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समाज

पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है टिकटॉक

प्रभाकर मणि तिवारी
५ अप्रैल २०१९

मद्रास हाईकोर्ट के अनुसार देश में तेजी से लोकप्रिय होता ऐप टिकटॉक युवा वर्ग और बच्चों के दिमाग को प्रदूषित कर रहा है और इससे खासकर किशोरों के यौन शिकारियों के चंगुल में फंसने का खतरा है.

China App TikTok
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Da Qing

इस ऐप को भारत में अब तक 10 करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं और कम से कम पांच करोड़ से ज्यादा लोग सक्रिय रूप से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. पूरी दुनिया में इसे डाउनलोड करने वालों का आंकड़ा पचास करोड़ से ज्यादा है. न्यायमूर्ति एन किरूबाकरन और न्यायमूर्ति एसएस सुंदर की खंडपीठ ने सरकार से इस पर पूरी तरह पाबंदी लगाने को कहा है ताकि कोई भी भारतीय इसे न तो डाउनलोड कर सके और न ही इसका इस्तेमाल कर सके. बीते साल आम लोगों के हस्ताक्षर अभियान चलाने के बाद इंडोशेनिया सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी थी. बाद में कंपनी ने जब आपत्तिजनक सामग्री हटाने का भरोसा दिया, तो पाबंदी में ढील दी गई.

अमेरिका में भी इसकी खासी आलोचना होती रही है. टिक-टॉक पर पाबंदी की मांग में दायर अपनी जनहित याचिका में मदुरै के वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता मुथु कुमार ने हाईकोर्ट से अश्लील साहित्य, सांस्कृतिक गिरावट, बच्चों के शोषण और आत्महत्याओं का हवाला देते हुए इस पर पाबंदी लगाने की अपील की थी.

क्या है टिकटॉक?

टिकटॉक ऐप उपभोक्ताओं को गानों, कॉमेडी सीन और फिल्मों के डायलाग के आधार पर अपनी आवाज के साथ पंद्रह सेकेंड तक के छोटे वीडियो बनाकर उनको शेयर करने की सहूलियत देता है. इतना ही नहीं, उपभोक्ता इसकी सहायता से इसमें लिप-सिंक से लेकर लोकप्रिय गानों और म्यूजिक पर डांस भी करते हैं. भारत में हाल के महीनों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है.

चीनी कंपनी कंपनी बाइटडांस के बनाए इस ऐप के लॉन्च होते ही पूरी दुनिया में इसके प्रति दीवानगी तेजी से बढ़ी और भारत भी इसका अपवाद नहीं था. यहां खासकर युवा उपभोक्ताओं में अपने वीडियो बना कर शेयर करने की प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ी है. दिलचस्प बात यह है कि इस ऐप का इस्तेमाल करने वालों में ग्रामीण इलाकों व छोटे शहरों में रहने वालों की भी खासी तादाद है. इसकी दीवानगी छोटे बच्चों तक के सिर चढ़कर बोल रही है.

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐप पर आपत्तिजनक सामग्री को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसलिए सरकार को इस ऐप पर बैन लगाना चाहिए. जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि जो बच्चे टिकटॉक का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके आसानी से यौन शिकारियों के चंगुल में फंसने का खतरा है. ऐसे में इस ऐप का इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है. अदालत ने टिकटॉक की तुलना ब्लूव्हेल से करते हुए इसके प्रति बढ़ती दीवानगी पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि जानलेवा ऑनलाइन खेल ब्लूव्हेल का असर देखने के बाद संबंधित अधिकारियों को स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले में कार्रर्वाई करनी चाहिए थी ताकि इस ऐप का प्रचार प्रसार रोका जा सके.

पोर्नोग्राफी को बढ़ावा

तमिलनाडु से इस आशय की खबरें आई थीं कि एक विवादास्पद टिकटॉक वीडियो बना कर अपलोड करने के बाद संबंधित युवक की मौत हो गई थी. राज्य के कुछ इलाकों से ऐसी खबरें आने के बाद राज्य सरकार बीती फरवरी से ही इस ऐप पर पाबंदी की मांग कर रही थी. फरवरी में तमिलनाडु के सूचना तकनीक मंत्री एम मणिकंदन ने कहा था कि ऐप पर कुछ सामग्री काफी असहनीय होती है.

एआईएडीएमके के एक विधायक ने तमिलनाडु विधानसभा में इस ऐप पर पाबंदी लगाने की मांग उठाई थी. उनकी दलील थी कि टिकटॉक हमारी संस्कृति को कमजोर कर रहा है. लेकिन उसी महीने बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस ऐप के काफी क्रिएटिव होने का दावा किया था.

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि यह ऐप पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा है. उसने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह अमेरिका में बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाए गए चिल्ड्रेन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट जैसा कोई कानून बनाने पर विचार कर रही है. 16 अप्रैल तक इस सवाल पर हलफनामे के जरिए जवाब दायर करने को कहा गया है. हाईकोर्ट के ताजा फैसले के बाद कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि वह स्थानीय कानूनों के पालन करने के लिए कृतसंकल्प है और अदालती आदेश की प्रति मिलने के बाद समुचित कदम उठाएगी. कंपनी के मुताबिक ऐप में सुरक्षित व सकारात्मक माहौल बनाना उसकी पहली प्राथमिकता है.

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