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पैंट पहनने पर सूडानी पत्रकार को जेल

७ सितम्बर २००९

सूडान की महिला पत्रकार लुबना अहमद अल हुसैन पर पैंट पहनने के आरोप में जुर्माना लगाया गया है. लुबना ने जुर्माना देने से इनकार किया जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है.

अदालत जातीं पत्रकार लुबनातस्वीर: AP

लुबना सूडान में महिलाओं के हक़ की आवाज़ उठाने वाली नई पहचान बन गई हैं. जुलाई में उन्हें और 12 दूसरी महिलाओं को सार्वजनिक जगह पर पैंट पहनने के आरोप में दोषी पाया गया. उन्हें कोड़े मारने की सज़ा मिली, जिसके ख़िलाफ़ लुबना ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया.

लुबना के लिए प्रदर्शनतस्वीर: AP

अदालत ने इस ख़बर के मीडिया कवरेज पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन सुनवाई में शामिल होने वाले चश्मदीदों ने बताया कि अदालत ने लुबना को 500 सूडानी पाउंड यानी लगभग 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया. फ़ैसले में कहा गया है कि अगर लुबना जुर्माना अदा नहीं करेंगी, तो उन्हें महीने भर जेल में रहना होगा. अदालत ने कोड़े मारने की बात नहीं कही और सिर्फ़ आर्थिक जुर्माना लगाया.

लुबना ने जुर्माना भरने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है. सूडान के क़ानून के तहत औरतों का पैंट पहनना अभद्र आचरण और अश्लील पहनावे के तहत आता है. ऐसा करने पर किसी महिला को 40 कोड़ों तक की सज़ा मिल सकती है. लुबना और पैंट पहनने वाली 12 दूसरी सूडानी महिलाओं को जुलाई में ख़ारतूम के एक रेस्त्रां से गिरफ़्तार किया गया था. इनमें से 10 को पुलिस ने सज़ा के तौर पर 10-10 कोड़े लगाए. लुबना को भी ऐसी ही सज़ा मिल सकती थी. लेकिन उन्होंने इसके ख़िलाफ़ अदालत जाने का फ़ैसला किया. साथ ही उन्होंने महिला अधिकार के लिए पूरे सूडान में आवाज़ उठाई.

मामले की सुनवाई के तहत सोमवार को लुबना सिर ढंके हुए परंपरागत सूडानी महिला की तरह अदालत में दाख़िल हुईं. उस वक़्त अदालत के बाहर सैकड़ों लोग उनके समर्थन में जमा थे. वे लुबना के लिए नारे लगा रहे थे. पुलिस ने वहां जमा 40 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया.

महिलाओं की आवाज़ बनतीं लुबनातस्वीर: Lubna Ahmad Hussein

लंदन की एमनेस्टी इंटरनेशनल ने शुक्रवार को सूडान सरकार से अपील की कि वह लुबना के ख़िलाफ़ मामले को ख़त्म कर दे क्योंकि यह सही क़ानून नहीं है. लुबना संयुक्त राष्ट्र में प्रेस अधिकारी के तौर पर काम करती हैं और उन्हें इस तरह सज़ा से छूट मिल सकती थी.

लेकिन वह अल सहाफ़ा अख़बार की पत्रकार भी हैं और उन्होंने फ़ैसला किया कि वह संयुक्त राष्ट्र के आधार पर सज़ा से छूट नहीं लेंगी, बल्कि सूडान में महिलाओं के अधिकार की आवाज़ उठाएंगी. वह पहले भी कह चुकी हैं, "जो कुछ भी होगा, मैं उसके लिए तैयार हूं. मैं किसी भी फ़ैसले से नहीं डर रही हूं." उन्होंने कहा था कि अगर संविधान कहता है तो वह 40 क्या, 40,000 बार कोड़े खाने को तैयार हैं.

सूडान एक मुस्लिम बहुल राष्ट्र है और यहां सख़्त नियम क़ानून हैं. 1991 के क़ानून के तहत महिलाओं के अभद्र पहनावे पर रोक लगा दी गई है. मौजूदा राष्ट्रपति उमर अल बशीर के सत्ता में आने के बाद यह क़ानून लागू किया गया.

लुबना का मामला सामने आने के बाद न सिर्फ़ सूडान, बल्कि दूसरे देशों में भी इस पर ख़ासी चर्चा हुई. लुबना के मामले जब अदालत में सुनवाई के लिए आते, तो वहां उनके समर्थकों की भीड़ लग जाती. लुबना का कहना है कि वह 11 अगस्त को एक टेलीविज़न शो में हिस्सा लेने लेबनान जाना चाहती थीं लेकिन उन्हें नहीं जाने दिया गया.

रिपोर्टः एएफ़पी/ए जमाल

संपादनः आभा मोंढे

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