पुलिस ने ‘दिलवाई’ फिरौती, पर अपहृत युवक को नहीं ढूंढ़ पाई
२० जुलाई २०२०![Indien Kanpur | Polizeistation | Entführung](https://static.dw.com/image/54245669_800.webp)
अपहृत युवक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस के कहने पर उन्होंने कथित अपहर्ताओं को तीस लाख रुपये की फिरौती दे दी है, लेकिन बंधक का अभी तक पता नहीं है. कानपुर में बर्रा के रहने वाले चमन सिंह यादव के बेटे संजीत कुमार गत 22 जून की शाम से ही लापता हो गए थे. परिजनों ने बर्रा निवासी राहुल यादव पर बेटे का अपहरण करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में एक तहरीर दी थी. पुलिस ने राहुल को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की लेकिन इस दौरान 29 जून की चमन सिंह यादव के पास कथित अपहर्ताओं का फोन आया और फोन पर ही तीस लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई. परिजनों का आरोप हैं कि पुलिस वालों के कहने पर उन्होंने फिरौती की रकम का इंतजाम किया और पुलिस के माध्यम से उसे दिया भी गया लेकिन न तो संजीत का कुछ पता चला है और न ही अपहर्ताओं का सुराग लगा.
संजीत के पिता चमन सिंह यादव ने मीडिया को बताया, "पहले पुलिस मेरे बेटे को एक हफ्ते तक ढूंढ नहीं पाई. जब किडनैपर्स का फोन फिरौती के लिए आया तो पुलिस ने हमें फिरौती देने को कहा और बोली कि जिस टाइम फिरौती की रकम लेने बदमाश आएंगे उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. लेकिन बदमाश फिरौती की रकम लेकर आसानी से निकल गए और पुलिस उन्हें ढूंढती ही रह गई. हमारे पैसे भी चले गए और बेटे का कुछ पता भी नहीं चल सका.” संजीत कुमार एक अस्पताल में लैब टेक्नीशियन की नौकरी करता था. 22 जुलाई की शाम को वह अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने गया था लेकिन वापस नहीं आया. परेशान परिजनों ने अगले दिन पुलिस को इस बात की सूचना दी और एफआईआर दर्ज कराई. कोई मदद न मिलने और संजीत का कुछ भी पता न चलने के बाद परिजनों ने उच्चाधिकारियों से भी संपर्क किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पुलिस ने संजीत के कई दोस्तों से भी पूछताछ की है लेकिन अपहर्ताओं तक वह अभी तक नहीं पहुंच पाई है.
पुलिस ने दिलवाई फिरौती
किडनैपर्स ने पैसे पाने के बाद भी संजीत को नहीं छोड़ा, इस वजह से पीड़ित परिवार काफी डरा हुआ है. परिजनों का आरोप है कि किडनैपर्स उन्हें बार-बार एक ही नंबर से फोन कर रहे हैं, फिर भी पुलिस उन्हें नहीं ढूंढ़ पा रही है. पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने के अलावा संजीत के परिजनों पर बयान बदलवाने का भी आरोप लग रहा है. दो दिन पहले परिजनों ने मीडिया में अपना बयान बदलते हुए कहा था कि जो बैग किडनैपर्स को दिया गया था, उसमें पैसे नहीं, बल्कि कपड़े भरे थे. लेकिन बाद में परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने दबाव बनाकर उनसे ये बयान देने को कहा था. चमन सिंह यादव कहते हैं, "पुलिस ने कहा कि अगर पैसे की बात करोगे तो तुम्हारे बेटे की जान को खतरा हो सकता है.”
संजीत की बहन रुचि ने मीडिया को बताया कि हम लोगों ने अपना मकान बेच कर किडनैपर्स को तीस लाख रुपये दिए, पुलिस ने यकीन दिलाया था कि फिरौती लेने आए किडनैपर्स को वो दबोच लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि कानपुर की पुलिस अधीक्षक (दक्षिण) अपर्णा गुप्ता ने इस बात से इनकार किया है कि पुलिस ने कोई फिरौती दिलाई है या फिर अपहर्ताओं को कोई फिरौती दी गई है. उन्होंने दावा किया है कि जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा. वहीं इस बारे में कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी का कहना है कि अपहर्ताओं तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है और जल्द ही वो पुलिस की गिरफ्त में आ जाएंगे. दिनेश कुमार पी कहते हैं, "किडनैप हुए युवक को सकुशल बरामद किया जाएगा, साथ ही फिरौती की रकम भी जल्द वापस होगी. यदि इस मामले में पुलिसकर्मी दोषी हुए तो उन्हें भी सख्त सजा दी जाएगी.”
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
एसएसपी ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी को निलंबित भी कर दिया है. मामले की जानकारी पर राज्यसभा सांसद चौधरी सुखराम यादव पीड़ित परिजनों से मिले और कहा कि पूरे मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. उन्होंने इस मामले को राज्यसभा में भी उठाने की बात कही है. कानपुर में विकास दुबे एनकाउंटर और उससे पहले आठ पुलिसकर्मियों की हत्या मामले में भी पुलिस की कार्रवाई और पुलिस की कार्यप्रणाली, दोनों पर ही सवाल उठ चुके हैं. जहां बिकरू कांड में दबिश डालने गई पुलिस टीम पर बिना किसी तैयारी के जाने पर सवाल उठ रहे हैं तो इस मामले में पुलिस की ट्रेनिंग और उसकी दक्षता पर भी उंगलियां उठ रही हैं.
यूपी में पुलिस महानिदेशक रहे रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी वीएन राय कहते हैं, "पहली बात तो पुलिस की ट्रेनिंग पर अभी बहुत कुछ सुधार करना है और दूसरे, कुछ खास किस्म के अपराधियों से निपटने के लिए दक्ष पुलिसकर्मियों और अधिकारियों का एक कैडर भी बनाना होगा ताकि उसमें हमेशा प्रशिक्षित और जानकार लोग ही जाएं. जिलों में क्राइम ब्रांच जरूर है लेकिन उसमें ज्यादातर उन्हीं पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की तैनाती होती है जो कानून-व्यवस्था और सुरक्षा इत्यादि में लगे होते हैं. ऐसे में न तो उनकी सही ट्रेनिंग हो पाती है और न ही अनुभव मिल पाता है.”
हालांकि इस मामले में पुलिस ट्रेनिंग या दक्षता से ज्यादा सवाल पुलिसकर्मियों की अपराधियों से कथित संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है. लेकिन इन सबके बीच अपहृत युवक के परिजन इस बात से आशंकित हैं कि फिरौती की रकम देने के बावजूद संजीत सुरक्षित है या नहीं?
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