उत्तर प्रदेश के हाथरस में दो हफ्ते पहले हुए सामूहिक बलात्कार की पीड़िता की मौत के बाद पुलिस पर उसके शव को जबरदस्ती जला देने का आरोप लग रहा है. दलित पीड़िता की मृत्यु दूर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हुई थी.
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मीडिया में आई खबरों में बताया जा रहा है कि पहले तो पुलिस ने बिना पीड़िता के परिवार को बताए अस्पताल से उसका शव जब्त कर लिया और जब उसके पिता और भाई इसके विरोध में धरने पर बैठ गए तब पुलिस उन्हें भी ले गई. इसके बाद आधी रात को पुलिस पीड़िता के शव को लेकर दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर दूर उसके गांव पहुंची और उसके परिवार को तुरंत उसका अंतिम संस्कार करने को कहा.
परिवार ने इससे इनकार कर दिया और पुलिस से कहा कि अंतिम संस्कार के लिए सुबह का इंतजार करना चाहिए, लेकिन पुलिस ने परिवार की बात नहीं मानी. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि पुलिस ने परिवार को शव को घर भी ले जाने नहीं दिया और कुछ देर बाद विरोध कर रहे परिवारजनों और गांव वालों से दूर ले जा कर शव को जला दिया.
बताया जा रहा है कि पीड़िता के परिवारजनों, अन्य लोगों और मीडिया को शव दाह स्थल से दूर रखने के लिए पुलिसकर्मियों ने मानव श्रृंखला बना ली थी. एक वीडियो में पुलिसकर्मियों के पीछे आग नजर आ रही है लेकिन उसके बारे में रिपोर्टर द्वारा पूछे जाने पर मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उसे नहीं मालूम कि क्या जल रहा है.
एक और वीडियो में एक पुलिस अधिकारी को परिवार से कहते हुए सुना जा सकता है कि "रीति रिवाज समय के साथ बदलते रहते हैं" और "कुछ गलतियां आप लोगों से भी हुई हैं, इस बात को आप लोगों को स्वीकार करना चाहिए." हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट ने बस इतना ही कहा है कि प्रशासन पीड़ित के परिवार की "यथा संभव" मदद करेगा और "फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कराकर दोषियों को जल्द सजा" दिलवाएगा.
इस पूरे प्रकरण से पीड़िता और उसके परिवार पर जो बीती उस पर विपक्षी पार्टियों और लोगों में आक्रोश दिख रहा है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन द्वारा पीड़िता के मरने के बाद भी उसके मानवाधिकारों के हनन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए.
घटना 14 सितंबर की है. हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में 19 साल की दलित युवती अपने परिवार के साथ खेत पर घास काट रही थी, तभी ऊंची जाति के चार लोगों ने उसे उसके दुपट्टे से खींच कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसके साथ मार पीट भी की. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ डाली और उसकी जीभ काट दी ताकि वह बयान ना दे सके.
अस्पताल में भर्ती होने के एक हफ्ते बाद, लड़की ने पुलिस को बताया था कि उसके साथ चार लोगों ने दुष्कर्म किया था. पीड़िता द्वारा उन चारों आरोपियों का नाम लेने पर पुलिस ने उन्हें दुष्कर्म, हत्या के प्रयास और एससी/एसटी अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया था.
2019: पांच तरीके, जो यौन हिंसा के खिलाफ बने विरोध का हथियार
भारत में 2019 को बलात्कार की कई जघन्य घटनाओं के लिए याद किया जाएगा. वहीं दुनियाभर में यह यौन हिंसा के खिलाफ महिलाओं के संघर्ष का साल रहा है. एक नजर उन पांच तरीकों पर, जिनके जरिए महिलाओं ने अपना प्रतिरोध जताया.
अरब देश ट्यूनिशिया में एक स्कूल के बाहर कथित तौर पर हस्तमैथुन कर रहे एक सांसद की फुटेज सामने आने के बाद वहां #MeToo या #EnaZeda आंदोलन शुरू हुआ. बहुत सी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर बताया कि कैसे उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना पड़ा है. इससे पहले पूरी दुनिया में इस आंदोलन के जरिए कई सफेदपोश लोगों की हकीकत सामने आई.
तस्वीर: picture-alliance/D. Christian
"आपके रास्ते में बलात्कारी"
चिली की महिलावादी कार्यकर्ताओं के गीत "A Rapist in your Path" की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी. मेक्सिको, फ्रांस और तुर्की जैसे कई देशों में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गीत पर परफॉर्म किया. गीत के बोल सरकार और देशों की आलोचना करते हैं कि वे बलात्कार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं. यौन अपराधों के लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराने वाली सोच को भी यह गीत खारिज करता है.
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"यहां राजनीति नहीं चलेगी"
स्पेन में धुर दक्षिणपंथी पार्टी वोक्स के एक नेता ने जब महिलाओं के खिलाफ हिंसा की निंदा करने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया तो प्रदर्शनकारी राजधानी मैड्रिड की सड़कों पर उतर आए और ट्रैफिक जाम कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता नादियो ओटमान ने खावियर ऑर्तेगा स्मिथ का विरोध करते हुए कहा, "लैंगिक हिंसा के साथ आप राजनीति नहीं खेल सकते."
तस्वीर: Imago Images/Agencia EFE/E. Naranjo
जापान में नौकरी के बदले सेक्स?
जापान में कुछ प्रोफेसर और यूनिवर्सिटी छात्र मिल कर एक मुहिम चला रहे है जिसका मकसद नौकरी खोजने वाले ग्रेजुएट्स का यौन उत्पीड़न रोकना है. उनका कहना है कि नौकरियां कम हैं और इच्छुक लोग बहुत सारे हैं. ऐसे में नौकरी देने वाले ग्रेजुएट्स की मजबूरी का फायदा उठाने से नहीं हिचकते. बहुत से युवा नौकरी ना मिल पाने के डर से इस बारे में बात भी नहीं करते.
तस्वीर: BMwF/Ina Fassbender
रूस में सख्त कानून की वकालत
रूस में घरेलू हिंसा के खिलाफ कोई कानून नहीं है. तीन साल पहले एक बिल संसद में लाया गया जो पास नहीं हो पाया. इस साल बिल को फिर से संसद में लाया गया. लेकिन महिला आधिकार कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिल में महिलाओं के संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं. वे इससे ज्यादा मजबूत बिल की वकालत कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/M. Grigoryev
गंभीर स्थिति
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जो अपने जीवन में कभी ना कभी यौन हिंसा का शिकार हुई हैं. भारत में 2012 के गैंगरेप कांड के बाद से महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. बावजूद इसके बलात्कार की घटनाएं लगातार सुर्खियां बन रही हैं. (स्रोत: ह्यूमन राइट्स वॉच, रॉयटर्स, संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल)