पोर्न देखने के लिए ब्रिटेन में अब पहचान पत्र दिखाना होगा
१७ अप्रैल २०१९नया कानून इसी साल 15 जुलाई से लागू हो जाएगा. इसमें इंटरनेट पोर्नोग्राफी मुहैया कराने वाली कंपनियों को इस बात की जांच करनी होगी कि उनके कंटेंट देखने वाले यूजर की उम्र क्या है. 18 साल से कम उम्र के यूजर को कंटेंट देखने की इजाजत नहीं होगी. ब्रिटेन के डिजिटल विभाग की मंत्री मार्गट जेम्स ने बयान जारी कर कहा है, "वयस्कों के लिए बनाई सामग्री तक बच्चों की ऑनलाइन पहुंच बहुत आसान हो गई है." जेम्स ने इस कदम की तारीफ कर इसे "दुनिया में पहला" भी कहा.
वेबसाइटों को इस कानून को लागू करने के लिए खास तकनीक की मदद लेनी होगी जिससे यूजर की उम्र का पता लगाया जा सकता है. ऐसा नहीं करने वाली वेबसाइटों को ब्रिटेन के यूजरों के लिए बंद कर दिया जाएगा. ऑनलाइन अपराध और दुर्व्यवहार को रोकने की दिशा में ब्रिटेन ने यह ताजा कदम उठाया है.
इस महीने की शुरुआत में सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के अधिकारियों को नुकसानदेह विषयवस्तु के लिए निजी तौर पर जिम्मेदार माना जाएगा. इसके साथ ही ऐसी वेबसाइटों को बंद कर दिया जाएगा. सरकार ने उम्र की पुष्टि करने का यह कदम आम लोगों से राय मशविरा और संसद में पिछले साल इस मुद्दे पर बहस कराने के बाद तय किया है. इसके लिए बकायदा सर्वे भी किया गया है. 7 से 17 साल की उम्र वाले बच्चों के माता पिता में 88 फीसदी ने इन नियंत्रणों पर सहमति जताई है.
ब्रिटेन के संस्कृति, मीडिया और खेल विभाग का कहना है कि वेबसाइटों पर उम्र की जांच करने की प्रक्रिया कठिन होगी और महज जन्मतिथि लिख देने या फिर किसी बॉक्स में टिक करने से यह नहीं होगा. इसके लिए पारंपरिक रूप से पहचान के लिए इस्तेमाल होने वाले पहचान पत्रों मसलन क्रेडिट कार्ड, पासपोर्ट या फिर डिजिटल आईडी का इस्तेमाल किया जाएगा. ब्रिटेन में फिल्मों का वर्गीकरण करने वाली संस्था यानी बीबीएफसी इन नियमों का पालन कराने के लिए जिम्मेदार होगी.
सरकार का कहना है कि उसने निजता को लेकर लोगों की चिंताओं को "ध्यान से सुना" और साफ है कि व्यवस्था उम्र की पुष्टि करने की होगी ना कि किसी के पहचान की. बीबीएफसी इसके लिए उद्योग जगत के साथ मिल कर एक स्वैच्छिक प्रमाणन की योजना भी चलाएगी ताकि इन कंपनियों में डाटा सिक्योरिटी के लिए मापदंड तय किए जा सके.
बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए चिंता करने वाले गैरसरकारी संगठन इंटरनेट मैटर्स ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है हालांकि इसके साथ ही सावधानी बरतने की भी सलाह दी है. संगठन की सीईओ कैरोलिन बंटिंग का कहना है, "हमें यह अवश्य समझना चाहिए कि सिर्फ डिजिटल उपायों से ही समाधान नहीं होगा. बच्चों के साथ इस बारे में नियमित और ईमानदार बातचीत का कोई विकल्प नहीं है."
एनआर/एए(एएफपी)