पेंशन सुधारों के खिलाफ फ्रांस में विरोध प्रदर्शन
१३ अक्टूबर २०१०हालांकि पेंशन की उम्र को 60 से बढ़ाकर 62 करने की राष्ट्रपति निकोला सारकोजी की योजना तय है, लेकिन उसके खिलाफ जन विरोध बढ़ता जा रहा है. अब तो उसमें स्कूली और कॉलेज छात्र भी शामिल हो गए हैं.
सितंबर के बाद चौथी बार मंगलवार को पेंशन सुधारों के खिलाफ रैलियां निकाली गईं. ट्रेड यूनियन सुधारों को रोकने की मांग कर रहे हैं और हमारी पेंशन को न छुओ के नारे लगा रहे हैं. इसके विपरीत सरकार का कहना है कि समझौते की कोई संभावना नहीं है.
किसी दूसरे यूरोपीय देश में फ्रांस की तरह 60 की उम्र में पेंशन में जाने की सुविधा नहीं है. जर्मनी में तो इसे बढ़ाकर 67 कर दिया गया है. अनुमान है कि फ्रांस के पेंशन कोष में 32 अरब यूरो का घाटा चल रहा है. यदि पेंशन नियमों को बदला नहीं जाता तो यह घाटा अगले 20 साल में बढ़कर दुगुना हो जाने की आशंका है.
पेंशन में कोष में भारी घाटे के लिए जिम्मेदार लोगों के जीवन दर में वृद्धि है. लोग सुधारों की जरूरत समझते हैं लेकिन उसे जीवन के अंत में अन्याय मानते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति के लिए पिछले महीनों में सारकोजी सरकार की छवि जिम्मेदार है.
मीडियास्कोपी संस्थान के डेनिस मुजेट कहते हैं, गर्मियों से पहले लोग पेंशन सुधारों को जरूरी मानते थे, आज उसे आवश्यक लेकिन अनुचित मानते हैं. लोगों के विचार में परिवर्तन के पीछे भ्रष्टाचार और पार्टी चंदा कांड है जिसमें सारकोजी के दोस्त श्रम मंत्री एरिक वोर्थ फंसे हैं. इस बीच 70 फीसदी लोग पेंशन की उम्र बढ़ाए जाने का विरोध कर रहे हैं.
इसके बावजूद सरकार के झुकने की संभावना नहीं है. पेंशन सुधार सारकोजी सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना है और उस पर इस महीने के अंत तक मुहर लग जाएगी. पेंशन की नई सीमा 62 या पर्याप्त प्रीमियम साल पूरा न होने पर 67 को पहले वाचन में संसद की मंजूरी मिल चुकी है. यदि राष्ट्रपति इसे पास नहीं करवा पाते हैं तो उनके लिए 2012 में फिर से चुनाव जीतना मुस्किल हो जाएगा.
इस बीच पेंशन सुधारों के खिलाफ विरोध कम से कम शनिवार तक जारी रहेगा. शनिवार को विशाल रैली निकालने की योजना है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एन रंजन