उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद दूरसंचार विभाग ने 800 से ज्यादा पोर्न वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है. क्या पोर्न रोक कर उसकी लत और यौन अपराधों पर काबू पाया जा सकता है? यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है.
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पूरी दुनिया में लंबे समय से इस पर बहस है कि आखिर पोर्न का वास्तविक समाज में स्त्रियों पर घटित होने वाले अपराधों से कोई संबंध है या नहीं. निर्णायक तौर पर कुछ कहा नहीं जा सका है. पोर्न देखने की मनोवृत्ति और स्वास्थ्य संबंधी अध्ययनों के अलावा नैतिकता, पाबंदी, आचार संहिता, वर्जना, यौन अपराध और मनोविकार और पोर्न की लत से जुड़े अध्ययन भी हुए हैं. जाहिर है भारत भी इससे अछूता नहीं है.
यही कारण है कि जब पिछले दिनों देहरादून के एक बड़े स्कूल हॉस्टल में एक नाबालिग छात्रा से बलात्कार करने वाले नाबालिग लड़के पोर्न देखने के आदी बताए गए, तो उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सीधे सीधे पोर्न वेबसाइटों के दुष्प्रभावों को रेखांकित किया.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा की अगुवाई में उत्तराखंड हाईकोर्ट की बेंच ने ध्यान दिलाया कि बलात्कार जैसी जघन्यता की एक बड़ी वजह किशोरों और युवाओं में पोर्न के प्रति बढ़ता चस्का भी है. धीरे धीरे यही ड्रग्स जैसा नशा उन्हें अपराध के लिए उकसाता है. हाईकोर्ट ने पोर्न को लेकर बड़ी चिंताएं जताते हुए कहा कि 2015 में केंद्र के नोटिफिकेशन के बावजूद कैसे देश में इंटरनेट सेवा प्रदाता पोर्न वेबसाइटों को ब्लॉक करने में समर्थ नहीं हो पाए.
कोर्ट ने पुराने रिकॉर्ड खंगाले और सितंबर में केंद्र सरकार से 857 वेबसाइटों को फौरन बंद करने का आदेश दिया. केंद्र सरकार ने आदेश मिलते ही इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्रालय को कार्रवाई करने को कहा. मंत्रालय ने दूरसंचार विभाग को कहा, विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को अदालती फरमान का हवाला देते हुए पोर्न वेबसाइटों को ब्लॉक करने का हुकुम सुनाया. इस तरह कुछ दिन पहले यह रोक प्रभावी हो गई है. लेकिन 857 वेबसाइटों की काली सूची में से 30 वेबसाइटों को बाहर रखा गया, यह कहते हुए कि उनमें प्रकाशित कंटेंट पोर्न नहीं है.
यह भी सच है कि हाल के मीटू मूवमेंट में पोर्न दिखाने जैसी शिकायतें भी आई हैं, कर्नाटक विधानसभा के भीतर पोर्न देखने का मामला कुछ पुराना जरूर है लेकिन भुलाया नही गया है. बलात्कार के बाद पोर्न वेबसाइटों पर अपलोड करने की धमकी देकर चुप कराने की वारदातें भी सामने आई हैं. लेकिन क्या इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों की रोक भर से पोर्न के शौकीन बाज आएंगें, कहना कठिन है.
पोर्न क्या है, 6 गानों में जानिए
अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें लगता है कि पोर्न देखने का भी कोई फायदा हो सकता है, तो हमें आपसे सहानुभूति है. जानिए, पोर्न आपके दिमाग के साथ क्या करता है.
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बार-बार देखो, हजार बार देखो
पोर्न देखते वक्त दिमाग में डोपामाइन बनता है जो आनंद देता है. अगली बार जब आप पोर्न देखेंगे तो उतने ही आनंद के लिए आपको ज्यादा डोपमाइन चाहिए होगा. उसके लिए आप या तो ज्यादा पोर्न देखेंगे या ज्यादा खतरनाक देखेंगे. इस तरह आपको लत लग जाएगी.
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मोहे भूल गए सांवरिया
सेक्स करते वक्त या पोर्न देखते वक्त मस्तिष्क में कई रसायन बनते हैं जैसे ऑक्सिटोसिन और वासोप्रेसिन. ये याददाश्त के लिए जिम्मेदार होते हैं. जिस चीज को देखने में ज्यादा आनंद मिलता है, उसे दिमाग याद रख लेता है. पोर्न देखने के दौरान ये दोनों रसायन बनते हैं तो दिमाग पोर्न को याद रखने लगता है. बाकी चीजें पीछे चली जाती हैं.
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देख भाई देख, बार-बार देख
सेक्स के दौरान कई सेरोटोनिन एजेंट्स बनते हैं जो हमें शांत करने का काम करते हैं. जब दिमाग इस भाव को पोर्न से जोड़ लेता है तो फिर सेक्स करने से ज्यादा देखने को उकसाने लगता है.
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मैं पीता नहीं हूं, पिलाई गई है
केंब्रिज यूनिवर्सिटी के जर्नल में छपी एक स्टडी बताती है कि शराबी को शराब देखने में मजा आने लगता है क्योंकि शराब देखते ही उसके दिमाग के वे हिस्से ऐक्टिव हो जाते हैं जिन्हें रिवॉर्ड सेंटर्स कहा जाता है. ठीक ऐसा ही पोर्न देखने वालों के साथ होता है.
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आपको देखकर देखता रह गया
पोर्न देखने से सेक्स की इच्छा कम होने लगती है क्योंकि मस्तिष्क को लगता है कि अगर देखने से ही आनंद पाया जा सकता है तो उस काम को करने की जरूरत नहीं है.
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समझ मैनु आवे ना
जर्मनी में छपी एक स्टडी में सिमोन कून ने पाया कि जो लोग ज्यादा पोर्न देखते हैं उनके मस्तिष्क के कुछ हिस्से छोटे थे. अब ऐसा पोर्न देखने से हुआ या नहीं, इस निष्कर्ष पर तो नहीं पहुंचा जा सकता. लेकिन सोचिए, आप पोर्न देखते हैं तो आपके मस्तिष्क के समझदारी वाले हिस्से दूसरों से छोटे हैं.
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इंटरनेट जैसे अथाह वेब समंदर में पोर्न को न खोज पाना भला कितनी देर नामुमकिन रहेगा? इस दिशा में तो होना ये चाहिए कि अगर रोक लगानी है तो ये मुकम्मल और मजबूत रोक होनी चाहिए. पहुंच से पहले उत्पादन और वितरण के सारे रास्ते बंद होने चाहिए, इतनी तकनीकी और प्रौद्योगिकीय कुशलता तो अर्जित करनी ही होगी.
प्रतिबंध से पहले एक एक्सरसाइज यह भी हो सकती है कि दीर्घ अवधि की प्लानिंग और निरतंरता के साथ सामाजिक जागरूकता का लेवल बढ़ाया जाए. सेक्स को लेकर शर्म और लोकलाज का भाव अगर नहीं टूटेगा तो फिर पोर्न वेबसाइटों पर रोक से भी शायद कुछ देर तक अवरोध बना रहकर, आगे टूट सकता है.
कानून और मनोविज्ञान और आपराधिक मामलों के जानकारों का मानना है कि अगर पोर्न देखने से ही बलात्कार हो रहे होते तो तबाही मच जाती. जबकि यह भी सच है कि हर छह घंटे में इस देश में बलात्कार होते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों और गिरफ्तारियों के आधार पर देखें तो सीधे तौर पर कहना कठिन है कि पोर्न देखने की लोलुपता, बलात्कार या अन्य किस्म के यौन अपराधों के लिए उकसावा बनती है. हालांकि इस बहाने ब्यूरो को चाहिए कि वह ऐसी श्रेणी भी विकसित करे जिनसे इस तरह की आपराधिक मनोवृत्तियों के रिकॉर्ड भी सामने आ सकें.
पोर्न स्टार से बने फिल्म स्टार
भारत में सनी लियोनी पहली ऐसी अभिनेत्री हैं, जो एडल्ट इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद फिल्मों में उतरीं. लेकिन हॉलीवुड में ऐसे कई नाम हैं. एक नजर 8 ऐसे कलाकारों पर जो पोर्न स्टार से फिल्म स्टार बने.
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सनी लियोनी
करणजीत कौर वोहरा उर्फ सनी लियोनी ने 2012 में पूजा भट्ट की फिल्म जिस्म-2 के साथ बॉलीवुड में कदम रखा. कनाडा की सनी ने बॉलीवुड आने से पहले अमेरिका में करीब एक दशक तक एडल्ट फिल्मों में काम किया. अब वे पोर्न फिल्मों से तो दूर हो चुकी हैं लेकिन बॉलीवुड की वयस्क फिल्मों में उन्होंने अपनी जगह बना ली है.
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जैकी चैन
अपनी एक्शन फिल्मों और बचकानी मुस्कराहट के लिए दुनिया भर में मशहूर जैकी चैन ने 70 के दशक में एक पोर्न कॉमेडी "ऑल इन द फैमिली" में काम किया. माना जाता है कि यह उनकी एकमात्र फिल्म है जिसमें कोई एक्शन सीन नहीं. जैकी चैन ने हाल में कहा कि उन्हें यह फिल्म करने का कोई पछतावा नहीं है.
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कैमरन डियाज
अमेरिकी टीवी और फिल्मों दोनों में ही सफल रहीं कैमरन डियाज ने अपने करियर की शुरुआत सॉफ्ट पोर्न से की. हालांकि उन्हें फिल्में मिलने के पीछे उनके अतीत की कोई भूमिका नहीं रही. हॉलीवुड में हिट हो जाने के बाद उनके पोर्न फिल्मों में होने की बात सामने आई. उन्हें 1994 की फिल्म "मास्क" और 2000 की "चार्लीज एंजेल्स" के लिए याद किया जाता है.
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सिल्वेस्टर स्टेलॉन
आज भी उन्हें "रॉकी" और "रैम्बो" के नाम से जाना जाता है. हॉलीवुड में उतरने से पहले 70 के दशक में उन्होंने कुछ पोर्न फिल्मों में काम किया. पहली बार उन्हें "द पार्टी एट किटी एंड स्टड्स" नाम की पोर्न फिल्म में देखा गया, जिसका नाम बाद में बदल कर "द इटैलियन स्टैलियन" कर दिया गया. इस फिल्म के लिए उन्हें 200 डॉलर मिले थे.
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पामेला एंडरसन
टीवी धारावाहिक "बेवॉच" से दुनिया भर में मशहूर हुईं पामेला एंडरसन को कौन नहीं जानता. भारत में यहीं से उनके लिए लोगों की दीवानगी शुरू हुई थी. 1989 में वे पहली बार प्लेबॉय मैगजीन के कवर पर नजर आईं. इसके बाद से उन्हें लगातार एडल्ट मैगजीनों के लिए मॉडलिंग करते देखा गया. 2010 में वे बिग बॉस में भी नजर आईं.
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आर्नोल्ड श्वार्त्सनेगर
फिल्म "टर्मिनेटर" के लिए मशहूर श्वार्त्सनेगर का भी एक जमाने में एडल्ट इंडस्ट्री से नाता रहा. उन्होंने "आफ्टर डार्क" नाम की एक गे मैगजीन के लिए कई बार तस्वीरें खिंचवाईं. बाद में वे ना केवल अमेरिका की फिल्मों में सफल रहे, बल्कि राजनीति में भी. 2003 से 2011 तक वे कैलिफोर्निया के गवर्नर रहे.
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मर्लिन मुनरो
जिस जमाने में मर्लिन मुनरो लोगों के दिलों पर छा रही थीं, उस जमाने में ना पोर्न इंडस्ट्री को अमेरिका में उतनी स्वीकृति थी, जितनी आज है और ना ही नग्न तस्वीरों को. 1949 में उन्होंने एक कैलेंडर के शूट के लिए न्यूड तस्वीरें खिंचवाईं. इसके लिए उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
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मैट ली ब्लैंक
अमेरिका का कोई भी टीवी कार्यक्रम शायद इतना लोकप्रिय नहीं रहा जितना 90 के दशक का "फ्रेंड्स". इसमें जोई की भूमिका निभाने वाले मैट ली ब्लैंक ने "द रेड शू सीरीज" नाम की पोर्न सीरीज में भी काम किया था.
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स्त्रियों पर अलग अलग तरह के बर्बर शारीरिक और मानसिक हमले तो बिना पोर्न देखे भी हो रहे हैं और घरों से लेकर सड़कों और संस्थानों तक कहां कहां नहीं हो रहे हैं. अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, एनआईएच के लिए भारत के संदर्भ में इस सवाल पर एक शोध आलेख प्रकाशित किया गया. करीब चार साल पहले हुए इस शोध में इस बात की जांच करने की कोशिश की गई थी कि क्या भारत में यौन अपराध, पोर्नोग्राफी से प्रभावित हैं.
शोध के परीक्षणों पर आधारित निष्कर्षों में पाया गया कि सीधे तौर पर पोर्नोग्राफी को ही कारक मानना कठिन है क्योंकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के तत्कालीन आंकड़े भी इस परिकल्पना की पुष्टि करते नहीं पाए गए. ऐसे ही एक अन्य अध्ययन में अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों के हवाले से हुए अध्ययन में पाया गया कि वहां पोर्न को लेकर एक खुला माहौल है लेकिन उसकी वजह से बलात्कार की दरों में बढोत्तरी नहीं देखी गई है. अमेरिका विश्व में पोर्न का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और आंकड़ों के मुताबिक वहां बलात्कार के मामलों में पिछले दस साल में गिरावट ही दर्ज की गई है.
पोर्न को लेकर नैतिकता, सजा या शुद्धतावाद की ठेकेदारी करने से ज्यादा ऐसे सुहृद्य, साहसी और समझदार परिजनों, पर्यवेक्षकों, बौद्धिकों, शिक्षकों, मनोविज्ञानियों, कानूनविदों और पुलिस अधिकारियों की जरूरत है जो पोर्न से जुड़ी गलत और भ्रामक धारणाओं पर नई पीढ़ी से, किशोरों से और बच्चों से स्पष्ट और सरल भाषा में संबोधित हो सकें, उन्हें पोर्न देखने से जुड़े नुकसान और समस्याओं के बारे में बताएं, खतरों से आगाह करें, और सेक्स से जुड़े जो भी उनके भ्रम हैं उनसे उन पर खुल कर बात करें, उन्हें उनकी यौन समस्याओं, दुविधाओं या यौन अचरजों के बारे में पूछ सकें.
ऐसा सामाजिक पर्यावरण बनाए बिना, एकतरफा कार्रवाइयों से तो सुधार आना मुश्किल है. कोर्ट ने बेशक संवैधानिक जिम्मेदारी निभाते हुए सरकारों को रास्ता सुझाया है लेकिन यह सरकारों, नीति निर्माताओं और अन्य दबाव समूहों का काम है कि वे सेक्स और पोर्न जैसे नाजुक मामलों पर एक सुचिंतित रास्ते की तलाश करें.
प्लेबॉय के कवर पर मुस्लिम
सॉफ्ट पोर्न के लिए मशहूर प्लेबॉय मैग्जीन ने पहली बार हिजाब में एक मुस्लिम औरत को अपने कवर पर जगह दी है. देखिए, प्लेबॉय कहां से कहां तक आ गई है.