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पूरब जाते पश्चिम के रसोइये

२ फ़रवरी २०१३

एशिया की बढ़ती अर्थव्यवस्था की ओर आकर्षित होने वालों में अब पश्चिमी देशों के खानसामा भी शामिल हो गए हैं. लेकिन पूर्वी देशों में सफलता सिर्फ विशेषज्ञों को भेज देने पर निर्भर नहीं करती. और दूसरी भी चुनौतियां उनके सामने है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

चीनी शहरों और मकाऊ में डाइनिंग कंसेप्ट शुरू करने वाले संदीप सेखरी कहते हैं, जो न्यूयॉर्क में चल जाता है वह जरूरी नहीं कि हॉन्ग कॉन्ग भी चले. उन्होंने मारियो बटाली और माइकल व्हाइट के साथ भी काम किया है.

पिछले ही साल बटाली ने न्यूयॉर्क फैमिली स्टाइल का रेस्तरां लूपा हॉन्ग कॉन्ग के अमीर इलाके में शुरू किया. मैनहैटन के रेस्तरां जैसे ही यहां रिकोटा ग्नोकी सॉसेज और फेनेल के साथ परोसा जाता है. लेकिन कुछ फर्क तो है. डाइनिंग कंसेप्ट के प्रबंध निदेशक सेखरी कहते हैं, "एशिया में लोग ज्यादा आराम चाहते हैं. इसे ज्यादा आरामदेह होना चाहिए."

एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था यूरोजोन या अमेरिका की तुलना में बेहतर स्थिति में है. लेकिन तीन चार साल पहले जो लोग हमसे कोई संवाद नहीं बनाना चाहते थे, वो अब बात करने को तैयार हैं. वह भी मशहूर शेफ्स के लिए.

इस कंपनी का पिछले साल का राजस्व साढ़े छह करोड़ था. "जितना बड़ा नाम होगा अपेक्षाएं भी उतनी ही ज्यादा रखी जाती हैं. हम लूपा के साथ पारिवारिक स्टाइल का ट्रैटोरिया शुरू करना चाहते हैं लेकिन लोग हमारी तुलना तीन या चार सितारा रेस्तरां से करते हैं जो हमारा आयडिया ही नहीं है."

बटाली ने हाल ही में सिंगापुर के मरिना बे सैंड्स पर भी एक रेस्तरां शुरू किया है.

तस्वीर: DW

जिया बुटीक होटल के मालिक येन वोंग कहते हैं, "सिंगापुर में माइकलिन स्टार शेफ तेजी से बढ़े हैं इसका कारण कैसिनो हैं. अब रेस्तरां की बढ़ती संख्या चुनौती बन गई है. कुछ तो इतने महंगे हैं कि सामान्य नागरिक इनमें जा ही नहीं सकता."

वोंग ने हाल ही में ब्रिटिश शेफ जैसन एथर्टन के साथ काम शुरू किया है. वे पहले माइकलिन के स्टार खानसामा थे. "कभी आपको पता नहीं होता कि इतने मशहूर और बड़े शेफ के साथ काम करना मुश्किल होगा या आसान. डिश बहुत भारी नहीं होती." वोंग ने ही ऑस्ट्रेलियाई खाने वाला एक रेस्तरां शुरू किया था लेकिन वह फ्लॉप हो गया. "जब हमने शुरू किया तो लोगों की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी थी लेकिन दो साल बाद लोगों की संख्या कम हो गई क्योंकि आप बता नहीं सकते कि ऑस्ट्रेलिया का खास पकवान कौन सा है. हमने इससे सीखा और सोचा कि हमें ज्यादा फोकस करना होगा."

भले ही खाना अच्छा हो लेकिन एक खानसामा को नए किचन में, अपने घर के कई सौ किलोमीटर दूर लाना मुश्किल साबित हो सकता है. क्योंकि सिर्फ मेनू में बदलाव काफी नहीं होता. "किचन में नए सदस्यों को लाना किसी भी शेफ के लिए बड़ा बदलाव हो सकता है खासकर अगर खानसामा न्यूयॉर्क से आ रहे हों. शुरुआत में किचन में पांच अलग अलग भाषाएं बोली जाती हैं."

तस्वीर: DW

28 साल के विंसेट लॉरिया हॉन्ग कॉन्ग के आईएचएम के प्रमुख खानसामा हैं. वह न्यूयॉर्क के बैबो रेस्तरां में काम कर चुके हैं. 2009 में वह आईएचएम के साथ काम करने एशिया आ गए. "पहली बार मैं एशिया आया तो मेरा व्यवहार न्यूयॉर्क जैसा ही था, आक्रामक. न्यूयॉर्क में इतनी गला काट प्रतियोगिता है. हर कोई टॉप पर रहना चाहता है. सब आपकी पोजिशन चाहते हैं. यहां आपको लोगों का ख्याल रखना पड़ता है अपने स्टाफ को सिखाना पड़ता है ताकि वो आपकी रेसिपी को समझ व सीख सकें."

कई पश्चिमी खानसामों की तरह लॉरिया का अनुभव है कि एशियाई लोगों को उनकी रेसिपी में नमक बहुत ज्यादा लगा. लेकिन वह कहते हैं, "लेकिन मैं अपना खाना बनाने का तरीका नहीं बदलूंगा. क्योंकि अगर आप बदल जाते हैं तो फिर मुश्किल होती है." लॉरिया कहते हैं कि वह स्थानीय उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. "यहां मिलने वाले सूखे झींगे जिनमें पास्ता डाला जा सकता है या फिर कोय सम जैसी हरी सब्जियां जिन्हें ब्रोकोली की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है. हम स्थानीय फार्म के साथ काम करते हैं. अगर मिलने वाले उत्पादों पर आप नजर रख सकें तो स्वाद बेहतर कर सकते हैं."

यह काम जितना मजे का बाहर से दिखता है उतना है नहीं. लॉरिया कहते हैं, "यह झूठ है कि यह काम बहुत हल्का है. इसमें बहुत मेहनत करनी पड़ती है. अपने काम को लेकर आपमें जुनून होना चाहिए क्योंकि इसके बिना आप खड़े हो ही नहीं सकते. किराया, स्टाफ, सर्विस और बने रहना, हर दिन शो करना पड़ता है."

एएम/ओएसजे (एएफपी)

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