पोलैंड में डाक से डाले जाएंगे राष्ट्रपति चुनाव में वोट
७ मई २०२०
पोलिश सांसदों ने देश में राष्ट्रपति चुनाव पूरी तरह डाक के जरिए कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. पोलैंड के उप प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि कोरोना संकट के मद्देनजर चुनाव जून से पहले नहीं कराए जाएंगे.
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पोलैंड में जारी राजनीतिक कलह के कारण देश के राष्ट्रपति चुनावों को टाल दिया गया है. सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) ने कहा है कि इसी वजह से मई में चुनाव नहीं करवाया जा सकेगा. उप प्रधानमंत्री जैक सासिन ने एक प्राइवेट एफएम चैनल आरएमएफ से बातचीत में कहा, “जल्दी से जल्दी तारीख भी जून में ही संभव होगी.”
गुरुवार को पोलैंड की संसद के निचले सदन में चुनाव सुधार पर पेश हुए सरकारी बिल को मंजूरी मिल गई. इस बिल को पहले सीनेट ने नामंजूर कर दिया था, जहां मुख्य विपक्षी दल बहुमत में है. सत्ताधारी पीआईएस पार्टी और उसके सहयोगी आने वाले चुनावों को पूरी तरह पोस्टल तरीके से कराना चाहते थे जबकि विपक्ष इसका विरोध करता आया था. पहले इस बिल को ही कानूनी आधार बनाकर मई में ही चुनाव कराने का विचार था लेकिन तय तारीख के मात्र कुछ दिन पहले केंद्र सरकार को चुनाव टालने की घोषणा करनी पड़ी.
यूरोपियन काउंसिल के पूर्व प्रमुख डोनाल्ड डस्क समेत विपक्ष के तमाम नेताओं ने डाक के जरिए राष्ट्रपति चुनाव कराए जाने के विचार को नकार दिया था. उनकी मांग थी कि कोरोना के संकट को देखते हुए चुनावों को टाल दिया जाए. उनका तर्क था कि महामारी के जौर में उनके उम्मीदवार तो चुनाव प्रचार कर नहीं पा रहे हैं जबकि सत्ताधारी दल के आंजे दूदा तो रोज मीडिया में आते रहते हैं. यही कारण था कि विपक्ष ने सीनेट में सरकारी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. लेकिन अब संसद के निचले सदन में स्वीकार होने के बाद सीनेट का निर्णय पलटा जा सकता है.
पीआईएस पार्टी के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री यारोस्लो काचिंस्की ने पहले चुनाव को 23 मई से पहले कराए जाने पर जोर दिया था जब संविधान के अनुसार राष्ट्रपति दूदा का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है. पहले से बहुमत के पसंदीदा रहे दूदा की लोकप्रियता में फिलहाल जारी कोरोना संकट ने और इजाफा किया है. सर्वेक्षणों की मानें तो राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में वह आसानी से 50 फीसदी की देहलीज पार कर लेंगे. हालांकि महामारी के दौर में जिस तरह की आर्थिक मंदी का आना तय है उसके कारण आने वाले महीनों में इस लोकप्रियता में गिरावट आ सकती है. यानि चुनाव की तारीख जितनी देर की होगी दूदा को उतना ही नुकसान झेलना पड़ सकता है.
आईएस लड़ाकों की यूरोपीय नागरिकता को लेकर खूब बहस चल रही है. इस बीच जर्मनी में कुछ सहमति तो बनी हैं लेकिन अब तक कोई कानून नहीं आया है. आइए जानते हैं कि यूरोपीय संघ में देशों में नागरिकता संबंधी क्या नियम कायदे हैं.
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स्पेन
स्पेन के संविधान मुताबिक, जन्म से स्पेन की नागरिकता प्राप्त व्यक्ति से देश की नागिरकता नहीं छीनी जा सकती. कुछ कानूनों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 18 साल की उम्र के पहले किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर लेता है और तीन साल के भीतर अपनी स्पैनिश नागरिकता को जारी रखने की मंशा को औपचारिक रूप से जाहिर नहीं करता है तो उसकी नागरिकता समाप्त हो सकती है.
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फ्रांस
साल 2016 में फ्रांस सरकार ने पेरिस में हुए आतंकवादी हमले को ध्यान में रखते हुए एक विवादास्पद प्रस्ताव की घोषणा की थी. उसके तहत आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों का पासपोर्ट छीन कर उन्हें डिपोर्ट करने का प्रावधान था. फिलहाल फ्रांस में केवल उन लोगों की नागरिकता छीनी जा सकती है जिन्होंने वयस्क होने के बाद इसे लिया है. वहीं गद्दारी, देश विरुद्ध षड़यंत्र रचना, नागरिकता छीने जाने का वैध आधार हैं.
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पोलैंड
स्पेन की तरह पोलैंड में भी जन्म से नागिरकता पाए नागरिकों से नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. पोलिश नागिरकता छोड़ने के लिए नागरिक को व्यक्तिगत आवेदन देना होगा. इसके बाद प्रत्येक आवेदन को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया जाएगा. यूरोपीय संघ में स्वीडन, क्रोएशिया समेत पोलैंड ही ऐसे देश हैं जो धोखे से नागरिकता हासिल कर चुके व्यक्ति की भी नागरिकता को रद्द नहीं करते हैं.
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इटली़
दोहरी नागरिकता प्राप्त इतालवी नागरिकों के लिए देश की नागरिकता छोड़ना काफी आसान है. नागरिक स्वेच्छा से इसे छोड़ सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति दुश्मन देश के लिए काम करता है, या इटली के साथ विवाद में उलझे किसी सशस्त्र बल का सहयोग करता है तो उस व्यक्ति की नागरिकता समाप्त हो सकती है. इन प्रावधानों से साफ है कि इटली के पास विदेशी लड़ाकों की नागरिकता समाप्त करने का प्रावधान है.
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नीदरलैंड्स
यूरोपीय संघ में नीदरलैंड्स और फ्रांस ही दो ऐसे देश हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति की नागरिकता समाप्त करने का सीधा प्रावधान रखते हैं. इसके अलावा लंबे समय तक विदेश में रहने वाला ऐसे व्यक्ति जो किसी अन्य देश की नागरिकता लेने में सक्षम हैं तो उनकी भी नागरिकता नीदरलैंड्स से समाप्त हो सकती है.
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अन्य देश
यूरोप के अन्य नौ देश भी लंबे समय तक विदेश में रहने वाले लोगों की नागिरकता को समाप्त कर सकते हैं. वहीं बेल्जियम, डेनमार्क, स्पेन और स्वीडन का यह प्रावधान उन नागरिकों पर लागू होता है जो विदेशों में पैदा हुए हैं.