइवे पर वाहनों को पास देने से लेकर कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनावने तक के काम के लिए घूस लेते हैं. कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में प्रदूषण के नाम पर उगाही करने वाला वीडियो वायरल हुआ था, जिसने ट्रांसपोर्ट विभाग में खलबली मचा दी थी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Dutta
टैक्स डिपार्टमेंट
सर्वे में शामिल 8 प्रतिशत लोगों ने टैक्स विभाग में घूस देने के बात कही. टैक्स विभाग में घूसखोरी की बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र की मोदी सरकार भ्रष्टाचार के आरोपित टैक्स अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जबरन रिटायर कर रही है.
तस्वीर: AP
जल विभाग
5 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्होंने जल विभाग में घूस दी है. वहीं 13 प्रतिशत लोगों ने अन्य विभागों में घूस देने की बात कही है.
तस्वीर: Reuters/F. Mascarenhas
सर्वेक्षण में शामिल लोग
'इंडिया करप्शन सर्वे 2019' में 20 राज्यों के 248 जिलों के 1,90,000 लोग शामिल हुए. सर्वे के अनुसार 51 प्रतिशत भारतीयों ने पिछले 12 महीनों में एक बार घूस जरूर दी है.
तस्वीर: DW/A. Ansari
इन राज्यों में ज्यादा भ्रष्टाचार
भारत के राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और पंजाब में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है.
तस्वीर: IANS
इन राज्यों में कम भ्रष्टाचार
दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा और ओडिशा में कम भ्रष्टाचार है. भारत भर में 2018 के मुकाबले 2019 में भ्रष्टाचार के कुल स्तर में 10 प्रतिशत की कमी आई है.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
10 तस्वीरें1 | 10
सरकारी सूत्रों ने बताया कि समिति बीते पांच वर्षों के दौरान आत्महत्या करने वाले असम के पुलिस कर्मचारियों और आत्महत्या की वजहों से संबंधित विस्तृत आंकड़े जुटाएगी. इसके अलावा वह पुलिसवालों की काउंसेलिंग के मौजूदा तंत्र का अध्ययन करेगी. समिति पुलिसवालों के इलाज की मौजूदा व्यवस्था और इलाज के खर्च के भुगतान की प्रणाली का भी अध्ययन करेगी.
समिति अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश करेगी कि असम पुलिस के जवानों और अधिकारियों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए कौन से उपाय किए जाने चाहिए. पुलिस महानिदेशक महंत कहते हैं, "समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार पुलिसवालों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कदम उठाएगी.”
क्या है वजह
सरकार ने भले ही आत्महत्या की घटनाओं और इसकी वजहों का पता लगाने के लिए समिति बनाई हो, समाजविज्ञानियों का दावा है कि काम के अनियमित घंटे, छुट्टी नहीं मिलना और विभिन्न वजहों से बढ़ता मानसिक अवसाद ही इन आत्महत्याओं की प्रमुख वजह है. एक समाजविज्ञानी सुधीर सान्याल कहते हैं, "असम में भी पुलिसवालों की हालत दूसरे राज्यों से अलग नहीं है. उन पर काम का तो भारी बोझ है ही, ड्यूटी का तय समय भी नहीं है. काम का बोझ ज्यादा होने की वजह से उनको निजी और पारिवारिक जरूरतों के समय अकसर छुट्टी नहीं मिल पाती. इससे उनमें धीरे-धीरे मानसिक अवसाद घर करने लगता है. आगे चल कर यही उनकी असमय मौत की वजह बन जाता है.”
वह कहते हैं कि राज्य सरकार की यह पहल सराहनीय है. अगर समिति ने सचमुच गंभीरता से इन मामलों का अध्ययन कर ठोस सिफारिशें की तो सरकार को उनको गंभीरता से लागू करना होगा. ऐसा नहीं हुआ तो पुलिसवालों में आत्महत्या की इस बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना काफी मुश्किल साबित होगा.
बटुआ खो गया हो, घर में चोरी हो गई हो, तब तो पुलिस को फोन करना बनता है लेकिन मूड अच्छा नहीं है, इसलिए भी कोई पुलिस को फोन करता है? जानिए जर्मनी में पुलिस की हॉटलाइन पर कैसे कैसे फोन आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Klose
मत करो फोन
जर्मनी में अलग अलग शहरों की पुलिस ट्विटर पर #NoNotruf चला रही हैं. मतलब हुआ हॉटलाइन के लायक नहीं. इसके साथ पुलिस हॉटलाइन पर आने वाली कॉल के उदाहरण दे रही है. जानिए क्या क्या कहा लोगों ने.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen
बड़ी समस्या
"मैं बहुत बड़ी समस्या में हूं. हेयर ड्रेसर के पास बैठी हूं. तीन बार बाल रंगा चुकी हूं लेकिन सही रंग नहीं आ रहा है. आप मेरी मदद कीजिए."
तस्वीर: Fotolia/Voyagerix
पैसे निगल गई
"वेंडिंग मशीन में मेरे ढाई यूरो अटक गए हैं. मशीन ने पैसे तो ले लिए लेकिन सामान नहीं दिया. अब मैं क्या करूं?"
तस्वीर: DW
सताया हुआ
"मेरी एक गर्लफ्रेंड है. मुझे लगता है कि उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया है. मुझे उसे गर्लफ्रेंड बना कर नहीं रखना. आप कुछ कीजिए."
तस्वीर: picture-alliance/AP/News-Journal/K. Green
बोतल ले लो
"खाली बोतल लेने वाली मशीन मेरी बोतल को वापस कर रही है. उसे मेरी बोतल लेनी चाहिए."
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सिगरेट ही दे दो
"मेरा मूड अच्छा नहीं है क्योंकि मेरे पास फूंकने के लिए कुछ नहीं है. क्या करूं?"
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Schlesinger
छोटी सी मदद
"क्या आप मुझे सुबह छह बजे उठा सकते हैं प्लीज. मेरा अलार्म आजकल बहुत धीरे बज रहा है."
तस्वीर: Fotolia/fottoo
मेरी प्यारी टीशर्ट
"मेरी एक्स गर्लफ्रेंड मेरी टीशर्ट नहीं लौटा रही है. मेरी मदद कीजिए."
तस्वीर: picture alliance/dpa/S. Gollnow
मुर्गे की बांग
"मेरे आंगन में कोई अनजान मुर्गा घुस आया है और बहुत शोर कर रहा है. मुझे नहीं पता कहां से आ गया."
तस्वीर: Fotolia
मीटिंग जरूरी है
"मैं ट्रैफिक जाम में फंसा हूं और मेरी एक बहुत जरूरी मीटिंग है. क्या फायरब्रिगेड और पुलिस मुझे यहां से निकाल नहीं सकते?"
तस्वीर: picture alliance/Blickwinkel/M
पुलिस का एक ट्वीट
"अगर आपको बुरी तरह जुकाम हो गया है, तो ये दुखद है. लेकिन इसके लिए अपने डॉक्टर से मिलिए, एम्बुलेंस मत बुलाइए."
तस्वीर: picture alliance/dpa/C. Klose
एक और ट्वीट
"किसी ने फोन करके बताया कि घर की चाभी अंदर ही रह गई है. तो आप ताला तोड़ने वाले को बुलाइए. इसमें हम आपकी क्या मदद कर सकते हैं?"
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Kalaene
अपने काम से काम रखो
एक घर में आग लगने के बाद पुलिस को ये ट्वीट करना पड़ा - दमकलकर्मी और डॉक्टर घटनास्थल पर हैं. जिन लोगों का हादसे से कोई लेना देना नहीं है, वो फोन कर कर के कृपया ये ना पूछें कि वहां क्या चल रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Steinberg
साठ के दशक का एक उदाहरण
"मेरे पोते के बैग में खाना रखा है. वो जू जा रहा है. क्या आप उसे कह देंगे कि बैग सीधा ही रखे, नहीं तो रस बाहर आ जाएगा."
तस्वीर: picture alliance/dpa/W. Steinberg
एक महिला का फोन
"आज तो आप लोग पार्टी कर रहे होंगे. आज एमरजेंसी कॉल का दिन है. मैंने सोचा मैं भी मुबारकबाद दे दूं."