पेगासस सूची में हैं 14 प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राजा
२१ जुलाई २०२१
एमनेस्टी ने कहा है कि पेगासस की संभावित जासूसी वाली सूची में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों सहित कुल 14 प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और राजा शामिल हैं. फ्रांस ने इस पूरे मामले में जांच करने की घोषणा की है.
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एमनेस्टी के महासचिव ऐग्नेस कालामार्ड ने कहा, "इन अभूतपूर्व खुलासों से दुनिया भर के नेताओं को कांप जाना चाहिए." अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि एमनेस्टी और फ्रांसीसी संस्था फॉरबिडन स्टोरीज को लीक किए गए 50,000 फोन नंबरों की एक सूची में मिले संभावित शिकारों में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और इराक के राष्ट्रपति बरहम सालिह का भी नाम है.
इसके अलावा सूची में मोरक्को के राजा मोहम्मद VI और प्रधानमंत्री साद एद्दीन एल ओथमानी, पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान और मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबूली शामिल हैं. वॉशिंगटन पोस्ट ने यह भी बताया कि इनमें से किसी भी राष्ट्राध्यक्ष ने अपना फोन जांच के लिए नहीं दिया, जिससे इस बात की पुष्टि हो सकती थी कि उनके फोन पर जासूसी के सॉफ्टवेयर बनाने वाली इस्राएली कंपनी एनएसओ समूह के पेगासस स्पाईवेयर का हमला हुआ था या नहीं.
फ्रांस में जांच
अभी तक आई खबरों में दावा किया गया है कि कम से कम 37 फोनों को या तो हैक कर लिया गया या उनमें हैक किए जाने की कोशिश के संकेत मिले हैं. फ्रांसीसी अखबार ला मोंड ने दावा किया है कि राष्ट्रपति माक्रों के अलावा फ्रांसीसी सरकार के 15 और सदस्यों की भी जासूसी की कोशिश की गई है. माक्रों के फोन पर हमला 2019 में किए जाने की संभावना है.
ला मोंड ने कहा कि माक्रों और दूसरे तत्कालीन सरकारी सदस्यों के नंबर उन हजारों नम्बरों में से थे जिन्हें एनएसओ के किसी ग्राहक ने संभावित रूप सर्विलांस के लिए चुना था. फ्रांस के नंबरों के संबंध में यह ग्राहक मोरक्को की एक अज्ञात सुरक्षा एजेंसी थी. माक्रों के दफ्तर में एक अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट की जांच की जाएगी और अगर यह साबित हो पाया तो यह "बहुत ही गंभीर" होगा.
एनएसओ का इंकार
अखबार ने यह भी कहा कि एनएसओ ने उसे बताया है कि उसके ग्राहकों ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति को कभी निशाना नहीं बनाया. इस बीच पेरिस में प्रोसिक्यूटर के कार्यालय ने कहा है कि वो इस पूरे मामले की जांच कर रहा है. फ्रांस के कानून के तहत जांच में संदिग्ध अपराधी का नाम नहीं दर्ज किया गया है लेकिन जांच का लक्ष्य यह जानना है कि मुकदमा किसके खिलाफ किया जाना है.
सीके/वीके (एपी)
कौन कौन सी एजेंसियां कर सकती हैं भारत में फोन टैप?
फिल्मों में अक्सर पुलिस को लोगों के फोन टैप करते हुए दिखाया जाता है, लेकिन क्या ये इतना आसान है? जानिए भारत में वो कौन सी 10 एजेंसियां हैं जिन्हें कानूनन फोन टैप करने का अधिकार है.
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केंद्रीय अंवेषण ब्यूरो (सीबीआई)
ये देश की प्रमुख जांच संस्था है जो भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से लेकर, संगठित जुर्म, आर्थिक जुर्म और अंतरराष्ट्रीय जुर्म तक के मामलों की जांच कर सकती है. ये इंटरपोल से संपर्क रखने वाली भारत की एकमात्र संस्था है. ये कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधीन है.
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राष्ट्रीय अंवेषण अभिकरण (एनआईए)
ये देश में आतंकवाद का मुकाबला और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अन्य मामलों की देखरेख करने वाली मुख्य संस्था है. इसका गठन 2008 में हुआ था और ये भी गृह मंत्रालय के अधीन है.
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इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी)
ये भारत की प्रमुख इंटेलिजेंस एजेंसी है. इसका काम देश की आतंरिक सुरक्षा से संबंधी जानकारी बटोरना है. ये गृह मंत्रालय के अधीन होती है. टैपिंग के हर मामले के लिए केंद्रीय गृह सचिव और राज्यों में राज्य के गृह सचिव की अनुमति अनिवार्य होती है.
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कैबिनेट सचिवालय (रॉ)
ये भारत की विदेशी इंटेलिजेंस संस्था है और इसका काम विदेशों से इंटेलिजेंस एकत्रित करना, आतंकवाद का मुकाबला करना और देश के सामरिक हितों की रक्षा करना है. इसके बजट से लेकर संचालन तक गुप्त होता है. ये कैबिनेट सचिवालय के अधीन है और सीधा प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है.
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नारकॉटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी)
ये भारत में नशीली दवाओं और मादक पदार्थों से संबंधित कानूनों का पालन सुनिश्चित कराने वाले केंद्रीय संस्था है. इसका काम नशीली दवाओं के व्यापार को रोकना है. ये भी गृह मंत्रालय के अधीन होती है.
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
इसे एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट भी कहा जाता है और इसका काम है आर्थिक इंटेलिजेंस एकत्रित करना और देश में आर्थिक जुर्म से लड़ना. ये वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन होती है.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी)
ये देश में प्रत्यक्ष कर से संबंधित मामलों की शीर्ष संस्था है. ये केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 के तहत स्थापित एक सांविधिक प्राधिकरण है. इसका अध्यक्ष विशेष सचिव होता है और राजस्व सचिव के अधीन होता है.
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राजस्व सूचना निदेशालय (डीआरआई)
ये देश की शीर्ष तस्करी-विरोधी संस्था है, जिसका काम निषिद्ध वस्तुओं के व्यापार को रोकना, सीमा शुल्क की चोरी के मामलों की जांच और इंटेलिजेंस एकत्रित करना है. ये भी वित्त मंत्रालय के अधीन होती है.
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सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय
ये एक सैन्य इंटेलिजेंस संस्था है और ये थल सेना, वायु सेना और जल सेना तीनों के लिए काम करती है. इसका काम ही होता है दुश्मनों के संचार को इंटरसेप्ट करना. ये रक्षा मंत्रालय के अधीन होती है.
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दिल्ली पुलिस कमिश्नर
दिल्ली पुलिस कमिश्नर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस फोर्स के मुखिया होते हैं और उनकी शक्तियां किसी भी राज्य के पुलिस डायरेक्टर जनरल जैसी होती हैं. दिल्ली पुलिस उप-राज्यपाल के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन होती है.