मालदीव के राजनैतिक संकट के बीच चीनी नौसेना के 11 युद्धपोत पूर्वी हिंद महासागर के लिए निकले हैं. चीन की न्यूज वेबसाइट ने यह नहीं बताया है कि भारत की ओर निकला यह दस्ता कहां तैनात किया जा रहा है.
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चीनी न्यूज बेवसाइट Sina.com.cn के मुताबिक 11 युद्धपोतों का दस्ता हिंद महासागर में दाखिल हो चुका है. दस्ते में कम से कम एक फ्रिगेट जहाज है. एक 30,000 टन वाला एम्फिबियस ट्रांसपोर्ट डॉक है. तीन सपोर्ट टैंकर भी हैं. रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि नौसैनिक बेड़ा कहां और कितने समय के लिए तैनात किया जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, "अगर आप युद्धपोतों और अन्य उपकरणों को देखेंगे तो भारतीय और चीनी नौसेना के बीच अंतर बहुत बड़ा नहीं है." युद्धपोतों की तैनाती को लेकर जब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने चीनी रक्षा मंत्रालय से संपर्क किया तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. लेकिन बीते शुक्रवार को चीन की सोशल मीडिया साइट वाइबो पर पीपुल्स लिबेरेशन आर्मी की तस्वीरें पोस्ट की गईं. तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट भी थी, जिसमें कहा गया कि पूर्वी हिंद महासागर में सेना रेस्क्यू ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर रही है.
कितनी ताकतवर है चीन की सेना
चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. दुनिया की सेनाओं पर नजर रखने वाली संस्था ग्लोबल फायर पावर के मुताबिक उसकी सेना की ताकत आंकड़ों में इतनी है...
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सैनिक, 23 लाख 35 हजार
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सुरक्षित बल, 23 लाख
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कुल विमान, 2942
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लड़ाकू विमान, 1230
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हेलीकॉप्टर, 802
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हमलावर हेलीकॉप्टर 200
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टैंक, 9150
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प्रमुख बंदरगाह, 15
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पनडुब्बी, 68
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जहाजी बेड़ा, 714
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विमानवाहक पोत, 1
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11 तस्वीरें1 | 11
हिंद महासागर के द्वीप देश मालदीव का राजनैतिक संकट इस वक्त भारत और चीन को आपस में उलझा रहा है. मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने बीजिंग के वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए दस्तखत कर चुके हैं. नई दिल्ली को यह बात परेशान करती है.
भारतीय तट से 400 किलोमीटर दूर बसे मालदीव के कई दशकों से भारत के साथ राजनैतिक और सुरक्षा संबंधी रिश्ते रहे हैं. इस वक्त देश राजनैतिक संकट से गुजर रहा है. फरवरी की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विपक्षी नेताओं को रिहा करने के फैसले के बाद राष्ट्रपति अब्दुल यामीन ने देश में 15 दिन की इमरजेंसी लगा दी. 5 फरवरी को लगाई गई इमरजेंसी को अब वह 15 दिन और लंबा करना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत कई जज और नेता गिरफ्तार पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. मालदीव के विपक्षी नेता भारत से सीधे दखल की मांग कर रहे हैं.
भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने यामीन से लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करने को कहा है. वहीं चीन ने दूसरे देशों को मालदीव में दखल न देखने की चेतावनी दी है.
4,00,000 की आबादी वाले मुस्लिम बहुत देश मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है. लेकिन राजनैतिक संकट का असर टूरिज्म पर भी पड़ रहा है. चीन भी अपने नागरिकों को मालदीव न जाने की सलाह दे चुका है.
आप मालदीव को कितना जानते हैं?
हिंद महासागर में बसा देश मालदीव इन दिनों संकट में घिरा है. मालदीव क्षेत्र और आबादी के लिहाज से बहुत छोटा है लेकिन रणनीतिक रूप से काफी अहम है.
मालदीव दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है जिसका क्षेत्रफल 298 वर्ग किलोमीटर है. इसका मतलब है कि भारत की राजधानी दिल्ली क्षेत्रफल में मालदीव से पांच गुना बड़ी है.
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आबादी
प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर मालदीव 1200 द्वीपों पर बसा है. हालांकि इनमें से ज्यादातर पर कोई नहीं रहता. देश की लगभग सवा तीन लाख की आबादी में लगभग 40 फीसदी लोग राजधानी माले में रहते हैं.
तस्वीर: NASA/GSFC/METI/ERSDAC/JAROS, and U.S./Japan ASTER Science Team
मुस्लिम देश
मालदीव एक मुस्लिम बहुल देश है, जहां 98.4 फीसदी लोग मुसलमान हैं. देश की आधिकारिक भाषा धिवेही है, जो श्रीलंका में बोली जाने वाली सिंहला भाषा के करीब है. लेकिन इसे अरबी की तरह दांए से बाएं लिखा जाता है.
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कब मिली आजादी
मालदीव को 1965 में ब्रिटेन से आजादी मिली. 1968 में मालदीव में एक जनमत संग्रह के बाद सुल्तान मोहम्मद फरीद दीदी को सत्ता से हटाकर इब्राहिम नासिर पहले राष्ट्रपति बने. वह दस साल तक पद पर रहे.
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गयूम का मादलीव
इब्राहिम नासेर के बाद देश की बागडोर मामून अब्दुल गयूम के हाथों में आई जो लगातार तीस साल तक राष्ट्रपति बने रहे. 1980 के दशक में तीन बार उनके तख्तापलट की नाकाम कोशिशें भी हुईं. लेकिन अक्टूबर 2008 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी.
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पहले लोकतांत्रिक चुनाव
मालदीव के इतिहास में 2008 में पहली बार लोकतांत्रिक रूप से राष्ट्रपति चुनाव हुआ और देश की बागडोर युवा नेता मोहम्मद नशीद के हाथों में आई. लेकिन 2012 में हफ्तों तक चले सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद नशीद को इस्तीफा देना पड़ा.
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फिर संकट
2018 के शुरू होते ही मालदीव में फिर संकट की आहट सुनाई देने लगी. राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मानने से इनकार कर दिया और जजों को गिरफ्तार कराया गया.
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दखल की अपील
सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार किया. पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने भारत से दखल देने की अपील की. हालांकि भारत ने अब तक सीधे सीधे दखल देने का कोई संकेत नहीं दिया है.
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समंदर में कैबिनेट बैठक
मालदीव दुनिया के उन इलाकों में शामिल हैं जिन पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण खतरा मंडरा रहा है. 2009 में राष्ट्रपति नशीद ने दुनिया का ध्यान इस तरफ खीचने के लिए कैबिनेट की बैठक पानी के अंदर की.
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अर्थव्यवस्था
पर्यटन देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. कई द्वीपों को खास तौर से पर्यटन के लिए तैयार किया गया है जहां सैलानियों के लिए हर सुविधा है. पर्यटन कंपनियां मालदीव को एक ट्रॉपिकल स्वर्ग की तरह पेश करती हैं. यहां की मुद्रा मालदीवियन रुफिया है.