बारिश का मौसम अपने साथ कई डेंगू या मलेरिया जैसी बीमारियां ले आता है जिससे कई बार जान भी चली जाती है. ऑस्ट्रेलिया में एक ऐसा प्रयोग हुआ है जिसका दावा है कि डेंगू को जड़ से खत्म किया जा सकता है.
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डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों का ऑस्ट्रेलिया के एक शहर में करीब 80 फीसदी तक खात्मा कर दिया गया है. इस उपलब्धि ने वैज्ञानिकों में उम्मीद जगाई है कि भविष्य में इस जानलेवा बीमारी से निजात पाई जा सकेगी.
ऑस्ट्रेलिया की सीएसआईआरओ नामक संस्था के शोधकर्ताओं ने लाखों नर एडीस एजिप्टी मच्छरों को जेम्स कुक यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला में पैदा किया. इन सभी मच्छरों को वोलबाचिया नामक बैक्टीरिया से संक्रमित किया गया. बैक्टीरिया ने मच्छरों की प्रजनन क्षमता खत्म कर दी.
80 फीसदी डेंगू मच्छरों को मारने में मिली कामयाबी
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इसके बाद इन्हें क्वींसलैंड शहर में अलग-अलग जगहों पर तीन महीने के लिए छोड़ दिया गया जहां ये मादा मच्छरों के संपर्क में तो आए, लेकिन अंडों से बच्चे नहीं निकले. इससे मच्छरों की आबादी में भारी गिरावट देखी गई.
एडीस एजिप्टी मच्छर विश्व के सबसे खतरनाक कीटों में से एक है. मादा एजिप्टी मच्छर के काटने से डेंगू, जीका और चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां फैलती हैं.
जानलेवा बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों के प्रजनन शक्ति को खत्म करने की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं. लेकिन मच्छरों के झुंड में नरों की पहचान करना और उन्हें काटने वाली मादाओं से अलग करना एक बड़ी चुनौती बनी रही. गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट की ओर से फाइनेंस प्रोजेक्ट के तहत वेरिली नामक लाइफ साइंस कंपनी ने नर मच्छरों को पहचानने और अलग करने तकनीक खोज ली.
डीबग प्रोजेक्ट के तहत वैश्विक स्तर पर मच्छरों के पनपने और प्रजनन क्षमता पर काम किया जा रहा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले प्रयोग से वे काफी उत्साहित हैं और अब देखना है कि दूसरे इलाकों में इसे कैसे लागू किया जा सकता है.
वीसी/ओएसजे (एएफपी)
कैसे बचें जीका वायरस के खतरे से
कैसे बचें जीका वायरस के खतरे से
डेंगू की ही तरह मच्छरों के माध्यम से फैलने वाले एक और वायरस जीका से विश्व के दर्जनों देश प्रभावित हुए हैं. जानिए जीका के संक्रमण से कैसे बचा जा सकता है.
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लक्षण पहचानें
जीका वायरस से संक्रमित हर पांच में से एक में ही इसके लक्षण दिखते हैं. आम तौर पर संक्रमित व्यक्तियों में जोड़ों में तेज दर्द, आंखें लाल होना, मतली, चिड़चिड़ापन या बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
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कहां से आया जीका
पहला मामला युगांडा में 1947 में दर्ज हुआ था. साल 2015 तक यह वायरस अफ्रीका, एशिया और प्रशांत द्वीपों में ही सुप्त अवस्था में पाया गया. अब तक 14 देशों में जीका वायरस का पता चला है.
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कहां कहां फैला
अब इसका फैलाव ब्राजील समेत कई दक्षिण अमेरिकी देशों में हो चुका है. ब्राजील में विश्व भर से पर्यटकों के आने जाने के कारण वहां से इसके पूरी दुनिया में फैलने का डर है. कनाडा और चिली को छोड़कर सभी देश इस खतरे के दायरे में हैं.
कौन फैलाता है
जीका वायरस को एडीज मच्छर फैलाता है. इसलिए मच्छर के काटने से बचना सबसे जरूरी बचाव है. बिस्तर पर मच्छरदानी और बाहर निकलते समय शरीर पर क्रीम रेपलेंट का इस्तेमाल करना फायदेमंद है.
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गर्भ में खतरा
केवल कुछेक मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ सकती है. अब तक पकड़ में आए जीका संक्रमण के ज्यादातर मामले जानलेवा नहीं हैं. लेकिन गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने से होने वाले बच्चे को जन्म से ही कुछ दोष आ सकते हैं.
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अविकसित बच्चे
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने चेतावनी दी है कि जीका वायरस के कारण बच्चों में जन्मजात माइक्रोसिफेली दोष आ सकता है. इससे प्रभावित बच्चों का सिर छोटा रह जाने से उनके मस्तिष्क में स्थाई दोष आ जाता है.
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संक्रमित क्या करें
सबसे जरूरी है कि आराम करें और जल्द डॉक्टर की सलाह लें. हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि बिस्तर में पड़े रहना चाहिए और खूब सारा पानी पीना चाहिए. शरीर में दर्द होने पर पैरासिटामॉल या एसिटीमिनोफेन लिया जा सकता है. इबूप्रोफेन दवा मना है.
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ना टीका, ना इलाज
अब तक इस वायरस से निपटने के लिए कोई वैक्सीन या दवा नहीं बनी है. फिलहाल तो हर हाल में मच्छरों के काटने से बचना ही एक उपाय है. अपने आसपास मच्छरों के पनपने वाले नम इलाकों और ठहरे हुए पानी को हटाएं.