जर्मनी के पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर रूस की बहुराष्ट्रीय तेल कंपनी रोसनेफ्ट के चेयरमैन चुने गए हैं. श्रोएडर के इस जॉब से जर्मन राजनीति में नैतिकता की भी बहस छिड़ गयी है.
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रोसनेफ्ट के शेयरधारकों की सेंट पीटर्सबर्ग में हुई बैठक में रूसी सरकार के सुझाव पर पूर्व जर्मन चांसलर को पहले बोर्ड का सदस्य चुना गया और उसके बाद उन्हें इसका चेयरमैन भी चुना गया. 73 वर्षीय श्रोएडर ने जर्मनी में हो रही आलोचना को दरकिनार कर ये पद संभाला है. इस फैसले के खिलाफ बर्लिन में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. बाद में पत्रकारों से बात करते हुए श्रोएडर ने रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने की अपील की. रोसनेफ्ट कंपनी पर भी प्रतिबंध लगे हैं. श्रोएडर को चांसलरके उनके कार्यकाल के समय से ही पुतिन का दोस्त माना जाता है और 2005 में पद छोड़ने के बाद वे रूसी कंपनी गाजप्रोम के लिए काम कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस काम के लिए उन्हें 6 लाख यूरो मिलेंगे.
जर्मनी में श्रोएडर की आलोचना की एक वजह ये भी है कि उन्हें पूर्व चांसलर होने के नाते कई तरह की सरकारी सुविधाएं मिल रही हैं. इनमें से एक बर्लिन में एक दफ्तर रखना और उसके कर्मचारियों का खर्च है. चांसलर दफ्तर के अनुसार 2016 में कर्मचारियों को तनख्वाह देने पर 5,61,000 यूरो खर्च हुआ. जर्मनी में पूर्व राष्ट्रपतियों और चांसलरों को सरकारी खर्च पर एक दफ्तर रखने की सुविधा दी जाती है.
इसके अलावा गेरहार्ड श्रोएडर को पेंशन भी मिलती है. वे 1998 से 2005 तक चांसलर थे. जर्मन समाचार पत्रिका डेअ श्पीगेल का कहना है कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार उन्हें इस अवधि के लिए वर्तमान चांसलर की तनख्वाह का 35 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है. यह महीने में 6,446 यूरो है. चांसलर बनने से पहले श्रोएडर संसद के सदस्य और लोवर सैक्सनी प्रांत के मुख्यमंत्री रहे हैं. इन कार्यकालों के लिए भी उन्हें पेंशन मिलती है.
वामपंथी राजनीतिज्ञ अलेक्जांडर नॉय ने श्रोएडर और दूसरे पूर्व राजनीतिज्ञों पर मलाई खाने की मनोवृत्ति का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पूर्व राजनीतिज्ञ अपने कार्यकाल के राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल उद्यमों में नौकरी पाने के लिए करते हैं और साथ ही दफ्तर और कर्मचारियों जैसी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाते रहते हैं.
चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के विदेशनैतिक प्रवक्ता नॉर्बर्ट रोएटगेन ने श्रोएडर की आलोचना करते हुए कहा कि वह श्रोएडर होने के कारण रोजनेफ्ट के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि कंपनी पूर्व चांसलर को पद देकर खुद को फायदा पहुंचाना चाहती है. रोएटगेन ने कहा श्रोएडर का काम जर्मन रूसी संबंध को बेहतर नहीं बना रहा है. श्रोएडर जर्मनी की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के बदले रूस पर जर्मनी की निर्भरता बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं.
अर्द्धसरकारी रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट पिछले सालों में बहुराष्ट्रीय कंपनी बनकर उभरी है. यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विश्वासपात्र और रोसनेफ्ट प्रमुख इगोर सेचिन के कार्यकाल में हुआ है. श्रोएडर भी पुतिन के पुराने दोस्तों में शामिल हैं. 1993 में रूसी तेल कंपनियों की निगरानी करने वाले संगठन के रूप में बना रोसनेफ्ट 2005 में रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी बन गयी. यूक्रेन संकट के कारण यूरोपीय और अमेरिकी प्रतिबंध झेल रही रोसनेफ्ट 40 लाख बैरल प्रति दिन तेल उत्पादन के साथ वह दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी है.
(बिस्मार्क से लेकर मैर्केल तक का जर्मनी)
बिस्मार्क से लेकर मैर्केल तक का जर्मनी
इस रविवार जर्मनी अपने अगले चांसलर का चुनाव करेगा. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी विश्व में अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है.
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भूगोल
जर्मनी के उत्तर में डेनमार्क, पश्चिम में फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड्स और लग्जमबर्ग है. इसके दक्षिण में स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया है जबकि पूर्व में चेक रिपब्लिक और पोलैंड. 357,050 वर्ग किलोमीटर वाला यह देश उत्तर में बाल्टिक सागर से लेकर दक्षिण में बवेरियाई आल्प्स तक फैला है. राइन, एल्बे और डैन्यूब यहां की प्रमुख नदियां हैं.
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राजधानी
जर्मन राजधानी बर्लिन में करीब 35 लाख लोग रहते हैं. जर्मनी का सबसे बड़े शहर होने के साथ ही बर्लिन यूरोपीय संघ में भी लंदन के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर है.
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आबादी
यूरोपीय संघ के सबसे ज्यादा आबादी वाले इस देश में करीब 8.28 करोड़ लोग रहते हैं. इनमें करीब एक करोड़ लोग विदेशी हैं. तुर्की के बाहर सबसे ज्यादा तुर्क मूल के लोग जर्मनी में ही हैं. जर्मनी में प्रति वर्ग किलोमीटर 232 लोग रहते हैं.
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धर्म
जर्मनी का मुख्य धर्म ईसाई है. यहां के करीब एक तिहाई लोग प्रोटेस्टेंट और इतने ही कैथोलिक हैं. इनके अलावा जर्मनी में कई धर्मों को लोग रहते हैं, जिनमें मुस्लिम और यहूदी प्रमुख हैं. मुस्लिम आबादी करीब 44 लाख है जबकि यहूदियों की तादाद 99,000 है.
आयरन चांसलर के नाम से विख्यात ओटो फॉन बिस्मार्क ने कई स्वतंत्र राज्यों को मिला कर 1871 में जर्मनी की स्थापना की थी. प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी को पराजय मिली और इसके बाद की परिस्थितियों में देश में हिटलर का शासन पनपा. हिटलर के दौर में होलोकॉस्ट हुआ और फिर दूसरे विश्व युद्ध में करीब एक करोड़ लोग मारे गये. जर्मनी और बर्लिन चार हिस्सों में बंट गया. 1990 में जर्मनी का एकीकरण हुआ.
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राजनीतिक संस्थाएं
जर्मनी में संसद के दो सदन हैं, निचला सदन बुंडेस्टाग और ऊपरी सदन बुंडेसराट. सरकार का प्रमुख चांसलर होता है. मौजूदा चांसलर अंगेला मैर्केल 2005 से इस पद पर हैं. वह क्रिश्चियन डेमोक्रैट पार्टी से जुड़ी हैं. एक औपचारिक पद राष्ट्रपति का भी है. जर्मनी यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य है और उन 11 देशों में हैं जिन्होंने सबसे पहले यूरो मुद्रा को अपनाया.
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अर्थव्यवस्था
जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है और यह चीन के बाद दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है. गाड़ियां और मशीनरी के अलावा रसायनों का भी निर्यात यहां से होता है. प्रमुख कंपनियों में डायमलर, बीएमडब्ल्यू, फॉक्सवागेन, पोर्शे, आउडी, और सीमेंस शामिल हैं. 2016 में यहां की जीडीपी 3.134 लाख करोड़ यूरो थी. प्रति व्यक्ति आय करीब 37 लाख 32 हजार रुपये है. बेरोजगारी की दर 2017 में करीब 5.7 फीसदी है.
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सशस्त्र सेना
जर्मन सेना में करीब 178,304 सैनिक हैं. देश का संविधान कहता है कि इनका इस्तेमाल केवल रक्षात्मक उद्देश्यों के लिए हो सकता है. सेना को देश के बाहर के अभियान में हिस्सा लेने के लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़ती है. जर्मनी में सेना में अनिवार्य सेवा 2011 में खत्म कर दी गयी थी.