ग्रीस ने मैसेडोनिया को शरणार्थियों पर "अत्यधिक बल" प्रयोग करने पर लताड़ा है. रविवार को इडोमेनी के शरणार्थियों ने बाड़ तोड़ने का प्रयास किया जिसे रोकने के लिए मैसेडोनिया की पुलिस ने उन पर आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं.
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मैसेडोनिया पुलिस का कहना है कि शरणार्थियों ने उन पर पत्थर और कई दूसरी चीजें फेंकीं. उन्होंने बताया कि इडोमेनी के शरणार्थी मैसेडोनिय की सीमा पर लगी बाड़ को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे.
मेडिकल चैरिटी, डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डस (एमएसएफ) ने बताया है कि उन्होंने इस घटना में घायल हुए कम से कम 260 लोगों का इलाज किया है. इनमें से 200 को सांस की परेशानी था, तो वहीं 30 ऐसे थे जिन्हें प्लास्टिक की गोलियों से चोट लगी.
इडोमेनी में करीब 11,000 ऐसे प्रवासी और शरणार्थी फंसे हुए हैं, जो सीरिया और इराक में युद्ध के माहौल से भागे हैं. कैंपों में जीवन बिताने को मजबूर ये हजारों लोग फरवरी के महीने में बाल्कन रूट बंद किए जाने के कारण यूरोप में आगे की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं. कुल मिलाकर ऐसे 50,000 से भी अधिक लोग ग्रीस में अटके हैं.
ग्रीस के प्रवासी मामलों के प्रवक्ता गिओर्गोस किरित्सिस ने मैसेडोनिया की प्रतिक्रिया को जरूरत से ज्यादा सख्त बताया है. वीमा रेडियो स्टेशन से बातचीत में किरित्सिस ने कहा, उनके "अत्यधिक बल प्रयोग" से "ग्रीस की धरती पर बहुत कठिन स्थिति" पैदा हो गई है.
इडोमेनी के बच्चे
तुर्की से ग्रीस होकर यूरोप में घुस रहे शरणार्थी जगह जगह फंसे हुए हैं. ग्रीक मेसेडोनिया सीमा पर इडोमेनी में शरणार्थी अमानवीय हालत में दिन काट रहे है. बरसात और ठंड में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को है.
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गंदगी की जिंदगी
बाल्कान रूट बंद हो गया है. इसका फैसला स्लोवेनिया, सर्बिया और क्रोएशिया ने किया. उत्तरी ग्रीस के इडोमेनी शहर में 10,000 शरणार्थी फंस गए हैं जो अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था के अनुसार कैंप में रहने वाले लोगों में आधे बच्चे हैं.
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बंद सीमा
युद्ध और विभीषिका से भागकर यूरोप पहुंचना मुश्किल होता जा रहा है. यहां तक कि सीरिया के अपेक्षाकृत शांत दमिश्क, लताकिया और होम्स जैसे इलाकों से आने वाले लोग भी अब सीमा पार नहीं कर सकते. शरणार्थियों से वैध दस्तावेजों की मांग की जा रही है.
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खुशी के मौके
हंसते मुस्कुराते बच्चों की चमकती आंखें. ऐसे क्षण तब दिखते हैं जब यहां 'विद्रोही जोकर' आते हैं. उनके आते ही सभी उम्र के बच्चे कतार बांध कर खड़े हो जाते हैं. लेकिन ऐसा कब तक चलेगा. युवा शरणार्थी अपनी हालत के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे हैं.
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खोता बचपन
इन बच्चों के लिए न तो स्कूल की व्यवस्था है और न ही किंडरगार्टनों की. दिन भर उनके करने के लिए कुछ नहीं है. साथ ही गंदगी की वजह से महामारियों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. यहां दो बच्चों के लिए घिसा पिटा गद्दा ही उनका प्लेग्राउंड हैं.
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पटरियों पर जीवन
बहुत से शरणार्थियों की जिंदगी रेल की उन पटरियों पर गुजर रही है जो ग्रीस से मेसेडोनिया की ओर जाती है. अक्सर बच्चे पास खड़े डब्बों से हाई वोल्टेज बिजली के खंभों में चढ़ते नजर आते हैं. नतीजा जानलेवा दुर्घटनाओं के रूप में सामने आता है.
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लक्ष्यहीनता में कैद
करीब 36,000 शरणार्थी ग्रीस में फंसे हुए हैं. इडोमेनी उनके लिए दरअसल अंतरिम मुकाम है. वहां न तो ग्रीक अधिकारी हैं और न ही यूरोपीय अधिकारी. शरणार्थियों की न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने की ज्यादातर जिम्मेदारी गैर सरकारी संगठन उठा रहे हैं.
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जहरीली आग
सर्दी की रातों में ठंड से बचने के लिए शरणार्थियों को अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है. लकड़ी के अभाव में वे गर्मी के लिए प्लास्टिक का कचरा जलाते हैं. इससे जहरीला धुंआ निकलता है. अक्सर सांस की तकलीफ के कारण बच्चों का इलाज करना होता है.
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ईयू की योजना
इडोमेनी की बच्चों के लिए एकमात्र उम्मीद है इंतजार. यूरोपीय संघ के देशों ने ग्रीस में फंसे शरणार्थियों की मदद के लिए 70 करोड़ यूरो का इमरजेंसी प्लान बनाया है. ग्रीस का कहना है कि जल्द ही उन्हें 100,000 लोगों की देखभाल करनी होगी.
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डॉक्टरों का गुस्सा
राहत संगठन डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने यूरोपीय संघ की योजना की कड़ी निंदा की है. वे अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी नियमों को तुरंत लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं. इसमें यूरोप में वैध रूप से शरण लेने का आवेदन दे सकना भी शामिल है.
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रविवार की घटना के एक दिन पहले ही इडोमेनी के कैंपों में अरबी भाषा में लिखे कुछ पर्चे बंटने की सूचना है. बताया जा रहा है कि उसमें बॉर्डर फिर से खोले जाने की बात लिखी थी. ग्रीस प्रशासन को इस बारे में पता चलने पर उन्होंने सीमा पर अपनी तादाद दोगुनी कर दी थी.
रविवार को जब करीब 500-500 लोगों की भीड़ तीन ओर से बाड़ को तोड़ने के लिए आगे बढ़ने लगी तो मैसेडोनिया की पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बल प्रयोग किया. ग्रीस प्रशासन भी इडोमेनी के लोगों को समझा बुझा कर पास के स्वागत केंद्रों में भेजने की कोशिश करता रहा है. बहुत से लोग इन स्वागत केंद्रों पर ना जाकर वहीं इडोमेनी में रहकर सीमा के खुलने तक इंतजार करना चाहते हैं.
शनिवार को ही एजियन सी के रास्ते ग्रीस पहुंचने की कोशिश में हुई दुर्घटना में चार महिलाओं और एक बच्चे की मौत हो गई. तीन हफ्ते से लागू ईयू-तुर्की समझौते के प्रभाव में आने के बाद से यह पहला हादसा है.