अमेरिका और अफगानिस्तान की फौजों ने एक साझा ऑपरेशन में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के बेटे को अपहर्ताओं की कैद से रिहा करा लिया है. गिलानी के बेटे अली हैदर गिलानी को ठीक 3 साल पहले 9 मई 2013 को अगवा कर लिया गया था. उन्हें अफगानिस्तन के गजनी शहर में छुड़ाया गया. वह सकुशल बताए जाते हैं और उन्हें पाकिस्तान ले जाने के इंतजाम किए जा रहे हैं.
अफगानिस्तान में तैनात नाटो सेना के प्रवक्ता ने बताया कि ऑपरेशन के बारे में ज्यादा जानकारी बाद में दी जाएगी. अली हैदर गिलानी के भाई अब्दुल हैदर गिलानी ने बताया है कि उनके पिता इस वक्त अफगानिस्तान में हैं. उन्होंने कहा, ''मेरी अभी उनसे बात नहीं हुई है. मेरे पिता के पुष्टि कर देने के बाद ही मैं रिहाई के बारे में बता पाऊंगा क्योंकि पहले भी उनकी रिहाई की खबरें आई थीं लेकिन वे सच नहीं थीं.''
अली हैदर गिलानी 2013 में चुनाव प्रचार में लगे थे. चुनाव से दो दिन पहले 9 मई 2013 को उन्हें गोलीबारी के बीच अगवा कर लिया गया था. एक बाइक पर सवार दो हमलावरों ने पंजाब के मुल्तान में गिलानी के काफिले पर हमला किया. इस हमले में अली हैदर गिलानी के सचिव और एक बॉडीगार्ड की मौत हो गई थी जबकि चार लोग घायल हो गए थे. हमलावर एक काली होंडा कार में अली हैदर को लेकर फरार हो गए थे. बीते साल मई में अली हैदर ने अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को फोन किया था और बताया था कि वह सकुशल हैं.
दो महीने पहले ही पाकिस्तान के एक और राजनेता के बेटे को लंबे समय बाद रिहा कराया गया था. पंजाब के पूर्व गर्वनर दिवंगत सलमान तासीर के बेटे शाहबाज तासीर को मार्च में रिहा कराया गया था. वह पांच साल तक आतंकियों की कैद में रहे थे. शाहबाज तासीर ने हैदर गिलानी की रिहाई का स्वागत किया है. उन्होंने ट्विटर पर पाकिस्तानी झंडे की तस्वीर के साथ लिखा है, वेलकम बैक अली हैदर.
पाकिस्तान के विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुटटो ने भी अली हैदर गिलानी की रिहाई पर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, ''यूसुफ रजा गिलानी को अफगानिस्तान में राजदूत से फोन आया है. एक सफल ऑपरेशन में उनके बेटे को रिहा करा लिया गया है. अल्हमदुलिल्लाह.''
यूसुफ रजा गिलानी मार्च 2008 में पाकिस्तान के वजीर ए आजम बने थे. 2012 में वहां की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तब के राष्ट्रपति के खिलाफ करप्शन के मामले दोबारा खोलने को कहा था. गिलानी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो कोर्ट ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था. बेटे के अपहरण के बाद उन्होंने शिकायत की थी कि धमकियों के बावजूद उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई.
वीके/एमजे (एएफपी)
पाकिस्तान के पेशावर शहर में जिस स्कूल पर मंगलवार को तालिबान ने आतंकवादी हमला किया था, बुधवार को उसकी शक्ल किसी भूतहे घर की तरह लग रही थी. रिपोर्टरों ने स्कूल जाकर वहां का जायजा लिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpaपाकिस्तानी सेना का एक जवान स्कूल के मुख्य द्वार पर पहरा देता हुआ. आलीशान दरवाजे से उस खतरनाक चेहरे का अंदाजा भी नहीं लग पा रहा है, जो आने वाली तस्वीरों में दिखने वाला है. कैसे बच्चों के एक स्कूल को तालिबान ने श्मशान में बदल दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images/F. Naeemनोटिस बोर्ड के आस पास दहशत के निशान मौजूद हैं. सेना के जवान उन जगहों को देख रहे हैं, जहां तालिबान के हमले से भारी नुकसान हुआ है. दीवार की ईंटें निकल चुकी हैं. गमले उलटे पड़े हैं. यह तस्वीर किसी स्कूल की तो नहीं लगती.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A Majeedस्कूल की इस दीवार पर कभी ब्लैकबोर्ड लगा होता होगा. लेकिन अब यह गोलियों से छलनी है. एक स्थानीय रिपोर्टर जब इस दीवार के पास से गुजरी, तो कुछ ऐसी तस्वीर बनी. मालूम पड़ता है कि मानो कोई जलजला आया हो.
तस्वीर: Reuters/F. Azizकिताबें बिखरी पड़ी हैं, छात्रों का कोई नामोनिशान नहीं. गोलियां और बम खाकर पीछे की जख्मी दीवार काली पड़ चुकी है. इस सैनिक को बिखरी हुई किताबों के बीच रास्ता निकालना मुश्किल हो रहा है. सिर्फ 24 घंटे पहले यहां बच्चों से रौनक थी.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A Majeedपीछे की दीवार पर शायद स्कूल के प्रिंसिपलों की लिस्ट लगी है. लेकिन नजर उसके चारों ओर ज्यादा जा रही है, जो गोलियों से भुन चुका है. बोर्ड के चारों ओर के सुर्ख लाल धब्बे वो सब कुछ कह रहे हैं, जो मंगलवार को इस स्कूल में हुआ.
तस्वीर: Reuters/F. Azizकराची के एक स्कूल में दुआओं में खड़ा यह छात्र शायद अपने उन साथियों के अहसास को महसूस करने की कोशिश कर रहा है, जो तालिबान के कायराना हमले में मारे गए. पूरे पाकिस्तान के स्कूलों में मासूम बच्चों को श्रद्धांजलि दी गई.
तस्वीर: Reuters/A. Soomroमुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट की महिला सदस्यों ने भी मंगलवार की रात मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दी और उनकी याद में मोमबत्तियां जलाईं. हमले में कम से कम 140 लोगों की मौत हो गई और तालिबान ने कई महिला टीचरों को जिंदा जला दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images/R. Tabassumहमले की जगह पहुंचते हुए एक महिला अपनी सिसकियों को नहीं रोक पाई. हमले के वक्त स्कूल में कम से कम 500 बच्चे थे. इनमें से लगभग 125 बच्चे मारे गए, जबकि इतने ही और घायल हो गए. पाकिस्तान के इतिहास में यह सबसे क्रूर हमलों में गिना जा रहा है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Majeedपेशावर की इस घटना ने हंगू के युवा छात्र एहतेजाज की भी याद ताजा कर दी, जिसने जनवरी में अपने स्कूल में घुस रहे एक आत्मघाती हमलावर को गेट के बाहर दबोच लिया था. हमलावर ने विस्फोटक को उड़ा दिया, जिससे उसकी और एहतेजाज की मौत हो गई. लेकिन स्कूल में मौजूद सैकड़ों बच्चे बच गए.
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