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पेट के कैंसर से बचाएगा टीका!

१६ फ़रवरी २०१०

पेट के कैंसर और अलसर के बचने के लिए वैज्ञानिक एक टीका तैयार करने में जुटे हैं. स्वीडन के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी उनकी यह रिसर्च शुरुआती चरण में है लेकिन आगे चलकर बड़ी कामयाबी की उम्मीद की जा सकती है.

कैंसर की रोकथाम की कोशिशेंतस्वीर: picture-alliance

हालांकि चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने तो ऐसा टीका तैयार भी कर लिया है. दुनिया के लगभग आधे लोगों के पेट में हेलीकोबैक्टर पायलोरी नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है. ज़्यादातर लोगों को यह नुक़सान नहीं पहुंचाता. लेकिन यही बैक्टीरिया कुछ लोगों में अल्सर और पेट के कैंसर की वजह बन सकता है. स्वीडन के सालग्रेंस्का इंस्टीट्यूट में पीएचडी कर रही मैलिन हैंसन कहती हैं, "यह बैक्टीरिया रोगप्रतिरोधक कोशिकाओं को निशाना बनाता है और उन्हें संक्रमित करता रहा है." इसी बैक्टीरिया की रोकथाम के लिए वैज्ञानिक टीका तैयार करने में जुटे हैं.

हेलीकोबैक्टर पायलोरी की खोज करने वाले रॉबिन वारेन और बैरी मार्शल, जिन्हें 2005 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गयातस्वीर: AP

चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल की कैंसर विशेषज्ञ डॉ. निधि गुप्ता प्रिंजा कहती हैं कि इस तरह के टीके से कैंसर की पूरी तरह रोकथाम मुमकिन नहीं है. उनके अनुसार, "हेलीकोबैक्टर पायलोरी पेट के कैंसर के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है. लेकिन अभी यह पूरी तरह साबित नहीं हुआ है कि इसी की वजह से कैंसर होता है. अभी तो कैंसर के सारे कारणों का पता भी नहीं चल पाया है. आप टीके से इस बैक्टीरिया को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन कैंसर की पूरी तरह रोकथाम अभी मुमकिन नहीं है."

चीनी वैज्ञानिकों ने पिछले साल इसी बैक्टीरिया को नियंत्रित करने के लिए एक टीका तैयार किया. चीन में लगभग 60 करोड़ लोग हेलीकोबैक्टर पायलोरी से संक्रमित बताए जाते हैं और सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक़ हर दो लाख लोगों की मौत पेट के कैंसर से होती है. चंडीगढ़ की डॉ. निधि का कहना है कि पेट का कैंसर बहुत आक्रामक होता है और उसका पता ज़्यादातर आख़िरी स्टेज में चलता है. वह बताती हैं, "मुंह का कैंसर दिखता है तो उसका पता जल्दी लग जाता है. लेकिन पेट में क्या कुछ हो रहा है, यह तभी पता चलता है जब व्यक्ति कोई टेस्ट कराता है. हेलीकोबैक्टर पायलोरी को नियंत्रित करने में यह टीका एक अहम कामयाबी हो सकता है."

चीन में 15 साल की रिसर्च के बाद तैयार किये गये टीके के बारे में दावा किया जा रहा है कि उससे हेलीकोबैक्टर पायलोरी को नियंत्रित करने में 72.1 फ़ीसदी तक कामयाबी मिली है. डॉ. निधि कहती हैं, जिन लोगों के घर में कुछ लोगों को इस तरह का कैंसर है, वे इस टीके को लगवा सकते हैं. साथ ही दुनिया के कई इलाक़ें हैं जहां पेट का कैंसर ज़्यादा होता है. मान लीजिए आपने कैंसर के दस कारणों में से एक को नियंत्रित कर लिया है, तो बेशक इससे कैंसर के मरीज़ों की संख्या कम होगी. दुनिया भर में होने वाली हर आठ मौतों में से एक की वजह कैंसर है. 2030 में हर साल कैंसर से मरने वालों की संख्या बढ़कर एक करोड़ 70 लाख हो सकती है. अभी यह संख्या 76 लाख के आसपास है.

दुनिया भर में कैंसर का बढ़ता ख़तरातस्वीर: A.Leuker, IAEA

वैसे जानकार मानते हैं कि खान पान की आदतों को सुधार कर कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचा जा सकता है. डॉक्टर कहते हैं कि इसके लिए धूम्रपान बिल्कुल छोड़ देने में ही भलाई है तो अल्कोहल भी सीमित मात्रा में ही लेनी चाहिए. साथ ही हर समय खाते रहने से भी परेहज़ करें और पौष्टिक खाना आपकी प्राथमिकता होना चाहिए. डॉ. निधि का कहना है, "हर तरह की बीमारी से बचने के लिए हरी, वरी एंड करी से दूर रहना सबसे अच्छा नियम है. सबसे पहले हरी यानी जल्दबाज़ी में चीज़ों से करने से बचना चाहिए, दूसरा ज़्यादा चिंता या तनाव में नहीं पड़ना चाहिए और तीसरा तेज़ मसालेदार चीज़ें खाने से बचना चाहिए."

रिपोर्टः अशोक कुमार

संपादनः राम यादव

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