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पूरी तरह अन्ना के साथ नहीं शाहरुख

२१ अगस्त २०११

भारत में आजकल एक सवाल आम बातचीत का हिस्सा है. आप अन्ना के साथ हैं या नहीं?बॉलीवुड के सितारे भी इस सवाल से अछूते नहीं हैं. शाहरुख खान एक होटल कॉम्प्लेक्स के उद्घाटन में हिस्सा लेने पहुंचे, तो उनका सामना इसी सवाल से हुआ.

तस्वीर: webdunia

शाहरुख खान आमतौर पर राजनीति से दूर रहते हैं. उनकी सबसे बड़ी फिक्र तो फैन्स हैं जो उनकी फिल्में देखते हैं और उनकी जेब भरते हैं. शाहरुख उन्हें नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकते. इसलिए वह देश के गंभीर और संवेदनशील मुद्दों पर काफी संभलकर बोलते हैं क्योंकि वह दोनों तरफ के लोगों को अपने साथ रखना चाहते हैं.

क्या कहा शाहरुख ने

तो क्या आप अन्ना के साथ हैं, इस सवाल का जवाब भी उन्होंने बहुत ही संभलकर दिया. उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन का पूरा समर्थन करते हैं. लेकिन इसके हर पहलू को बहुत गंभीरता के साथ देखा जाना चाहिए. लेकिन समर्थन की बात भी उन्होंने सीधे सीधे नहीं कही. शाहरुख ने कहा, "मुझे लगता है कि हम सब इस मकसद का समर्थन करते हैं. मेरे ख्याल से देश में भ्रष्टाचार बिल्कुल नहीं होना चाहिए. लेकिन यह सारा मामला इतना बड़ा और विशाल हो गया है कि इसके बहुत सारे पहलू बन गए हैं. हमें रुक कर, ठहरकर, सोच समझकर इन सारे पहलुओं को देखना चाहिए. हम सिर्फ यह कहते रहकर काम नहीं चला सकते कि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के साथ हैं."

तस्वीर: dapd

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कानून बनाने के लिए आंदोलन कर रहे अन्ना हजारे इस वक्त दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे हैं. वह पिछले छह दिन से अनशन कर रहे हैं और उनके समर्थन में दसियों हजार लोग रामलीला मैदान में जमा हैं. ये हजारों लोग भ्रष्टाचार से पीड़ित हैं और चाहते हैं कि देश से भ्रष्टाचार जड़ से खत्म हो जाए. इन्हें लगता है कि अन्ना हजारे और उनके साथियों का बनाया बिल भ्रष्टाचार को खत्म करने में रामबाण साबित होगा.

क्या कहना चाहते हैं शाहरुख

शाहरुख खान मानते हैं कि अन्ना के बिल का विरोध कर रहे लोग भी सही हो सकते हैं. 45 वर्षीय सुपर स्टार कहते हैं, "भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का हम सभी समर्थन करते हैं. किसी देश में इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता. लेकिन इस शानदार मकसद के बहुत सारे पहलू हैं. समाज का बुद्धिमान हिस्सा होने के नाते हमें इसे लागू करने के बारे में सोचना होगा. इसके संवैधानिक पहलू क्या हैं, इसके लिए संसदीय प्रक्रिया क्या है, व्यवहारिकता में इसका क्या होगा, इसके नतीजे क्या निकलेंगे."

शाहरुख मानते हैं कि आंदोलन ही काफी नहीं है, विचार भी करना होगा. वह कहते हैं, "अगर हम विचार नहीं करते हैं तो सिर्फ बात करते रहेंगे, आंदोलन करते रहेंगे. हमें इस बात पर विचार करना होगा कि कैसे इसके सबसे अच्छे नतीजे हासिल किए जा सकें ताकि यह सारी कवायद फिजूल न चली जाए."

तस्वीर: dapd

शाहरुख ने एक ही बात साफ साफ नहीं कही, जो उनकी बातों से समझ आ रही है. शायद वह पूरी तरह अन्ना हजारे से सहमत नहीं हैं, लेकिन कहते डर रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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