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पोलियो के बारे में जो बातें जाननी जरूरी हैं

एस्तेबान पार्दो
२८ अक्टूबर २०२३

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में वाइल्ड पोलियो वायरस मौजूद है और पोलियो के टीके से उत्पन्न इसके कुछ रूप अभी भी सीवेज के पानी में पाए जाते हैं. पढ़िए पोलियो के बारे में कुछ ऐसी बातें जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए.

पोलियो का खात्मा करने में वैक्सीन की भूमिका अहम है
पोलियो की बीमारी दुनिया के ज्यादातर देशों में खत्म हो चुकी हैतस्वीर: Sarah Poser, Meredith Boyter Newlove/CDC/AP/picture alliance

पोलियो एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो पोलियोवायरस के कारण होती है. यह स्थायी विकलांगता और यहां तक की मौत की वजह भी बन सकती है, खासकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ा यह मामला कई देशों के लिए बड़ी चिंता का कारण रहा है. 

दुनिया में आज पोलियो के दो रूप मौजूद हैं- वाइल्ड पोलियो वायरस और वैक्सीन से जन्मा पोलियो वायरस. वैक्सीन वाला पोलियो वायरस एक ओरल पोलियो वैक्सीन से उत्पन्न होता है, जिसे साबिन वैक्सीन या ओपीवी के रूप में जाना जाता है.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर अधिकांश देशों में वाइल्ड पोलियो वायरस का उन्मूलन हो चुका है. यमन और मध्य अफ्रीका में वैक्सीन वाला पोलियो वायरस पाया गया है.

पोलियो के दोनों रूपों में तीन प्रकार के वायरस होते हैं- टाइप 1, 2 और 3. हालांकि वैक्सीन-उत्पन्न पोलियो तीन प्रकारों में से किसी एक का रूप ले सकता है. टाइप 1 वाइल्ड पोलियो वायरस का एकमात्र बचा हुआ रूप है. टाइप 2 और टाइप 3 को 2015 और 2019 में समाप्त घोषित कर दिया गया था.

हालांकि वाइल्ड पोलियो वायरस के सभी रूप समान लक्षण पैदा कर सकते हैं, लेकिन वे कितने हानिकारक हो सकते हैं, इसमें अंतर है. इसके साथ ही एक टाइप की इम्युनिटी यानी प्रतिरक्षा दूसरे टाइप से बचाव नहीं करती है.

भारत में पोलियो वैक्सीन की खुराक देती नर्स तस्वीर: Arun Sankar/AFP/Getty Images

लक्षण क्या हैं?

पोलियो से संक्रमित अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखता. लगभग चार में से एक व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव होता है, जैसे गले में खराश, बुखार, सिरदर्द या पेट दर्द. आम तौर पर, ये लक्षण दो से पांच दिनों के बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं.

पोलियो वायरस से संक्रमित महज एक फीसदी से भी कम लोगों में खतरनाक लक्षण दिखते हैं, जैसे स्थायी लकवा, जिससे स्थायी विकलांगता हो सकती है और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है. यह तब होता है जब वायरस सांस लेने के लिए जरूरी मांसपेशियों को प्रभावित करता है.

कभी-कभी जो बच्चे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, उनमें बाद में वयस्क होने पर पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम विकसित हो सकता है जिसकी वजह से मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और यहां तक कि लकवा भी हो सकता है.

पाकिस्तान में पोलियो के मामले में बड़ा उछाल

पोलियो कैसे फैलता है?

यह वायरस व्यक्ति की आंतों और गले को संक्रमित करता है. इन जगहों पर वह कई हफ्तों तक जीवित रह सकता है. यह किसी संक्रमित व्यक्ति की सांस की बूंदों या मल के संपर्क से फैलता है.

गंदगी वाली जगहों में, यह वायरस भोजन और पीने के पानी को भी दूषित कर सकता है.संक्रमित लोगों में लक्षण प्रकट होने से ठीक पहले और दो सप्ताह बाद तक ये वायरस दूसरे लोगों में फैल सकता है.

अमेरिका का हायनेस मेमोरियल अस्पतालतस्वीर: AP Photo/picture alliance

आज पोलियो कहां मौजूद है?

दुनिया में पोलियो अभी तक खत्म नहीं हुआ है. पोलियो वायरस का वाइल्ड यानी जंगली रूप अभी भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद है. अगस्त 2020 से अफ्रीका को भी वाइल्ड पोलियो से मुक्त माना गया है लेकिन मलावी और मोजाम्बिक में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां संक्रमित लोग बाहर से आए थे.

जुलाई 2022 में, अमेरिका में एक दशक में वैक्सीन-उत्पन्न पोलियो का पहला मामला दर्ज किया गया. यूनाइटेड किंगडम और इस्राएल में सीवेज के कुछ नमूनों में भी वैक्सीन-उत्पन्न पोलियो वायरस पाया गया था. उस समय डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रेयसूस ने कहा था, "यह स्पष्ट तौर पर हमें याद दिलाता है कि यदि हम हर जगह पोलियो को समाप्त करने के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं करते हैं, तो यह विश्व स्तर पर फिर से उभर सकता है.”

20वीं सदी के मध्य में पोलियो के टीकों के विकास और आक्रामक तौर पर वैश्विक टीकाकरण अभियानों की बदौलत सौ से ज्यादा देशों को पोलियो मुक्त घोषित किया गया है.

पोलियो वैक्सीन के दो प्रकार कौन से हैं?

पोलियो का कोई इलाज नहीं है, लेकिन बीमारी को रोकने के लिए टीके जरूर हैं. ये दो प्रकार के हैं- एक मुंह से लिया जाने वाला यानी ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) और दूसरा निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन यानी इनएक्टीवेटेड पोलियो वैक्सीन (आईपीवी).

पोलियो की वैक्सीन सीरिंज के जरिए भी दी जाती हैतस्वीर: Wytrazek/Zoonar/picture alliance

ओरल पोलियो वैक्सीन को तरल के रूप में मुंह के जरिए दिया जाता है और यह अंतरराष्ट्रीय उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति की रक्षा करता है और वायरस को फैलने से रोकता है. ओपीवी पोलियो वायरस के जीवित लेकिन कमजोर रूपों का उपयोग करता है जिन्हें इस तरह से संशोधित किया जाता है कि टीका लेने वाले व्यक्ति में वो बीमारी पैदा ना कर सकें.

अगर ओपीवी का कमजोर वायरस जीवित रहने में सक्षम है और खराब स्वच्छता वाले स्थानों में फैलता है, जैसे सीवेज के पानी में, जहां बड़ी संख्या में बिना टीकाकरण वाले लोग हैं, तो यह वायरस के उस रूप में भी वापस आ सकता है जो रोग पैदा करने वाला होता है.

निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन एक इंजेक्शन के रूप में दी जाती है और जिसे दी जाती है उसे गंभीर बीमारी से बचाने में यह बेहद प्रभावी है. क्योंकि यह निष्क्रिय है. यह वैक्सीन-उत्पन्न पोलियो वायरस का कारण नहीं बन सकता है. हालांकि, ओपीवी के विपरीत, यदि व्यक्ति पहले से ही संक्रमित है तो यह वायरस के प्रसार को नहीं रोकता है.

ओपीवी आईपीवी से सस्ता है और इसे किसी स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा प्रशासित करने की आवश्यकता नहीं है. वैक्सीन-उत्पन्न पोलियो वायरस के खतरे के कारण अधिक से अधिक देश आईपीवी का उपयोग कर रहे हैं.

कुछ तौर-तरीकों के जरिए पोलियो के कारण होने वाले लक्षणों से राहत मिल सकती है. जैसे- बिस्तर पर आराम करना, दर्द निवारक दवाएं लेना, सांस लेने में सहायता और फिजिकल थिरेपी.

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