पाकिस्तान पोलियो के खिलाफ जंग में कमजोर पड़ता नजर आ रहा है. सरकार को डर है कि 2014 के अंत तक देश में पोलियो के इतने मामले दर्ज हो जाएंगे, जितने अब तक कभी नहीं हुए थे.
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पाकिस्तान के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार इस साल पोलियो के 187 मामले दर्ज किए गए हैं. संस्थान के राना मुहम्मद सफदर के अनुसार सरकार को डर है कि देश अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने जा रहा है, "अगर संख्या 200 पहुंच गयी तो हम अपना साल 2000 का 199 मामलों का रिकॉर्ड तोड़ देंगे."
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने इन मामलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि मौजूदा हालात को देखते हुए आंकड़ों के 200 पार कर जाने के आशंका नजर आ रही है. सरकार ने भी चिंता जताई है कि मानसून खत्म होने के बाद नए मामले दर्ज होने लगेंगे और संख्या 250 तक भी पहुंच सकती है.
यह खबर ऐसे समय में आ रही है जब पाकिस्तान में चल रहे पोलियो अभियान की समय सीमा तीन से बढ़ा कर पांच दिन कर दी गई है. अभियान के अध्यक्ष डॉक्टर राना सफदर ने कट्टरपंथियों के हस्तक्षेप और परिवारों की असहमति को इसकी वजह बताया है, "कुछ इलाकों में सुरक्षा कारणों से अभियान को रोकना पड़ा है. हमारे लिए परेशानी का सबसे बड़ा सबब हैं पश्चिमी और उत्तरी वजीरिस्तान और खैबर के कबायली इलाके."
दिसंबर 2012 से इन इलाकों में 59 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों की जान जा चुकी है. अधिकारियों का कहना है कि अब भी लाखों बच्चे पोलियो की खुराक से महरूम हैं. ये इलाके अफगानिस्तान की सीमा से सटे हुए हैं और यहां तालिबान और अल कायदा का दबदबा है. कट्टरपंथियों द्वारा फैलाई अफवाहों के अनुसार पोलियो की खुराक मुसलमानों को नपुंसक बनाने का पश्चिमी देशों का षड्यंत्र है.
पोलियो की जरूरी बातें
पोलियोमेलिटिस यानि पोलियो एक गंभीर वायरल बीमारी है. रीढ़ की हड्डी में संक्रमण पहुंचने के बाद पैरों को लकवा मार जाता है. पोलियो का वायरस पेट और आंत में बढ़ता है. खतरा तब तक बना रहता है जब तक लार या मल में वायरस जीवित हो.
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बच्चों को लाचार करता पोलियो
दुनिया के अधिकतर देश पोलियो को कल की बात समझ कर भूल चुके हैं. पर यह वायरस आज भी बच्चों पर हमला कर रहा है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर पोलियो वायरस का असर होता है. 200 में से एक मामले में बच्चा विकलांग हो जाता है. यह वायरस टांगों को लाचार कर देता है और इसका कोई इलाज मैजूद नहीं है.
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अब भी तीन देशों में
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया, इन तीन देशों से अब भी पोलियो का सफाया नहीं किया जा सका है. कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली और सुरक्षा कारणों से अब भी वहां पोलियो के खिलाफ जंग जीती नहीं जा सकी है. खतरा इस बात का भी है कि वायरस इन देशों से एक बार फिर दूसरे देशों में फैल सकता है.
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हो सकता है पूरी तरह सफाया
पोलियो वायरस की तीन नस्लें हैं. टाइप 2 का 1999 में ही सफाया हो गया था. टाइप 3 के मामले ना के बराबर ही हैं. ये वायरस इंसानी शरीर के बाहर ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते. अगर सभी को टीका लगा हो तो यह वायरस संक्रमण नहीं कर पाता और जल्द ही खत्म हो जाता है.
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असरदार टीके
पोलियो के लिए दो प्रकार के टीके मौजूद हैं, ओपीवी और आईपीवी. ओपीवी यानि ओरल पोलियो वैक्सीन. दो बूंद की इस खुराक देने के लिए डॉक्टरों की जरूरत नहीं पड़ती. अधिकतर पोलियो अभियान में इसी का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं आईपीवी यानि इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए दी जाती है.
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भारत में लाखों बूथ
13 जनवरी, 2011 को आखिरी बार भारत में पोलियो का मामला दर्ज किया गया. इस बीच भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया है. इसके पीछे सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का सहयोग अहम रहा है. पोलियो अभियान के दौरान एक ही राउंड में देश में 6,40,000 बूथ लगाए गए और 20 करोड़ खुराकों का इंतजाम किया गया.
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अभियान के फायदे
पोलियो अभियान के दौरान ना केवल घर घर बच्चों को "दो बूंद जिंदगी की" दी गयी, बल्कि उनके स्वास्थ्य का रिकॉर्ड भी तैयार किया गया. इससे अन्य बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलेगी. साथ ही कई जगहों पर बच्चों को विटामिन ए की गोलियां दी गयी ताकि बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ाई जाए.
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पाकिस्तान का डर
पाकिस्तान को डर है कि इस साल पोलियो के मामलों की संख्या 200 को पार कर सकती है. ऐसा होने पर यह देश में पोलियो अभियान शुरू होने के बाद से सबसे अधिक संख्या होगी. तालिबान का असर और कट्टरपंथियों की सोच पाकिस्तान को पोलियो मुक्त कराने के रास्ते के पत्थर बने हुए हैं.
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इसके अलावा पाकिस्तानी डॉक्टर शकील अफरीदी के मामले के बाद से भी अविश्वास का माहौल बना हुआ है. शकील अफरीदी ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के साथ मिलकर जाली पोलियो अभियान चलाया था जिसके जरिए ओसामा बिन लादेन के ठिकाने का पता लगाया जा सका.
पोलियो अभियान शुरू होने के बाद से पाकिस्तान में 2005 में 28, जबकि 2011 में 198 पोलियो के मामले दर्ज किए गए. 2012 में एक बार फिर संख्या में गिरावट आई. उस साल 58 और 2013 में 72 मामले सामने आए. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि पाकिस्तान में मौजूद पोलियो वायरस कि नस्ल अब सीमापार अफगानिस्तान भी पहुंच गयी है. ऐसे में टीकों को बदलने की भी जरूरत पड़ सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल मई में पाकिस्तान के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिनके अनुसार पाकिस्तान जाने वाले हर व्यक्ति के लिए पोलियो का टीका लेना अनिवार्य है.
दुनिया में केवल तीन ही देश अब भी पोलियो की चपेट में हैं. पाकिस्तान के अलावा इनमें अफगानिस्तान और अफ्रीकी देश नाइजीरिया शामिल हैं. भारत को 2014 की शुरुआत में ही पोलियो मुक्त घोषित किया गया है. पिछले तीन साल से भारत में पोलियो का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है.