नए कृषि कानूनों पर किसानों के साथ चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने 32 किसान संघों को बातचीत के लिए बुलाया है. ठंड और महामारी के बीच किसान दिल्ली की सीमाओं पर अभी भी डटे हुए हैं.
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कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि ठंड और कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार किसानों के साथ अपनी बैठक की निर्धारित तिथि से पहले ही मंगलवार एक दिसंबर को ही किसानों के साथ बैठक करेगी. उन्होंने 32 किसान संघों को दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर तीन बजे बैठक में शामिल होने का न्योता दिया है.
किसी भी संघ ने अभी तक निमंत्रण मंजूर करने की पुष्टि नहीं की है, बल्कि कुछ किसान नेताओं ने कहा है कि यह सरकार द्वारा सभी किसान संघों के बीच फूट डालने की कोशिश है. उनका कहना है कि संघर्ष में 500 से भी ज्यादा संगठन शामिल हैं लेकिन सरकार ने बैठक के लिए सिर्फ 32 को बुलाया है.
उनका यह भी कहना है कि वे तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मूल मांग से समझौता नहीं करेंगे. इस बीच पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से भी आए किसान अभी भी दिल्ली की सभी सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि धरने पर बैठे किसानों की संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है क्योंकि मंगलवार को पंजाब और हरियाणा से और भी किसानों के आने की उम्मीद है.
ऐसी भी खबरें हैं कि अभी तक धरने पर बैठे कम से कम दो किसानों की स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण मृत्यु हो चुकी है. दिल्ली में इस बार इस समय सामान्य से ज्यादा ठंडा मौसम है. तापमान इतना नीचे पहुंच गया है जितना पिछले 71 सालों में नहीं गया.ऐसे में सुरक्षाबलों ने कई बार प्रदर्शन कर रहे किसानों पर वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया और उन्हें ठंडे पानी से तरबतर कर दिया.
लेकिन किसान फिर भी पीछे नहीं हट रहे हैं, बल्कि प्रशासन के बल प्रयोग का भी खुल कर विरोध कर रहे हैं. दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर सीमा पर सोमवार को किसानों ने बार बार बॉर्डर पार करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने हर बार उनके प्रयासों को विफल कर दिया.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर पुलिस धारा 144 लगा सकती है तो हम 288 लगा सकते हैं ताकि पुलिस हमारी तरफ नहीं आ सके. दरअसल वे 144 को दोगुनी कर 288 की बात कर रहे हैं. उधर प्रशासन द्वारा किसानों को दिल्ली में आने से रोकने के प्रयास की वजह से लगभग सभी सीमाएं सील हैं और वहां से लोगों और सामान की आवाजाही नहीं हो पा रही है.
हालात अगर ऐसे ही रहे तो राजधानी में दूध, सब्जियां, पोल्ट्री जैसी आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पर असर पड़ेगा जिस से प्रशासन पर दबाव और बढ़ने की संभावना है. देखना होगा कि मंगलवार की बैठक इस गतिरोध को समाप्त कर पाती है या नहीं.
राज्य सभा में तीन घंटों में सात विधेयकों का पास हो जाना अपने आप में एक नई घटना है. यह तब संभव हुआ जब विपक्ष ने उसकी बात ना सुने जाने के विरोध में सदन का बहिष्कार कर दिया. जानिए क्या है इन विधेयकों में.
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बहिष्कार
मानसून सत्र 2020 के दौरान राज्य सभा से विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन के बाद, अधिकतर विपक्षी दलों ने सदन का बहिष्कार कर दिया. लेकिन इसके बावजूद सदन की कार्रवाई चलती रही और साढ़े तीन घंटों में ही एक के बाद एक सात विधेयक पारित हो गए.
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आईआईटीयों पर विधेयक
इनमें सबसे पहले पास हुआ भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020. इसके तहत पांच नए आईआईटीयों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया जाना है. इसके अलावा बाकी छह विधेयक भी लोक सभा से पहले ही पारित हो चुके थे.
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आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक
यह उन कृषि संबंधी विधेयकों में से एक है जिनका किसान और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू को निकालना और उन पर भंडारण की सीमा तय करने की सरकार की शक्ति को खत्म करना है.
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बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक
इस बिल का उद्देश्य सहकारी बैंकों को आरबीआई की देखरेख में लाना है. 2019 में पीएमसी सहकारी बैंक में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था, जिससे आम खाताधारकों की जमापूंजी के डूब जाने का खतरा पैदा हो गया था.
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कंपनी (संशोधन) विधेयक
कंपनी अधिनियम, 2013 का और संशोधन करने वाले इस विधेयक का उद्देश्य है पुराने कानून के तहत कुछ नियमों के उल्लंघन के लिए सजा को कम करना. विपक्ष की आपत्ति थी कि सजा कम करने से कंपनी मालिकों को लगेगा की वे वित्तीय अनियमितताओं के दोषी पाए जाने पर भी बच जाएंगे.
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राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य गुजरात स्थित गुजरात न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय बनाना और उसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना है.
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राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य है गुजरात में ही स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय बनाना और उसे भी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देना.
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कराधान संबंधी विधेयक
इस विधेयक का उद्देश्य कराधान यानी टैक्सेशन संबंधी नियमों में कुछ संशोधन करना था, जिससे कंपनियों को कोरोना वायरस महामारी की वजह से हुए नुक्सान को देखते हुए कर संबंधी नियमों के पालन और भुगतान आदि के लिए अतिरिक्त समय दिया जा सके. यह एक धन विधेयक यानी 'मनी बिल' था, इसलिए इसे लोक सभा वापस लौटा दिया गया.
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पहले भी हुआ
शोरगुल के बीच बिलों को पास कराने का काम पहले भी हुआ है. 2008 में लोक सभा में शोरगुल के बीच 17 मिनटों में आठ विधेयक पास करा लिए गए थे.